रक्तदान महादान : जानिये रक्तदान से जुड़ी भ्रांतियां, खुलकर करें रक्तदान, बने जीवनदानी, बचाएं जान

रक्तदान महादान कहा जाता है, लेकिन इसे लेकर लोगों के मन में कई तरह की भ्रांतियां रहती है। इसके चलते कई लोग इस महादान का हिस्सा नहीं बन पाते। कुछ लोगों को भ्रम रहता है कि इसके साइड इफेक्ट्स होते हैं, तो कुछ सोचते हैं कि दुबले लोग रक्तदान नहीं कर सकते। रक्तदान करना एक नेक कार्य है।

रक्तदान महादान : जानिये रक्तदान से जुड़ी भ्रांतियां, खुलकर करें रक्तदान, बने जीवनदानी, बचाएं जान
रक्तदान को लेकर सबसे बड़ी गलतफहमियां, जिनकी वजह से लोग रक्तदान करने से डरते हैं

रक्तदान को लेकर सबसे बड़ी गलतफहमियां, जिनकी वजह से लोग रक्तदान करने से डरते हैं

आज हम आपको ऐसी भ्रांतियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके कारण लोग रक्तदान करने से बचते हैं। रक्तदान करने में लोगों को लगता है डर। इसके पीछे हैं कई तरह की गलतफहमियां। इनसे बचकर आप भी बचा सकते हैं लोगों की जिंदगी।

रक्तदान महादान कहा जाता है, लेकिन इसे लेकर लोगों के मन में कई तरह की भ्रांतियां रहती है। इसके चलते कई लोग इस महादान का हिस्सा नहीं बन पाते। कुछ लोगों को भ्रम रहता है कि इसके साइड इफेक्ट्स होते हैं, तो कुछ सोचते हैं कि दुबले लोग रक्तदान नहीं कर सकते। रक्तदान करना एक नेक कार्य है। लेकिन हम में से बहुत कम लोग हैं जो रक्तदान के लिए आगे आते हैं। दरअसल बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्हें लगता है कि रक्तदान करने से उनकी सेहत पर असर पड़ता है। लोगों ने ऐसी मनगढ़ंत धारणाएं बनाई हुई हैं कि रक्तदान करने से शरीर कई तरह की बीमारियों का शिकार हो जाता है। आइए आपको बताते हैं ऐसे ही कुछ भ्रम जो लोगों ने रक्तदान को लेकर पाले हुए हैं। आज आपको ऐसी ही भ्रांतियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके कारण लोग रक्तदान करने से बचते हैं, जबकि इससे किसी की जिंदगी बचाई जा सकती है।

दुबले लोग रक्तदान नहीं कर सकते- यह बिल्कुल भी सच नहीं है। दुबले लोग रक्तदान कर सकते हैं और करते आ रहे हैं। हाँ इतना जरूर है कि अगर आप रक्तदान करना चाहते हैं तो आपका न्यूनतम वजन 45 किग्रा , हिमोग्लोबिन 12.5 तथा उम्र 18-65 के बीच होना चाहिए। इसका ये मतलब बिलकुल भी नहीं है कि आप दुबले-पतले हैं, तो रक्तदान नहीं कर सकते। शरीर की बनावट का इससे कोई लेना देना नहीं है। अक्सर ऐसा भी होता है कि मोटे लोग ब्लड देने के लिए अयोग्य ठहरा दिए जाते हैं क्योंकि उन्हें कई तरह की बीमारियां होती हैं।

महिलाएं नहीं कर सकतीं रक्तदान- यह भी बिल्कुल सच नहीं है। रक्तदान करने से पहले आपका हीमोग्लोबिन लेवल जांचा जाता है। हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन होता है जो हमारे खून को लाल रंग देता है और शरीर में ऑक्सिजन का संचार करता है। अगर इस प्रोटीन का स्तर कम है तो आप रक्तदान नहीं कर सकते हैं। कई बार महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होता है इसी वजह से उन्हें रक्तदान करने से मना किया जाता है। पर ये बात भी सच है कि भारत में रक्तदान के मामलों में महिलाओं की काफी कमी है। यह कुल होने वाले रक्तदान का सिर्फ 4 प्रतिशत के लगभग ही है।

रक्तदान करने में तकलीफ होती है- यह भी सच नहीं है। रक्तदान बिल्कुल आसान प्रक्रिया है। रक्त लेने के लिए स्वास्थ्यकर्मी एक छोटी सी नीडल आपकी बांह में इंजेक्ट करते हैं। इसका आपको अहसास भी नहीं होता। इसके अलावा कुछ भी नहीं करना होता है। इस प्रक्रिया के दौरान आपको हल्की सी चुभन(चींटी काटने जैसा) महसूस होगी और ट्रांसफर पूरा होने के बाद आप बिल्कुल अच्छा महसूस करने लगेंगे।

शाकाहारी लोगों के लिए रक्तदान करना सही नहीं- ये गलत धारणा है। माना जाता है कि मीट खाने वालों को भरपूर आयरन मिलता है, जो हीमोग्लोबिन बनाने के लिए जिम्मेदार होता है और हीमोग्लोबिन ज्यादा होने पर ही ब्ल्ड डोनेट किया जा सकता है। लेकिन आपको बता दें कि शाकाहारी लोग भी रक्तदान करने के लिए योग्य होते हैं। भारतीय आहार में कई ऐसे फूड हैं जो आयरन के स्रोत हैं – जैसे पालक, राजमा, किशमिश, चने आदि।

हमारे शरीर में ब्लड सीमित है और दूसरे को खून देना बॉडी के लिए सही नहीं- यह पूरी तरह से गलत है। हमारी बॉडी में स्टेम सेल्स टूटकर रक्त के कई घटक बनाते रहते हैं। ये सेल्स लगातार बनते हैं क्योंकि ये कुछ घंटों से लेकर 12 दिनों में खत्म हो जाते हैं। जब आप ब्लड डोनेट करते हैं तो आपके शरीर को रेड ब्लड सेल्स में कमी का सिग्नल मिलता है। इससे अतिरिक्त RBCs का निर्माण होता है। ऐसे में रक्तदान करने से खून की कमी बिल्कुल भी नहीं होती, न ही आप बीमार पड़ते हैं।

 इसके अतिरिक्त कुछ अन्य भ्रांतियों पर भी चर्चा कर लेते हैं, जिनसे आपके भ्रम काफी हद तक दूर हो जाएंगे-

 रक्तदान से शरीर कमजोर होता है- लोगों का मानना है कि रक्तदान करने से शरीर कमजोर हो जाता है, लेकिन ये बात सच नहीं है। रक्तदान करने के बाद आपका शरीर कमजोर नहीं बल्कि रक्तदान से नए Blood cell बनते है जिससे हमे नयी ऊर्जा का एहसास होता है। बशर्ते आप चिकित्सक की बताई बातों का पालन करें।

रक्तदान तकलीफदेह प्रक्रिया है- अक्सर लोग ये मानते हैं कि रक्तदान करने की प्रक्रिया काफी तकलीफदेह होती है। इंजेक्शन की वजह से उन्हें लंबे समय तक दर्द झेलना पड़ेगा लेकिन ये बात भी सच नहीं है।

 एक बार से ज्यादा रक्तदान नहीं कर सकते- लोगों को लगता है कि वो सिर्फ एक बार ही रक्तदान कर सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। एक स्वस्थ व्यक्ति साल में 4 बार रक्तदान कर सकता है। आप 3 महीने या 90 दिनों के अंतराल पर एक बार रक्तदान कर सकते हैं।

रक्तदान करने से बढ़ता है तनाव- ना जाने क्यूं लोगों ने ये भ्रम पाला हुआ है कि रक्तदान करने से तनाव बढ़ता है। लोग मानते हैं कि रक्तदान के बाद से सिर दर्द की समस्या बढ़ जाती है। लेकिन सच इससे बिल्कुल परे है। रक्तदान करने से ना तो किसी तरह का तनाव होता है और ना ही सिर दर्द की समस्या।

रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है- कई लोगों का यह मानना है कि रक्तदान से रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होती है, लेकिन ये सरासर गलत है। रक्तदान से आपका स्वास्थ्य और अच्छा होता है।

 रक्तदान करने से ब्लड प्रेशर स्थिर नहीं रहता- रक्तदान को लेकर ये भ्रम भी काफी लोकप्रिय है कि इसके बाद व्यक्ति को बीपी की समस्या होती है। लेकिन इस बात से डॉक्टर्स भी मना करते हैं कि रक्तदान के बाद हाई या लो बीपी जैसी कोई समस्या उत्पन्न होती है।

समय काफी लगता है- रक्तदान करने में काफी समय लगता है और यही सोचकर बहुत से लोग इस नेक कार्य को करने से चूक जाते हैं। लेकिन रक्तदान ज्यादा से ज्यादा आधे घंटे की प्रक्रिया है।

इन्फेक्शन फैलने का डर- रक्तदान के बाद लोगों को इंफेक्शन फैलने का डर रहता है। लेकिन ब्लड डोनेट करने के बाद किसी तरह का इंफेक्शन नहीं होता, क्योंकि हर बार नई सिरिंज के माध्यम से ही रक्तदान कराया जाता है।

धूम्रपान करने वाले रक्तदान नहीं कर सकते- हाँ अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो आप रक्तदान करने से ठीक एक घंटा पहले और बाद में धूम्रपान नहीं कर सकते।

वजन पर फर्क पड़ता है- अगर आपसे कोई यह बोले कि रक्तदान करने के बाद वजन घटता या बढ़ता है, तो बिल्कुल ना माने। रक्तदान करने के बाद आपके वजन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

गर्भवती महिला रक्तदान कर सकती है- यह बात सरासर गलत है। गर्भवती महिला भले कितनी भी स्वस्थ हो लेकिन वो रक्तदान नहीं कर सकती। इससे उसे एवं गर्भ के बच्चे पर प्रभाव पड़ सकता है।

रक्तदान से शरीर में आइरन की कमी हो जाती है- रक्तदान करने से शरीर में किसी भी तरह की आइरन की कमी नहीं होती है।

रक्तदान के बाद करें पूरा एक दिन आराम- रक्तदान करने के बाद भी आप अपने दिनभर का काम आराम से कर सकते हैं। रक्तदान के बाद आपको पूरे दिन के आराम की कोई जरूरत नहीं होती।

इसके अतिरिक्त एक और महत्वपूर्ण बात – जब आप रक्तदान करते हैं, तो आपको उसके लिए एक प्रमाड़पत्र रक्तकोष द्वारा दिया जाता है। अगले 30 दिनों में अगर आपको या आपके किसी परिचित को रक्त की आवश्यकता पड़ती है, तो उस प्रमाड़पत्र को वापस देकर आप उसके बदले में रक्त प्राप्त कर सकते हैं।

 आशा है कि आपके ज्यादातर प्रश्नों के उत्तर आपको मिल चुके होंगे। आपका रक्तदान को लेकर भ्रम भी समाप्त हो गया होगा। आशा करते हैं कि आप आवश्यकता पड़ने पर रक्तदान करके किसी की ज़िंदगी अवश्य बचाने का पुनीत कार्य अतिशीघ्र अवश्य करेंगे।

याद रखिए कि रक्त एक ऐसी चीज़ है जिसे वैज्ञानिक अभी तक नहीं बना सके हैं। आपके द्वारा किए गए रक्तदान से ही किसी जरूरतमंद की जान बच सकती है। इसलिए प्रतिज्ञा करें कि रक्तदान से कभी पीछे नहीं हटेंगे।

संकलनकर्ता:-

आलोक अग्रवाल
स्वैच्छिक रक्तदानी
बलरामपुर/लखनऊ