UP में 24 जिलों के 1,171 गांव बाढ़ में डूबे : इटावा में श्मशान में रहने को मजबूर परिवार, मिर्जापुर में सबसे ज्यादा 400 गांवों में घुसा पानी; प्रदेश में 5 लाख की आबादी सड़क पर

प्रदेश में 5 लाख की आबादी सड़क पर, मिर्जापुर में सबसे ज्यादा 400 गांवों में घुसा पानी, सड़क और ऊंचे स्थानों पर लोग पन्नी का टेंट लगाकर जीवन जीने को मजबूर हैं।

UP में 24 जिलों के 1,171 गांव बाढ़ में डूबे : इटावा में श्मशान में रहने को मजबूर परिवार, मिर्जापुर में सबसे ज्यादा 400 गांवों में घुसा पानी; प्रदेश में 5 लाख की आबादी सड़क पर
1 हजार से ज्यादा गांव पानी में डूबे, 5 लाख से ज्यादा की आबादी सड़क पर

यूपी में बाढ़ की विभीषिका कम नहीं हुई है। अभी 1 हजार से ज्यादा गांव पानी में डूबे हैं। 5 लाख से ज्यादा की आबादी सड़क पर आ गई है। हालांकि, कई जिलों में अब नदियों का जलस्तर कम हो रहा है, लेकिन अभी राहत नहीं मिली है। जिन गांवों में पानी उतर गया है। वहां दलदल और कीचड़ ने जीना मुहाल किया है। संक्रामक बीमारियों के फैलने का डर है। सड़क और ऊंचे स्थानों पर लोग पन्नी का टेंट लगाकर जीवन जीने को मजबूर हैं।

24 जिलों में 1,171 गांव जलमग्न : प्रदेश के राहत आयुक्त कार्यालय के मुताबिक, यूपी के 24 जिलों के 1171 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें मिर्जापुर के 404, प्रयागराज के 169, जालौन के 113, हमीरपुर के 77, बलिया के 68, वाराणसी के 65, कौशांबी के 54, इटावा के 47, भदोही के 36, फर्रुखाबाद के 24, कानपुर देहात के 24, आगरा के 20, चंदौली के 16, गाजीपुर के 13, औरैया के 9, लखीमपुर खीरी के 8, गोरखपुर के 7, सीतापुर के 6, शाहजहांपुर के 3, बहराइच के 2, चित्रकूट के 2, गोंडा के 2, अयोध्या और फतेहपुर के 1-1 गांव शामिल हैं।

इटावा: श्मशान घाट में पनाह ली परिवार ने : इटावा के चकरनगर तहसील में डिभौली गांव में ज्ञान सिंह का परिवार श्मशान घाट पर रहने को मजबूर है। ज्ञान सिंह बताते हैं कि खेतों के पास हमारा कच्चा घर है। अचानक रात में बाढ़ का पानी घर में घुस गया। इसकी वजह से हमें घर छोड़कर श्मशान में शरण लेनी पड़ी। उन्होंने बताया कि उनके 5 बच्चे हैं। मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं। बाढ़ में उनकी गृहस्थी का काफी सामान बह गया है। दो बकरियां भी डूब गईं हैं।

ऐसा ही हाल इटावा में कई परिवारों का है। इटावा की दो तहसील चकरनगर और बढ़पुरा ब्लॉक में 60 से ज्यादा परिवार पलायन कर ऊंचे स्थानों पर पहुंच गए हैं। कुछ परिवार राहत शिविरों में हैं तो कई टेंट में जिंदगी गुजार रहे हैं। चंबल नदी का जलस्तर कम हो रहा है, लेकिन अभी ग्रामीण जनजीवन सामान्य नहीं हो पाया है। फिलहाल, चंबल नदी अब अपने सामान्य बहाव में आना शुरू हो गई है। इस समय इसका जलस्तर 118 सेंटीमीटर के करीब है। खतरे का निशान 121.92 सेंटीमीटर है।

मिर्जापुर: यहां 400 गांव झेल रहे बाढ़ का कहर : गंगा का पानी कम हो रहा है, लेकिन गांव वालों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। अभी भी भूख और घर की चिंता उन्हें खाए जा रही है। बहरहाल, सीएम योगी के दौरे को देखते हुए अधिकारी यहां बाढ़ग्रस्त गांव का दौरा कर रहे हैं। मिर्जापुर में गंगा का पानी घटने लगा है। यहां शुक्रवार को 77.81 मीटर जलस्तर था। जबकि शनिवार सुबह 77.15 मीटर पर है।

चंदौली: 18 गांव में बाढ़ का पानी घुसा : यहां 18 गांवों में बाढ़ का पानी पहुंच गया। कई गंगा के तटवर्ती इलाके के कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर तहसील के बहादुरपुर गांव में भी गंगा का पानी प्रवेश कर गया है। गांव में नाव चलने लगी है। गांव के बहुत से लोग सुरक्षित स्थानों को पलायन कर रहे हैं। जबकि बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो अभी भी अपने घरों में फंसे हैं। बहादुरपुर गांव का आधा हिस्सा जलमग्न हो गया है। आलम यह है कि गंगा का पानी बड़े वेग से सड़क को भी पार कर गया है। इस कारण पड़ाव-भुपौली मार्ग को बंद कर दिया गया है।

बलिया: गंगा उफान पर बाढ़ में फंसे 68 गांव : बलिया में शुक्रवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने दौरा किया। उन्होंने बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री बांटी। हालांकि, यहां गंगा अभी उफान पर है। बलिया के 16 गांव ऐसे हैं, जहां बाढ़ से आबादी और फसल दोनों को नुकसान हुआ है। लगभग डेढ़ लाख की आबादी यहां बाढ़ से प्रभावित है। गंगा यहां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। शुक्रवार को गंगा का जलस्तर 60.190 मीटर रिकॉर्ड किया गया है।

कौशांबी: बाढ़ से 54 गांव प्रभावित, डेढ़ लाख की आबादी सड़क पर : यमुना नदी खतरे के निशान के 40 सेमी ऊपर बह रही है। पिछले 36 घंटे में नदी के जल में बढ़ोतरी नहीं देखी गई। बावजूद, इसके नदी के तराई में बसे डेढ़ दर्जन गांव के हालात बुरे हैं। बाढ़ ने सैकड़ों गांव को टापू बना दिया है। खाने-पीने और बुनियादी जरूरतों के लिए स्थानीय ग्रामीणों को नाव के सहारे गांव से बाहर निकलना पड़ रहा है। बदइंतजामी के हालात ऐसे हैं कि जिन लोगों के घर पानी में डूब गए, उन्हें प्राइमरी स्कूल के बाहर चूल्हे पर खाना बनाकर पेट भरना पड़ रहा है।

यमुना नदी के बाढ़ की सबसे बड़ी विभीषिका चायल तहसील के तराई वाले गांव झेल रहे हैं। मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर बसे इन गांव में सरकार की मदद नाकाफी है। मल्हीपुर, पिपरहटा, नंदा का पूरा, उपरहार, भवनसुरी जैसे गांव टापू में तब्दील हैं। गांव की गुड्डी देवी बताती हैं कि यमुना में उनकी पूरी गृहस्थी समा गई। छह दिनों से गांव के प्राइमरी स्कूल में गुजर बसर कर रही हैं। राहत सामग्री जो भी बंटी हो, वह उनके पास तक नहीं पहुंची। बस बच्चों का पेट पाल रही है।

जौनपुर: पानी में डूब गई करोड़ों की योजना : यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लखनऊ रिवरफ्रंट की तर्ज पर घाट का निर्माण कार्य हो रहा था। लगभग आठ करोड़ की लागत से 650 मीटर के दायरे में घाट का निर्माण किया जाना था। बजरंग घाट से लेकर सद्भावना पुल तक इस बाबत तैयारियां भी हो गईं थीं, लेकिन बारिश के कारण करोड़ों की लागत की यह योजना पानी में डूब गई। बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ने से पूरी परियोजना पर पानी फिर गया। बीते 5 जुलाई को इसका शिलान्यास राज्यमंत्री गिरीश यादव द्वारा किया गया था।

वहीं जौनपुर में रामपुर थाना बाढ़ से घिर गया है। आलम यह है कि अब पुलिसकर्मी रहने के लिए दूसरी जगह की तलाश कर रहे हैं। थाना बाढ़ में डूबा होने की वजह से फरियादी भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। वहीं थाना परिसर में रहने वाले पुलिसकर्मी भी बेहाल हो चुके हैं।