सिपाही के नाम से बुक होटल के कमरे में रहे अधीक्षक, कमीशन की खातिर नियमो को ताक पर रखकर कर दिया लाखों का भुगतान

वित्तीय अनियमितता के इस मामले की जांच कराई जाए तो दूध का दूध पानी का पानी का सच सामने आ जाएगा। यही नही होटल से जेल संचालित करने वाले जेल अधीक्षक ने रूम सिपाही के नाम से बुक कराया और रह खुद रहे थे। इस सनसनीखेज सच का खुलासा होटल से मिले बिलों से हुआ है।

सिपाही के नाम से बुक होटल के कमरे में रहे अधीक्षक, कमीशन की खातिर नियमो को ताक पर रखकर कर दिया लाखों का भुगतान
नही होटल से जेल संचालित करने वाले जेल अधीक्षक ने रूम सिपाही के नाम से बुक कराया और रह खुद रहे थे।

बलिया जेल में हुए बवाल का मामला 

लखनऊ। कमीशन के चक्कर मे बलिया जेल अधीक्षक भुगतान के सभी नियम और कानून ही भूल गए। वित्तीय अनियमितता के इस मामले की जांच कराई जाए तो दूध का दूध पानी का पानी का सच सामने आ जाएगा। यही नही होटल से जेल संचालित करने वाले जेल अधीक्षक ने  रूम सिपाही के नाम से बुक कराया और रह खुद रहे थे। इस सनसनीखेज सच का खुलासा होटल से मिले बिलों से हुआ है।

सूत्र बताते है कि बन्दियों के बवाल के बाद कार्यवाही की भनक लगते ही अधीक्षक ने कमीशन के चक्कर मे वित्तीय नियमो को ताक पर रखकर गल्ला गोदाम व एमएसके के तहत हुई लाखो रुपये की खरीद का भुगतान कर दिया। भुगतान के लिये वित्तीय बुक (रजिस्टर) में जेलर या फिर प्रभारी जेलर की मौजूदगी (हस्ताक्षर) होना आवश्यक होता है। जेलर व प्रभारी जेलर की गैरमौजूदगी में ही भुगतान करा लिया गया। इसकी जांच कराई जाए तो सच सामने आ जायेगा। गौरतलब है कि बरेली जिला जेल में दो बन्दियों के आत्महत्या व अवैध कैंटीन संचालन में जेल अधीक्षक यूपी मिश्र को बरेली से ललितपुर और उसके बाद ललितपुर से हटाकर बलिया जेल भेजा गया था।

जेल गेटबुक में लाइन छुड़वाकर ललितपुर जेल का जेल अधीक्षक यूपी मिश्र संचालन कर रहे थे। इस शिकायत की जांच में पुष्टि होने पर शासन ने अधीक्षक यूपी मिश्र का ललितपुर से हटाकर बलिया जेल पर तैनात किया सूत्रों का कहना है कि दो जुलाई को प्रभार संभालने के बाद जेल अधीक्षक यूपी मिश्र ने सरकारी आवास में रहने के बजाय एक होटल में रुके।

इसी होटल में रहकर उन्होंने करीब एक माह तक जेल का संचालन किया। सूत्रों का कहना है कि  बलिया के होटल पार्क इन में नए जेल अधीक्षक के लिए रूम आरक्षित कराया गया था। यह रूम जेल के वार्डर के नाम से बुक कराया गया था। इस सच की पुष्टि होटल से मिले बिल से हुई। बताया गया है कि नए जेल अधीक्षक ने एक हफ्ते में ऐसा आतंक मचाया की जेल स्टाफ व बन्दियों में आक्रोश व्याप्त हो गया।

उत्पीड़न व मारपीट की घटनाओं से आजिज आकर जेल के बन्दियों ने पत्थरबाजी, भूख हड़ताल की। इस उपद्रव के दौरान बन्दियों ने एक डिप्टी जेलर व कई बंदीरक्षकों की पिटाई तक कर दी। बेकाबू हालात को नियंत्रित करने के लिए जिला एवं पुलिस प्रशासन का सहारा लेना पड़ा.

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
मोबाइल न -  7398265003