वकीलों की अवैध हड़ताल के खिलाफ नियम बनाएगी बार काउंसिल ऑफ इंडिया, होगा सजा का प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ देहरादून जिला बार एसोसिएशन ने याचिका दाखिल की है l SC को BCI के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने बताया कि उन्होंने 4 सितंबर को सभी स्टेट बार काउंसिल की बैठक बुलाई है.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि उसने स्टेट बार काउंसिल की बैठक बुलाई है और वकीलों की हड़ताल पर लगाम लगाने के लिए नियम बनाने का प्रस्ताव रखा है. इसके अलावा अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का प्रस्ताव भी रखा गया है, जो हड़ताल में शामिल थे और जिन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से वकीलों को काम से दूर रहने के लिए उकसाया और अदालती कार्यवाही में भाग लेने से रोका.
BCI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह उन वकीलों को दंडित करने के लिए एक नियम तैयार करेगा जो हड़ताल में शामिल होते हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से अन्य वकीलों को अदालती कार्यवाही से दूर रहने के लिए उकसाते हैं. वरिष्ठ वकील और BCI के अध्यक्ष मनन मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि BCI ने अलग-अलग हाईकोर्ट के बार काउंसिल के साथ बैठक की हैं, जिसके बाद अब कुछ नियम बनने जा रहे हैं.
SC ने की बार काउंसिल के कदमों की सराहना : सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई सितंबर के तीसरे हफ्ते तक के लिए टल गई है. SC ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से उठाए जा रहे कदमों की सराहना की. सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ देहरादून जिला बार एसोसिएशन ने याचिका दाखिल की है. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ को वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने बताया कि उन्होंने 4 सितंबर को सभी राज्य बार काउंसिल की बैठक बुलाई है.
मिश्रा ने कहा, ‘हम 4 सितंबर को सभी राज्य बार काउंसिल और एसोसिएशन की बैठक करेंगे. उन्होंने कहा, हम वकीलों द्वारा हड़ताल को खत्म करने और सोशल मीडिया पर हड़ताल को भड़काने वाले वकीलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए नियम बनाने का प्रस्ताव तैयार करेंगे. पीठ ने मिश्रा की दलीलें सुनने के बाद बीसीआई द्वारा की गई कार्रवाई की सराहना की. मिश्रा के अनुरोध पर शीर्ष अदालत ने मामले पर सुनवाई को सितंबर के तीसरे हफ्ते के लिए टाल दिया.
शीर्ष अदालत ने हड़ताल को बताया अवैध : शीर्ष अदालत ने 26 जुलाई को कहा था कि उसने पिछले साल 28 फरवरी को अपना फैसला सुनाया था और बीसीआई और राज्य बार काउंसिल को वकीलों की हड़ताल पर लगाम लगाने और अन्य समस्याओं से निपटने के लिए ठोस सुझाव देने का निर्देश दिया गया था. हड़ताल को अवैध बताते हुए शीर्ष अदालत ने इस समस्या से निपटने और आगे की कार्रवाई का सुझाव देने के लिए बीसीआई और सभी राज्य बार काउंसिल से छह हफ्ते के भीतर जवाब मांगा था.
शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इस बात पर जोर दिया था कि ऐसे समय में जब न्यायपालिका लंबित मामलों और मामलों के निपटारे में देरी की गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है, ऐसे में एक महीने में चार दिन की हड़ताल कैसे बर्दाश्त की जा सकती है.