जेल मुख्यालय के बाबुओं की तैनाती में भी बड़ा खेल : 30-35 साल से कमाऊ सीटों पर जमें बाबू, सीएम से की जांच कराकर सख्त कार्यवाही करने की मांग
लाखों रुपये की फर्जी खरीद फरोख्त करने वाले बाबू को राजपत्रित अधिष्ठान का प्रभार वही फर्जी हस्ताक्षर से दस हज़ार रुपये का भुगतान कराने वाले बाबू को अराजपत्रित अधिष्ठान का प्रभार दिया गया है। यही नही एडवांस कमीशन लेकर बजट आवंटित करने वाले बाबू को पुनः बजट के साथ विधि प्रकोष्ठ के प्रभार सौंपा गया है।
लखनऊ। प्रदेश कारागार मुख्यालय में बाबुओं की तैनाती में गोलमाल करने वाले बाबुओं को महत्वपूर्ण पटल की जिम्मेदारी सौंप दी गयी है। लाखों रुपये की फर्जी खरीद फरोख्त करने वाले बाबू को राजपत्रित अधिष्ठान का प्रभार वही फर्जी हस्ताक्षर से दस हज़ार रुपये का भुगतान कराने वाले बाबू को अराजपत्रित अधिष्ठान का प्रभार दिया गया है। यही नही एडवांस कमीशन लेकर बजट आवंटित करने वाले बाबू को पुनः बजट के साथ विधि प्रकोष्ठ के प्रभार सौंपा गया है। यह बाबू घूम फिरकर 30-35 साल से इन्ही कमाऊ पदों पर तैनात है। इससे लिपिकीय सवर्ग के कर्मियों में खासा आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर इसकी जांच कराकर इन्हें हटाये जाने की मांग की है।
जेल मुख्यालय बाबू संवर्ग की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे गए पत्र में कई गंभीर आरोप लगाए है। पत्र में कहा गया है कि अमिताभ मुखर्जी पिछले 35 साल से राजपत्रित, अराजपत्रित, बजट एवम तकनीकी अधिष्ठान का प्रभार देख रहे है वर्तमान में इन्हें बजट व विधि प्रकोष्ठ दिया गया है। चर्चा है कि यह बाबू एडवांस कमीशन लेकर जेलो को बजट आवंटित करता है। इसी प्रकार 20 साल से कमाऊ पटल पर तैनात रहने वाले सुधीर तिवारी ने नजारत अनुभाग में तैनात रहने के दौरान लाखों रुपये की फर्जी खरीद फरोख्त की थी। इसमे वह दोषी भी पाए गए। इनके खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय इन्हें राजपत्रित अधिष्ठान का प्रभार दिया गया है।
तबादलों व खरीद-फरोख्त में गोलमाल : बीते 25 साल से अराजपत्रित अधिष्ठान, नजारत अनुभाग में तैनात रहने वाले संजय श्रीवास्तव को अराजपत्रित अधिष्ठान का प्रभार दिया गया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने फर्जी हस्ताक्षर करके दस हज़ार रुपये आहरित करने का गोलमाल किया है। इसी प्रकार मृतक आश्रित में भर्ती हुए शिवांशु गुप्ता बीते करीब 15 साल से अराजपत्रित व जेल वार्डर अधिष्ठान देख रहे थे, इन्हें अराजपत्रित अधिष्ठान भेज गया है। इन पर वार्डर संवर्ग के तबादलो में गोलमाल किये जाने का आरोप है। इसी प्रकार रुद्र कुमार श्रीवास्तव करीब 35 साल से, आरएन त्रिपाठी करीब 36 साल से रेनू निगम करीब 25 साल से राजपत्रित, अराजपत्रित, तकनीकी अधिष्ठानों पर घूम फिरकर कब्जा जमाए हुए है। उधर जेल मुख्यालय के अधिकारी इस गंभीर मसले पर कोई भी टिप्पणी करने से बचते नज़र आये।
विभाग की गोपनीयता भंग कर रहे बाबू लखनऊ। लंबे समय से एक ही पटल पर जमे बाबुओं से विभाग की गोपनीयता पर भी सवाल खड़े हो गए है। विभागीय अधिकारियों के खिलाफ जांच एवम कार्यवाही की जानकारी अधिकारियों को कार्यवाही होने से पहले ही हो जाती है। विभागीय कार्यवाही में फसाने व बचाने के लिए बाबू जमकर उगाही करते है। इसी प्रकार तमाम गोपनीय दस्तावेज व आदेश जारी होने से पहले ही जेलों पर अधिकारियों के पास पहुँच जाते है। नियमों में समय समय पर बाबुओं के पटल परिवर्तित किये जाने का प्रावधान है। यह व्यवस्था फैलो में सिमट कर रह गयी है। |
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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