भावनाओं की अभिव्यक्ति है रंगोली

रंगोली के माध्यम से हम अपनी आस्था व परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी चलाने का प्रयास करते हैं तथा हम जो कह नहीं पाते अपने उन विचारों को रंगोली के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं साथ ही अपने देवी-देवताओं के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए अपने घर परिवार को गौरवशाली इतिहास का एहसास कराते हैं।

भावनाओं की अभिव्यक्ति है रंगोली
दीपावली के पर्व पर रंगोली बनाने की प्रथा प्रचलित है

दीपावली हमारे देश का सबसे बड़ा पर्व है मान्यता है की जब प्रभु श्री राम ने रावण का वध करके माता सीता के साथ 14 वर्षों का वनवास व्यतीत कर अयोध्या के लिए आगमन किया तब अयोध्या वासियों ने पूरे हर्षोल्लास के साथ अयोध्या नगरी को रंग बिरंगी रंगोली व दीयों से दुल्हन की तरह सजा दिया था। तब से दीपावली के पर्व पर रंगोली बनाने की प्रथा प्रचलित हो गई।

प्राचीनतम दृष्टि से रंगोली संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है रंगो द्वारा अपने मन के भाव की अभिव्यक्ति

रंगोली के माध्यम से हम अपनी आस्था व परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी चलाने का प्रयास करते हैं तथा हम जो कह नहीं पाते अपने उन विचारों को रंगोली के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं साथ ही अपने देवी-देवताओं के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए अपने घर परिवार को गौरवशाली इतिहास का एहसास कराते हैं।

भारत जैसे सांस्कृतिक देश में जहां हर दिन त्योहारों का मेला देखने को मिलता है परंतु एक रंग ही तो है जो इन त्योहारों में जान डालने का काम करता हैं।

रंगों के बिना यह सभी तीज त्यौहार रंगहीन, अर्थहीन है,भाव वहीन है। फिर चाहे वह गणेश चतुर्थी हो, दुर्गा अष्टमी हो, होली हो या फिर दीपावली का पर्व हो सभी त्यौहार रंगों के बिना अधूरे हैं। पूरी दुनिया में शायद ही कोई ऐसी वस्तु होगी जो हमें रंगों से ज्यादा खुशियां प्रदान करती है। रंग बिरंगी वस्तुओं को देखते ही हमारा मन प्रसन्न हो जाता है। हम कितने भी मानसिक तनाव व अवसाद की स्थिति से क्यों न ग्रसित हो लेकिन रंगों के संपर्क में आते ही हमारे अंतःकरण में एक हलचल का एहसास होता है।

रंगोली हमारे समाज मैं पूर्वजों द्वारा दी गई एक विरासत है

रंगो के आधार पर मान्यता है कि रंगोली महज एक कलात्मक और सजाने की वस्तु नहीं है बल्कि रंगोली हमारे समाज मैं पूर्वजों द्वारा दी गई एक विरासत है जिसे हम पीढ़ी दर पीढ़ी से जोड़ने का प्रयास करते हैं जिसे हमारे बुजुर्गों ने भी अनुसरण किया है।

देश में रंगोली का आगमन लगभग 5000 वर्ष पूर्व पुराना माना जाता है जो कि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा सभ्यता से भी जुड़ा हुआ है इन दोनों सभ्यताओं में मंडी हुए कल्पना के निशान भी देखने को मिलते हैं। रीति-रिवाजों के अनुसार अलग-अलग इलाकों में रंगोली बनाने की शैली में विविधता तो जरूर दिखाई देती है परंतु इसके पीछे छुपी हुई भावनाएं एवं हमारी संस्कृति में एक ही समानता नजर आती है।

रंगोली भारत के प्राचीन संस्कृति एवं लोक कलाओं में से एक है एवं भारत के अनेक राज्यों में विभिन्न भाषाओं के द्वारा जानी जाती है, उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे इसे चौकपूरना कहते हैं, तो राजस्थान में मांडना कहते हैं,वहीं पर तमिलनाडु में इसे कोल्लम, उत्तरांचल में ओपल के नाम से इसे जाना जाता है, बंगाल में इसे अल्पना कहते हैं तो महाराष्ट्र में रंगोली, कर्नाटक में रंगबली, तो आंध्र प्रदेश में इसे मुग्गल और केरल में कोल्लम के नाम से भी प्रख्यात है।

बड़े-बड़े परिसरों में हमें इको फ्रेंडली रंगोली भी देखने को मिलती है जो कि पर्यावरण का अनुसरण करती है।

हमें बचपन से ही विद्यालय में रंगोली बनाने की क्रियाएं सिखाई जाती रही है जन्माष्टमी के अवसर पर बाल कलाकार रंगोली के माध्यम से अपनी नाट्य प्रस्तुति प्रस्तुत करते हैं, तो करवा चौथ के पावन पर्व पर चावल की रंगोली बनाने की प्रथा प्रचलित है, मंदिरों में रंग बिरंगे फूलों की रंगोली बनाई जाती है, तो गलियारों में लकड़ी के बुरादे की रंगोली बनाने की प्रथा प्रचलित है। दीपो की रोशनी में यह रंगोली झिलमिलाते सितारों की तरह प्रतीत होती है।

रंगोली का हमारे मस्तिष्क पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है वैज्ञानिकों व योग गुरु की मानें तो रंगों के संपर्क में आने से हमारे शरीर में कई प्रकार की गतिविधियां संपन्न होती हैं व नई ऊर्जा उत्सर्जित होकर हम पर अपना विशेष प्रभाव डालती हैं। जिससे हमें मानसिक एवं शारीरिक संतुष्टि प्राप्त होती है।

रंगोली बनाते समय अंगुली और अंगूठा मिलकर ज्ञान मुद्रा बनाते हैं जो कि मनुष्य के मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है व मस्तिष्क को सक्रिय बनाने के साथ-साथ उसकी बौद्धिक क्षमता का भी विकास करती है। रंगों के माध्यम से हम अपने अंतःकरण में उत्पन्न विचारों को उत्सर्जित करते है, एक्यूप्रेशर के हिसाब से भी यह मुद्रा मनुष्य के लिए काफी लाभदायक है जो कि हाई ब्लड प्रेशर से रक्षा करती है वह मानसिक व आंतरिक शांति प्रदान करती है। इसीलिए कहते हैं की भावनाओं की अभिव्यक्ति है रंगोली।

नीलू त्रिवेदी
समाजसेविका 
आशियाना, लखनऊ