संपादकीय : उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिली जीत कुशल राजनीतिक प्रबंधन की एक बेहतरीन मिसाल

जनादेशों ने प्रधानमंत्री की प्रासंगिकता और लोकप्रियता को एक बार फिर सत्यापित किया है।देश के सबसे महत्वपूर्ण सूबे उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिली जीत कुशल राजनीतिक प्रबंधन की एक बेहतरीन मिसाल है....

संपादकीय :  उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिली जीत कुशल राजनीतिक प्रबंधन की एक बेहतरीन मिसाल

भाजपा के लिए ‘नाक का सवालबने उप्र में भाजपा ने 257 के करीब सीटें हासिल की हैं। यह स्पष्ट बहुमत से भी ज्यादा है। देश के सबसे महत्वपूर्ण सूबे उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिली जीत कुशल राजनीतिक प्रबंधन की एक बेहतरीन मिसाल है l संपूर्णानंद और 1985 में नारायण दत्त तिवारी के बाद योगी आदित्यनाथ उप्र के तीसरे मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें लगातार दूसरी बार जनादेश मिला है। उप्र में योगी आदित्यनाथ ने यह करके दिखाया l

चुनावी समर में उत्तर प्रदेश की जनता ने इस बार भगवा रंग को अपना लिया है। जनता जनार्दन का जनादेश कुछ ऐसा ही कह रहा है। दरअसल राजनीकि दल अपने झंडे और रंग को चुनते हैं, जिनसे उनकी पहचान होती है। अब जब राज्य की जनता ने बीजेपी सरकार को सत्ता में रहते हुए लगातार दूसरी बार चुना है l

2024 के आम चुनावों की ज़मीन भी पुख्ता कर दी है, उसके मद्देनजर अब विपक्षी दलों को कमोबेश प्रधानमंत्री मोदी के प्रति नफरत की हद तक राजनीति छोड़ देनी चाहिए। जनादेशों ने प्रधानमंत्री की प्रासंगिकता और लोकप्रियता को एक बार फिर सत्यापित किया है। वर्ष 2002 के बाद बीजेपी करीब डेढ़ दशक तक सत्ता से बाहर रही। 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के बाद 2017 में यूपी में भी भाजपा ने वापसी की। पांच साल तक योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। लेकिन अपने काम और दमदार छवि, गुंडों, माफियाओं की कमर तोड़ने वाली बीजेपी की योगी सरकार ने एक बार फिर जबरदस्त वापसी की है। अब अपने नेतृत्व में उत्तर प्रदेश विधानसभा में अधिक सीटें हासिल करके योगी आदित्यनाथ ने संकेत दे दिया है कि वे ऊपर आना चाहते हैं l इस जीत से निश्चित रूप से उनका कद बढ़ा है.

कोरोना वायरस के संक्रमण काल से लेकर आज तक भारत सरकार और कुछ राज्य सरकारों ने भी मुफ्त खाद्यान्न मुहैया कराया है। गेहूं, चावल के अतिरिक्त दाल, खाद्य तेल, चीनी और नमक का एक पैकेज बनाया गया और देश भर में 80 करोड़ से अधिक नागरिकों को कमोबेश भूखा नहीं सोने दिया गया। ‘लाभार्थी’ समूह इससे प्रभावित हुआ है। अब जनता की पुरजोर अपेक्षा रहेगी कि पूरे पूर्वोत्तर को अफस्पा से मुक्त किया जाए। अब दबाव केंद्र सरकार पर भी रहेगा, क्योंकि यह व्यवस्था भारत सरकार के स्तर पर लागू की जाती रही है। चूंकि भारत पूरी तरह एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का देश है, लिहाजा जनादेश के बाद की अपेक्षाएं बेहद महत्त्वपूर्ण हैं।


विपिन शर्मा
प्रधान सम्पादक