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कविता
श्री राम की सिया के नाम लिख दीन्हीं चिठिया
हे सीते ! मैं तुम्हारी सखी ! तुम्हारे रुदन को अपने हर्दय में समाये हुए हूँ ! क्योंकि...
एकाकीपन (कविता)
जो रेत की तरह सरक गये मुट्ठी से, क्या वापस आ सकते हैं? घड़ी की टिक-टिक पर जब वक्त...
हर तस्वीर अधूरी है (महकती रचनाएं)
अनगिनत लम्बी यादों के उतार चढ़ावों से भरीं जिन्दगी में बहुत कुछ गुजरा जैसे … कुछ...