2022 की बड़ी फिल्में : गंगूबाई काठियावाड़ी से लेकर KGF-2, RRR तक, सिनेमाघरों में नहीं देख पाए तो OTT प्लेटफॉर्म पर देखें

इस साल रिलीज हुईं कई बड़ी फिल्में सिनेमाघरों के बाद ओटीटी पर स्ट्रीम की चा चुकी हैं, जिन्हें आप घर बैठे देख सकते हैं। आइए जानते हैं वो फिल्में कौन सी हैं और उन्हें कैसे ओटीटी पर देखा जा सकता है-

2022 की बड़ी फिल्में : गंगूबाई काठियावाड़ी से लेकर KGF-2, RRR तक, सिनेमाघरों में नहीं देख पाए तो OTT प्लेटफॉर्म पर देखें
RRR, KGF 2 से लेकर गंगूबाई काठियावाड़ी तक 2022 की बड़ी फिल्में OTT प्लेटफॉर्म पर देखें

1- फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी

(Gangubai Kathiawadi) की कहानी मशहूर लेखक एस हुसैन जैदी की किताब 'माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई' के एक अध्याय पर आधारित है l डायरेक्टर संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) के बर्थडे के खास मौके पर मच अवेटेड फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' (Gangubai Kathiawadi) का टीजर 24 फरवरी को रिलीज किया गया l टीजर के रिलीज होते ही सोशल मीडिया पर लोग इसकी तारीफ करने लगे हैं l टीजर में आलिया का दमदार लुक देखते ही बन रहा है..

इसके साथ ही टीजर में सुनाई दिए डायलॉग्स भी खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं l शुरुआत के डायलॉग 'कहते हैं कमाठीपुरा में कभी अमावस की रात नहीं होती, क्योंकि वहां गंगू रहती है l 'सोशल मीडिया पर छाया हुआ है l  लेकिन क्या आप जानते हैं कि आलिया भट्ट जिन गंगूबाई के किरदार में नजर आ रही हैं आखिर उनकी असली कहानी क्या है.

फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' (Gangubai Kathiawadi) की कहानी मशहूर लेखक एस हुसैन जैदी की किताब 'माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई' के एक अध्याय पर आधारित है l गुजरात के काठियावाड़ से आईं गंगूबाई कठियावाड़ी, 60 के दशक में मुंबई के कमाठीपुरा में वेश्यालय चलाती थीं.

गंगूबाई काठियावाड़ी की काठियावाड़ से मुंबई तक पहुंचने की कहानी काफी दर्दनाक है l गंगूबाई का असली नाम गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी था. गुजरात के काठियावाड़ के एक समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखने वालीं गंगा मुंबई आकर हीरोइन बनना चाहती थीं.

16 साल की कच्ची उम्र में गंगा अपने पिता के अकाउंटेंट के प्यार में पड़ गई और उनके साथ मुंबई चली आईं l यहां आकर दोनों ने शादी कर ली l शादी के कुछ ही दिनों बाद गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी के पति ने महज कुछ रुपयों के लिए उन्हें एक कोठे पर बेच दिया l इसके बाद गंगा की जिंदगी में इतने उतार-चढ़ाव आए कि वह गंगा से वह कोठेवाली गंगूबाई बन गईं l गंगूबाई हमेशा सेक्स वर्कस के अधिकारों के लिए आवाज उठाती थीं.

कहा जाता है कि गंगूबाई किसी को अपनी मर्जी के बिना कोठे पर नहीं रखती थीं l गंगूबाई ने अपनी जिंदगी में सेक्सवर्कस और अनाथ बच्चों के लिए बहुत काम किया था l हुसैन जैदी की किताब में गंगूबाई काठियावाड़ी की माफिया डॉन करीम लाला से करीबी का भी जिक्र है.

2- निर्देशक- एसएस राजामौली........ फिल्म - RRR

स्टारकास्ट- राम चरण, जूनियर एनटीआर, अजय देवगन, आलिया भट्ट, ओलिविया मॉरिस, समुथिरकानी, रे स्टीवेन्सन, एलिसन डूडी

RRR 1920 के ब्रिटिशकालीन भारत में स्वतंत्रता सेनानी कोमाराम भीम और अल्लूरी सीतारामाराजू के युवा दिनों का एक काल्पनिक वर्णन करती है। अब जबकि कहानी काल्पनिक है.. तो यहां निर्देशक हर तरीके की रचनात्मक स्वतंत्रता भी लेते हैं।

देशभक्ति और दोस्ती से सजी राजामौली की इस कहानी में, अभिनय से दिल जीतते हैं Jr NTR और राम चरण

वह दो किरदारों को दर्शकों से मिलाते हैं, एक है "आग"- आक्रोश और ताकत से भरा एक पुलिस अफसर रामराजू, जो अंग्रेजों के लिए लड़ रहा है; दूसरा है "पानी"- सीधा, सच्चा, हिम्मती भीम, जो अंग्रेजों से अपनी जनजाति की एक बच्ची बचाने के लिए उनसे लड़ रहा है। यहीं से शुरु होती है कहानी। राजामौली के फिल्मों की खासियत है कि वह पहले दृश्य से ही अपनी कहानी के साथ दर्शकों को इस तरह जोड़ते हैं कि आप उस कहानी का हिस्सा बन जाते हैं। फिर आप उसका अंत जरूर जानना चाहते हैं। RRR भी इस फॉरमूला पर सफल उतरती है।

कहानी 1920 के ब्रिटिशकालीन भारत में अदिलाबाद के जंगलों में रहती हैं गोंड जनजाति। जहां से स्कॉट और उनकी पत्नी एक बच्ची मल्ली को जबरदस्ती उठा कर दिल्ली ले आते हैं। इस जनजाति में हर समूह के लिए एक रखवाला होता है, जो अपने लोगों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। मल्ली को बचाने के लिए आता है भीम (जूनियर एनटीआर)- गतिवान और बलवान। लेकिन अंग्रेज सरकार को इसकी भनक लग जाती है और भीम को रोकने के लिए वो चुनते हैं रामराजू उर्फ़ राम (राम चरण) को, जो कि अंग्रेजों के अधीन बतौर पुलिस अफसर काम करता है। ना राम ने कभी भीम को देखा होता है, जहां भीम ने राम को। लिहाजा, एक घटना के साथ दोनों में दोस्ती होती है और समय के साथ वह गहराती जाती है। दोनों एक दूसरे पर जान छिड़कते हैं। लेकिन भीम किसी भी तरह मल्ली को अंग्रेजों के बीच से निकालना चाहता है, और राम उतनी ही शिद्दत से उसे पकड़ना चाहता है। ऐसे में क्या होगा जब दोनों को एक दूसरे की सच्चाई पता चलेगी? इसी पहेली के इर्द गिर्द घूमती है कहानी। फिल्म फ्लैशबैक में हमें रामाराजू के बचपन में भी ले जाती है, जहां उसके पिता (अजय देवगन) और सीता (आलिया भट्ट) की कहानी चलती है। फ्लैशबैक के साथ कहानी में कई राज खुलते हैं, जो कि सेकेंड हॉफ में फिल्म को दिलचस्प बनाते हैं।

निर्देशन :  निर्देशक एसएस राजामौली ने इस फिल्म को मुख्य तौर पर दो भावनाओं पर चलाया है, देशभक्ति और दोस्ती। ये दोनों ही भाव ऐसे हैं जो सीधे दिल को छूते हैं। इसके साथ यहां दिखती हैफिल्म की भव्यता और दमदार एक्शन सीन्स। राजामौली काल्पनिक कहानियों को गढ़ने में मास्टर हैं और RRR के साथ उन्होंने एक बार फिर ये साबित कर दिया है। फिल्म में उन्होंने कई ऐसे दृश्य डाले हैं, जो बडे़ पर्दे पर देखना अपने आप में एक शानदार अनुभव है। वहीं, फिल्म से यह बात भी साफ झलकती है कि जूनियर एनटीआर और रामचरण के स्टारडम को काफी ध्यान में रखा गया है। निर्देशक ने दोनों को बिल्कुल बराबर heroic मोंमेंट्स दिये हैं। उन्होंने उनके किरदारों को आग और पानी के रूप में दिखाया है। राम आग है तो भीम पानी.. एक दृश्य में राम कहता है- "जो क्रांति मैं बंदूकों के जरीए लाना चाहता था, वो भीम की एक गीत ने ला दिया".. दो पक्ष जहां फिल्म थोड़ी कमजोर पड़ती है, वो है इमोशनल कनेक्नट और सेकेंड हॉफ में पटकथा की धीमी गति। निर्देशक कई दृश्यों के सहारे आपको किरदारों से जोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन आप भावुकता के उस स्तर पर नहीं पहुंच पाते, जहां आप किरदार के लिए महसूस करने लगें।

अभिनय फिल्म पूरी तरह से जूनियर एनटीआर और राम चरण की है। निर्देशक भी दोनों कलाकारों के स्टारडम से वाकिफ हैं, लिहाजा उन्होंने दोनों को बराबर मौका दिया है। भावुक दृश्य हों या फाइट सीन्स, संवाद हो, इंट्रो हो या स्क्रीन पर उपस्थिति हो, दोनों कलाकारों के हिस्से में सबकुछ बराबर आया है। लिहाजा, उन्होंने भी अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। एक्शन दृश्यों में जूनियर एनटीआर और राम चरण अति दमदार लगे हैं, तो वहीं भावुक दृश्यों में दोनों की आंखें बोलती हैं। अजय देवगन कुछ ही मिनटों के लिए स्क्रीन पर आते हैं, लेकिन छाप छोड़ते हैं। सीता के रोल में आलिया भट्ट अच्छी लगती हैं। वहीं, सहायक भूमिकाओं में ओलिविया मॉरिस, समुथिरकानी, रे स्टीवेन्सन, एलिसन डूडी, श्रिया शरण ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है।

तकनीकी पक्ष फिल्म के सबसे मजबूत पक्षों में है फिल्म की सिनेमेटोग्राफी, जो दी है केके सेंथिल कुमार ने। बाहुबली फ्रैंचाइजी के बाद राजामौली और सेंथिल कुमार एक बार फिर साथ आए हैं और कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि राजामौली की भव्यता के विज़न को सेंथिल कुमार बखूबी कैमरे में उतारते हैं। RRR में कई दृश्य ऐसे हैं, जो लंबे समय तक आपके दिमाग में टिके रहते हैं। फिल्म के हिंदी संवाद लिखे हैं रिया मुखर्जी हैं, जो कि औसत हैं। फिल्म में इक्के दुक्के ही डायलॉग्स हैं, जो आपका ध्यान आकर्षित करते हैं। वहीं, ए श्रीकर प्रसाद की एडिटिंग सराहनीय है। हालांकि फिल्म की लंबाई 10-15 मिनट कम की जा सकती थी।

संगीत फिल्म का संगीत दिया है एमएम क्रीम ने, जो कि फिल्म को ऊपर उठाने का काम करता है। बैकग्राउंड में बजती 'दोस्ती' जहां आपको उत्साहित करती है, 'नाचो नाचो' में कलाकारों की एनर्जी हैरान होने पर मजबूर करती है, वहीं 'जननी' भावुक कर जाती है। गानों के हिंदी बोल रिया मुखर्जी और वरुण ग्रोवर ने लिखे हैं। वहीं, फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी जबरदस्त है।

देंखे या ना देंखे एसएस राजामौली के निर्देशन में बनी RRR सिनेमाघरों में देखने के लिए एक परफेक्ट फिल्म है, जहां हर सीन की भव्यता आपको हैरान कर देती है। जूनियर एनटीआर और रामचरण के फैन हैं तो ये फिल्म आपके लिए Must watch है। इण्डियन हेल्पलाइन न्यूज़ की ओर से आरआरआर को 8/10 स्टार।

3-KGF का मतलब Kolar golds fields होता है : ये कर्नाटका स्थित एक सोने की खदान हैं और हाल ही में इस नाम से पूरे सिनिमा जगत में भौकाल काटा हुआ हैं, दरअसल KGF एक साउथ इंडियन एक्शन मूवी है। यह मूवी पहले कन्नड़ भाषा मे बनी और अब बारी हैं आपकी और हम सबकी भाषा “हिंदी” में, इस मूवी को देखने की, इसका चर्चों में बने रहने का विशेष कारण इस मूवी की स्टोरी और अक्षनपैक सिनेमाटोग्राफी हैं, जो कि फैन्स को अपने आप से चिपके रहने पर मजबूर कर देती हैं। आपको बता दें कि KGF2 इस मूवी का दूसरा पार्ट हैं l

फिल्म ‘केजीएफ चैप्टर 2’ यानी ‘केजीएफ 2’ को देखने के बाद सबसे पहले वह बात जो सभी लोग सबसे पहले जानना चाहते हैं, ‘क्या केजीएफ 3’ भी बनेगी? तो इसका जवाब हां में है। फिल्म बनाने वालों ने फिल्म के अगले अध्याय का सूत्र फिल्म के क्लाइमेक्स में दिखा दिया है। फिल्म ‘केजीएफ चैप्टर 2’ एक विशाल कैनवस के लिए सोची गई कहानी है। आईमैक्स पर इसे देखने का आनंद ही कुछ और है, हां, बशर्ते सिनेमाघर का ऑडियो सिस्टम ठीक से काम कर रहा हो। सिनेमा दृश्य श्रव्य माध्यम है, अंग्रेजी में ऑडियो विजुअल। जो दिख रहा है और जो सुनाई दे रहा है, उसका संतुलन फिल्म ‘केजीएफ चैप्टर 2’ में कमाल का साधा गया है। परदे पर कुछ नहीं दिख रहा हो और आवाज आ रही हो तो भी दर्शक समझ जाता है कि आखिर चल क्या रहा है! ये फिल्म सिनेमा में ‘एंग्री यंगमैन’ का वजूद भी तलाशती है और जिस तरह यश के परदे पर पहले प्रवेश पर सिनेमाहॉल में दर्शकों की सीटियां, तालियां और शब्दावलियां गूंजती हैं, उनसे लगता यही है कि सिनेमा असल में यही है।

फिल्म ‘केजीएफ चैप्टर 2’ की कहानी कोलार गोल्ड फील्ड पर कब्जे की कहानी में पिछली फिल्म में ही तब्दील हो चुकी थी। मुंबई से निकला रॉकी अब दुनिया पर राज करना चाहता है। प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रतीक्षा कक्ष में वह अपना परिचय देश के सीईओ के रूप में देता है। सोने के अवैध कारोबार की देश विदेश से कड़ियां जोड़ती ये फिल्म देश की वित्तीय व्यवस्था की उस कमजोर कड़ी पर भी चोट करती है, जिसमें गुमनाम लोगों के बैंक खाते खोलकर लोग रातों रात अरबपति बन गए। फिल्म ‘केजीएफ चैप्टर 2’ की कहानी सुनाने के लिए इस बार आनंद नहीं है। कहानी उनका बेटा विजयेंद्र सुना रहा है। कहानी के किरदार जाने पहचाने हैं। फिल्म अपनी पूर्ववर्ती फिल्म ‘आरआरआर’ की तरह दिल्ली तक चढ़कर आती है। दक्षिण में बन रहे सिनेमा की कहानी को उत्तर तक लाने की जो शुरुआत मणिरत्नम ने फिल्म ‘रोजा’ में की थी, उस परंपरा की वाहक अब ‘आरआरआर’ और ‘केजीएफ चैप्टर 2’ जैसी मेगा बजट फिल्में बन रही हैं।

कहानी - केजीएफ चैप्टर 2' की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां इस फिल्म का पहला भाग खत्म हुआ। रॉकी काफी बड़ा भी हो गया है और समझदार भी। उसका सपना है कि वह सोने के व्यापार पर राज करे। अभिनेता यश के किरदार रॉकी ने अपनी मरती हुई मां से वादा किया था कि वह गरीबी में अपना दम नहीं तोड़ेगा। संजय दत्त फिल्म में मुख्य खलनायक अधीरा के किरदार में हैं। वहीं अभिनेत्री रवीना टंडन रॉकी के प्यार के किरदार में नजर आएंगी। रॉकी अपने दुश्मनों का खात्मा कर उन्हें सबक सिखाने की कोशिश करेगा लेकिन इस काम में उसका प्यार बाधा बनता है। 'केजीएफ 2' के पहले राउंड में अधीरा को जीत हासिल हो गई, लेकिन फर्स्ट हाफ में उसके भतीजे गरुड की मौत हो जाती है। 

इसके बाद अधीरा रॉकी की जान का दुश्मन बन जाता है। यश की फिल्म शुरू से अंत तक एक्शन, थ्रिलर और सस्पेंस से भरपूर है। फिल्म जो वादा करती है उसे पूरा भी करती है, ये एक किंग साइज एंटरटेनर है। प्रशांत नील द्वारा निर्देशित यह फिल्म दर्शकों को बांधे रखती है और आगे क्या होगा, इसकी उत्सुकता जगाती है। फिल्म का क्लाइमैक्स तो जबरदस्त और दर्शकों के रोंगटे खड़े कर देने वाला है

( KGF1 जो कि इस मूवी बेस स्टोरी थी वह लोगो को बेहद ही पसन्द आई थीं और इसके बाद 2nd पार्ट को देखने के लिए दर्शक काफी उत्तसाहित है। इस मूवी के निर्देशक एवं लेखक प्रशांत नील है और इस फिल्म में मेन स्ट्रिंग करने वाले अभिनेता यश हैं।

अगर हम इस मूवी के पहले पार्ट यानी कि kgf1 की बात करें तो उसने दुनियाभर के बॉक्सऑफिस पर 200 करोड़ से ऊपर की कमाई की थीं, वहीं अब ये देखना बेहद ही खास होगा कि KGF2 कितनी मसालेदर होती हैं।इस मूवी का पार्ट 2 का बजट 100 करोड़ रुपये है, वहिं इससे पहले बनी KGF1 को बनाने में कुल 80 करोड़ रुपय का खर्च आया था। इस बार दर्शकों और फ़िल्म निर्माताओं दोनों में ही इस फ़िल्म के प्रति कोतोहल बरकरार हैं।

हालांकि kgf में मुख्य रोल करने वाले अभिनेता का वास्तविक नाम “नवीन कुमार गौड़ा” है, जो कि अपने फैन्स के बीच यश नाम से बेहद ही फेमस हैं। उन्होंने इस मूवी में Rocky का किरदार निभाया हैं )

साउथ इंडियन फ़िल्म इंडस्ट्री “टॉलीवुड” बल्कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री “बॉलीवुड” पर भी इस मूवी KGF2 ने धूम मचा दी हैं, जैसा कि इस मूवी के पहले एडिशन यानी कि KGF1 में हमने देखा कि एक बच्चा जिसका नाम Rocky होता हैं, उसकी माँ बचपन में ही बीमार होकर मर जाती हैं, मगर मरने से पहले अपने बेटे यानी Rocky से वह एक वचन लेती हैं और वहिं वचन इस पूरी कहानी का आधार हैं।

दरअसल वह यह चाहती हैं कि उसका “बेटा” दुनिया का सबसे अमीर सख्श बनें और इसी सपने को आंखों में सजाएं Rocky सपनो के शहर मुम्बई की ओर निकल जाता हैं, जहाँ वो कई कारनामे करते हैं, जिससे कि उसकी अच्छी-खासी पहचान बन जाती हैं और अब हर तरफ Rocky का ही दबदबा होता हैं, अब Rocky इतना ताकतवर बन जाता हैं कि Shetty जिसके लिए वो खुद काम करता हैं, वह भी अब उससे ख़ौफ़ खाता हैं।

ऐसे में हम अब Rocky को कर्नाटक में एक सीक्रेट मिशन पर भेजा जाता हैं, एमजीआर वहां मिशन से हटकर वो KGF यानी Kolar Gold Farm में जबरन अगुआ करके लाए गए मजदूरों के लिए लड़ाई लडता हैं।