मेरठ जेल में हो रही प्रतिमाह लाखों की वसूली : शासन की लचर कार्यप्रणाली से बिगड़ी मेरठ जेल की व्यवस्था

सूत्रों की मानें तो शासन मे बैठे अफसरों से सीटिंग गेटिंग कर इस अधीक्षक ने अपनी तैनाती वरिष्ठ अधीक्षक के पद वाली मेरठ मंडल कारागार पर अपनी तैनाती करा ली। वरिष्ठ अधीक्षक की जेल पर अधीक्षक को तैनात किया जाना ही नियमो के विरुद्ध है।

मेरठ जेल में हो रही प्रतिमाह लाखों की वसूली : शासन की लचर कार्यप्रणाली से बिगड़ी मेरठ जेल की व्यवस्था
मंडलीय जेल पर वरिष्ठ अधीक्षक के बजाए कर दी अधीक्षक की तैनाती

लखनऊ। शासन की लचर कार्यप्रणाली ने मंडलीय कारागार मेरठ की व्यवस्था को अस्त व्यस्त कर दिया है। इस जेल में अधिकारियों ने लूट मचा रखी है। कैंटीन में अनाप शनाप दामो पर खानपान की वस्तुये बेंचकर, राशन में कटौती और एमएसके के तहत मनमाने दामों पर वस्तुएं खरीद कर जेल में प्रतिमाह लाखों रुपये की कमाई की जा रही है।

जेल विभाग के उच्चाधिकारी सब कुछ जानकर अनजान बने हुए है। दिलचस्प बात यह है कि शासन में बैठे उच्च अधिकारियों ने वरिष्ठ अधीक्षक की इस जेल पर मोटी रकम लेकर अधीक्षक को तैनात कर रखा है। इस तैनाती से वार्डर सवर्ग के सुरक्षाकर्मियों को भी तमाम तरह की दिक्कते झेलनी पड़ रही है। बीते दिनों शाहजहांपुर जिला जेल पर तैनात अधीक्षक राकेश वर्मा को जेल नियमो का ताक पर रखकर मेरठ की मंडल कारागार पर तैनात कर दिया। नियमानुसार मंडलीय जेल पर वरिष्ठ अधीक्षक तैनात किया जाना चाहिए। 

बताया गया है कि मेरठ जेल में अधिकारियों ने लूट मचा रखी है। पश्चिम की जेलों में डेरा डाले हुए जेलर मनीष कुमार अपने मातहत  गल्ला गोदाम प्रभारी डिप्टी जेलर से सुरक्षा के बजाए राशन की घटतौली व कटौती कराने में जुटे हुए है। वर्तमान समय मे इस जेल में चार हज़ार से अधिक बन्दी निरुद्ध है।

सूत्रों की मानें तो शासन मे बैठे अफसरों से सीटिंग गेटिंग कर इस अधीक्षक ने अपनी तैनाती वरिष्ठ अधीक्षक के पद वाली मेरठ मंडल कारागार पर अपनी तैनाती करा ली। वरिष्ठ अधीक्षक की जेल पर अधीक्षक को तैनात किया जाना ही नियमो के विरुद्ध है। नए तैनात अधीक्षक राकेश वर्मा का विवादों से गहरा नाता रहा है। मथुरा के बहुचर्चित गोली कांड जिसमे चार बन्दियों की मौत हो गयी थी। मथुरा जेल में बतौर डिप्टी जेलर तैनात रहे इस अधिकारी के पास कमाऊ गल्ला गोदाम का प्रभार था। इसके अलावा फतेहगढ़ जेल पर इनकी तैनाती के दौरान जेल में बन्दियों के बवाल, पत्थरबाजी व उपद्रव की घटना सुर्खियों में रही। शाहजहांपुर जेल के कार्यकाल के दौरान एक स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से आशाराम बापू का कार्यक्रम कराने पर भी काफी विवाद हुआ था। सबसे रोचक बात यह रही की लंबे समय तक मेरठ में तैनात रहने वाले इस अधिकारी को शासन में बैठे अधिकारियों ने पुनः मेरठ जेल पर तैनात कर दिया।

सूत्रों की माने तो यह अधिकारी कैंटीन की बिक्री बढ़ाने के लिए बंदियों के राशन में पचास से साठ फीसद कटौती कर प्रतिमाह लाखों रुपये का वारा न्यारा कर रहे है। यही काम यह अधिकारी सरसों का तेल, रिफाइंड व घी की खरीद में भी करते है। जेल अधीक्षक की रजामंदी से हो रही राशन कटौती, मशक्कत, कैंटीन, पीसीओ व एमएसके की खरीद फरोख्त मद से जेल में प्रतिमाह चालीस से पैतालिश लाख रुपये की कमाई कर जेब भरने में जुटे हुए है। इस सच की पुष्टि जेल में होने वाली खरीद फरोख्त के दस्तावेजो व बिलों से की जा सकती है। उधर विभाग के आला अफसर इस गंभीर मामले पर कुछ भी बोलने से बच रहे है।

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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