जेल अफसर बन्दियों पर चलवा सकते गोली : फतेहगढ़ जेल में आगजनी, फायरिंग के बाद उठने लगे सवाल

जेल में बन्दियों ने पथराव व आगजनी नही की। इसके साथ ही जेल में फायरिंग भी हुई। इस फायरिंग व पथराव में दर्जनों सुरक्षाकर्मी व बन्दी घायल हो गए। गोली लगने से घायल हुए तीन बन्दियों में एक की अस्पताल ले जाने के दौरान मौत हो गयी। इस मौत को लेकर महकमे में बवाल मचा हुआ है।

जेल अफसर बन्दियों पर चलवा सकते गोली : फतेहगढ़ जेल में आगजनी, फायरिंग के बाद उठने लगे सवाल
फतेहगढ़ जेल में आगजनी

लखनऊ। जेल के अंदर बन्दियों के बवाल के दौरान हालात बिगड़ने व अनियंत्रित होने पर जेल अफसरों को गोली चलवाने का अधिकार प्राप्त है। यह अधिकार जेलो के संचालन के बने जेल मैन्युअल में दिया गया है। पूर्व में इसी जेल पर हुई एक घटना में गोली चलवाने के मामले में जेलर के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में जेल मैन्युअल के आधार पर निलंबित जेलर को बहाल करते हुए मुकदमा वापस लेकर पूरे मामले को ही रफादफा के दिया गया था।

अफसरों के पास है हथियार चलाने का अधिकार : बीते रविवार को फतेहगढ़ जेल में एक साथी बन्दी की मौत के बाद आक्रोशित बन्दियों ने जेल में जमकर बवाल काटा था। इस दौरान जेल में बन्दियों ने पथराव व आगजनी नही की। इसके साथ ही जेल में फायरिंग भी हुई। इस फायरिंग व पथराव में दर्जनों सुरक्षाकर्मी व बन्दी घायल हो गए। गोली लगने से घायल हुए तीन बन्दियों में एक की अस्पताल ले जाने के दौरान मौत हो गयी। इस मौत को लेकर महकमे में बवाल मचा हुआ है। मृतक बन्दी के परिजन गोली चलवाने वाले जेलर के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराने की मांग कर रहे है। मुकदमा दर्ज कराने को लेकर जद्दोजहद चल रही है।

सूत्रों का कहना है इससे पहले भी वर्ष-2014 में फतेहगढ़ जेल में आगजनी, पथराव व फायरिंग की घटना हुई थी। इस घटना में आगजनी, पथराव व फायरिंग में तत्कालीन जेल अधीक्षक कैलाश चंद, जेलर सुरेश मिश्रा के साथ कई बन्दी व सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे। इस मामले में तत्कालीन जेलर सुरेश मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उसके खिलाफ हत्या समेत अन्य धाराओं में मुकदमा पंजीकृत करा दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि निलंबित जेलर ने बहाली व मुकदमा वापसी की अपील की तो मुख्यालय में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी (अब सेवानिवृत्त) ने उसका पहले जमकर दोहन किया। इसके कुछ समय बाद जेल मैनुअल का हवाला देते हुए उसके खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस करवाकर पूरे मामले को रफादफा कर दिया गया था। इस जेल में इस घटना के बाद 2018 में भी आगजनी व पथराव की घटना हो चुकी है।

यह कहता है जेल मैनुअल

लखनऊ। जेल मैनुअल के प्रस्तर-839, 840 व 841 में इस बात का उल्लेख किया गया है कि कारागार का कोई भी अधिकारी भागने वाले या भागने का प्रयास करने वाले किसी कैदी के विरुद्ध तलवार, संगीन, आग्नेयास्त्र या किसी अन्य हथियार का प्रयोग कर सकता है। इसके अलावा अधिकारी सामूहिक दंगे या कारागार चहारदीवारी या उसके मुख्यद्वार को तोड़ने के प्रयास में सह्युक्त किसी कैदी के विरुद्ध तलवार, संगीन, आग्नेयास्त्र या किसी अन्य हथियार का प्रयोग कर सकता है। हथियार का प्रयोग उस समय तक कर सकता है जब तक दंगा नियंत्रित न हो।

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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