उत्तर प्रदेश : जावेद अख्तर के खिलाफ दाखिल की गई मुकदमे की अर्जी, तालिबान से की थी RSS की तुलना

राजधानी लखनऊ के सीजीएम कोर्ट में शुक्रवार को यह अर्जी एडवोकेट प्रमोद पांडेय ने कोर्ट में दाखिल की है. उन्होंने अपनी अर्जी में जावेद अख्तर पर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की तुलना तालिबान संगठन से करने का कथित आरोप लगाया है.

उत्तर प्रदेश : जावेद अख्तर के खिलाफ दाखिल की गई मुकदमे की अर्जी, तालिबान से की थी RSS की तुलना
बॉलीवुड के गीतकार जावेद अख्तर की बढ़ी मुश्किलें.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तुलना तालिबान से करने के कथित बयान के मामले में बॉलीवुड के गीतकार जावेद अख्तर के खिलाफ सीजेएम कोर्ट लखनऊ मुकदमे की अर्जी दाखिल की गई है. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि कुमार गुप्ता ने जावेद अख्तर के खिलाफ दाखिल मुकदमे की उस अर्जी पर सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तारीख तय की है.

दरअसल, ये मामला राजधानी लखनऊ की सीजीएम कोर्ट का है l जहां शुक्रवार को यह अर्जी एडवोकेट प्रमोद पांडेय ने कोर्ट में दाखिल की है. उन्होंने अपनी अर्जी में जावेद अख्तर पर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की तुलना तालिबान संगठन से करने का कथित आरोप लगाया है. इसके साथ ही जावेद अख्तर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश देने की मांग की है. वहीं, वादी का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक देश भक्त संगठन है. वहीं, वादी स्वंय भी इसका सदस्य है. इस संगठन की तुलना तालिबान से करना अपराध की श्रेणी में आता है. क्योंकि तालिबान आतंकवाद का सबूत है. इस दौरान कई अखबारों में में प्रकाशित विपक्षी जावेद अख्तर के इस टिप्पणी से उसकी आस्था को चोट पहुंची है.

गीतकार जावेद अख्तर ने किया ट्वीट : बता दें कि जावेद अख्तर ने ट्वीट करते हुए कहा कि “हर सभ्य व्यक्ति, हर लोकतांत्रिक सरकार, दुनिया के हर सभ्य समाज को तालिबानियों को मान्यता देने से इनकार करना चाहिए और अफगान महिलाओं के क्रूर दमन के लिए निंदा करनी चाहिए या फिर न्याय, मानवता और विवेक जैसे शब्दों को भूल जाना चाहिए.

तालिबान के प्रवक्ता की की थी निंदा : गौरतलब है कि अपने एक और ट्वीट में जावेद अख्तर ने तालिबान के प्रवक्ता सैयद जकीरुल्लाह की ओर से महिलाओं के ऊपर दिए गए बयान की कडी निंदा की है.  उन्होंने ट्वीट किया कि तालिबान के प्रवक्ता ने दुनिया को बताया है कि महिलाएं मंत्री बनने के लिए नहीं बल्कि घर पर रहने और बच्चे पैदा करने के लिए होती हैं. लेकिन दुनिया के सभ्य और लोकतांत्रिक देश तालिबान से हाथ मिलाने को तैयार हैं. कितनी शर्म की बात है.