महाशिवरात्रि पर बन रहा मनोकामना पूरी होने का योग : कल है महाशिवरात्रि, जानें कैसे करें शिव की आराधना, देखें पूजा विधि,शुभ मुहूर्त और आरती
शिव पुराण में लिखा है कि महाशिवरात्रि पर शिवलिंग से ही सृष्टि शुरू हुई थी। इस दिन सबसे पहले भगवान विष्णु और ब्रह्माजी ने शिवलिंग की पूजा की थी। तब से हर युग में इस तिथि पर भगवान शिव की महापूजा और व्रत-उपवास करने की परंपरा चली आ रही है।….
इस दिन भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 1 मार्च, मंगलवार को है। भोलेनाथ को समर्पित महाशिवरात्रि के दिन पंचग्रही योग बनने से इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है। शिव पुराण में लिखा है कि महाशिवरात्रि पर शिवलिंग से ही सृष्टि शुरू हुई थी। इस दिन सबसे पहले भगवान विष्णु और ब्रह्माजी ने शिवलिंग की पूजा की थी। तब से हर युग में इस तिथि पर भगवान शिव की महापूजा और व्रत-उपवास करने की परंपरा चली आ रही है। इस पर्व पर दिनभर तो शिव पूजा होती ही है, लेकिन ग्रंथों में रात में पूजा करने का खास महत्व बताया गया है। इस पर्व से जुड़ी मान्यता ये भी है कि इस दिन भगवान शिव-पार्वती का विवाह हुआ था।
दुर्लभ ग्रह स्थिति और 6 दुर्लभ योगों का संयोग : महाशिवरात्रि पर इस साल ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है। मकर राशि के बारहवें भाव में पंचग्रही योग का निर्माण हो रहा है। इस राशि में मंगल, बुध, शुक्र, चंद्रमा और शनि विराजमान होंगे। साथ ही शंख, पर्वत, हर्ष, दीर्घायु और भाग्य नाम के राजयोग बन रहे हैं। इस दिन मकर राशि में चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र और शनि रहेंगे। इन ग्रहों के एक राशि में होने से पंचग्रही योग बन रहा है। वहीं, इस महा पर्व पर कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति बनना भी शुभ रहेगा। बृहस्पति धर्म-कर्म और सूर्य आत्मा कारक ग्रह होता है। इन दोनों ग्रहों की युति में शिव पूजा का शुभ फल और बढ़ जाएगा। शिवरात्रि पर सितारों की ऐसी स्थिति पिछले कई सालों में नहीं बनी।
पूजा के मंत्र
- ॐ सर्वात्मने नम:
- ॐ त्रिनेत्राय नम:
- ॐ हराय नम:
- ॐ इन्द्रमुखाय नम:
- ॐ श्रीकंठाय नम:
- ॐ वामदेवाय नम:
- ॐ तत्पुरुषाय नम:
- ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्द्धनम्।
- ऊर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षिय मामृतात्।
- ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ
व्रत कैसे करें, महाशिवरात्रि पूजा विधि : शिव रात्रि को भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान करा कराएं. केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं. पूरी रात्रि का दीपक जलाएं. चंदन का तिलक लगाएं. तीन बेलपत्र, भांग धतूर, , तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं. सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें.
- मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि जालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
- महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है।
- शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि का पूजा निशील काल में करना उत्तम माना गया है। हालांकि भक्त अपनी सुविधानुसार भी भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।
- शिवरात्रि पर सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल और काले तिल मिलाकर नहाएं। इसके बाद दिनभर व्रत और शिव पूजा करने का संकल्प लें। व्रत या उपवास में अन्न नहीं खाना चाहिए। पुराणों में जिक्र है कि पूरे दिन पानी भी नहीं पीना चाहिए। जानकारों का कहना है कि इतना कठिन व्रत न कर सकें तो फल, दूध और पानी पी सकते हैं। इस व्रत में सुबह-शाम नहाने के बाद शिव मंदिर दर्शन के लिए जाना चाहिए।