UP Assembly Election 2022 : गवर्नर पद से इस्तीफे के बाद सक्रिय राजनीति में एंट्री की अटकलें तेज, आगरा से चुनावी मैदान में उतर सकतीं हैं बेबी रानी मौर्य
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी पश्चिमी यूपी में अनुसूचित जाति के समीकरण को देखते हुए ही बेबी रानी मौर्य को चुनावी मैदान (UP Assembly Election 2022) में उतारने जा रही है, जिससे जाटव वोट बैंक को अपने पाले में किया जा सके.
उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य यूपी विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा सकती हैं l उनके गवर्नर पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि बीजेपी उन्हें सक्रिय राजनीति में उतारने जा रही है l बेबी रानी मौर्य ने बुधवार को ही अपना इस्तीफा राष्ट्रपति कोविंद को सौंपा था l अब कयास लगाए जा रहे हैं कि वह आगरा से चुनाव लड़ सकती हैं l बता दें कि अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाली बेबी रानी मौर्य पहले आगरा की मेयर भी रह चुकी हैं.
कहा जा रहा है कि जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन को साधने के लिए बीजेपी (BJP) बेबी रानी मौर्य को यूपी विधानसभा चुनाव में उतारने जा रही है l बता दें कि तीन दिन पहले पूर्व ही बेबी रानी मौर्य ने गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की थी l दोनों की मुलाकात के बाद से ही कयासों का बाजार पूरी तरह से गर्म है l सूत्रों के मुताबिक बीजेपी उन्हें सक्रिय राजनीति में उतारना चाहती है यही वजह है कि उन्होंने गवर्नर (Uttarakhnad Governor) के पद से इस्तीफा दे दिया है.
आगरा से चुनाव लड़ेंगी बेबी रानी मौर्य?
बेबी रानी मौर्य पहले भी विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं l तीन साल तक वह उत्तराखंड की राज्यपाल रहीं l अब वह एक बार फिर से यूपी विधानसभा चुनाव में उतरकर दलित वोट को अपने पाले में कर सकती हैं l खबर के मुताबिक बीजेपी पश्चिमी यूपी में अनुसूचित जाति के समीकरण को देखते हुए ही बेबी रानी मौर्य को चुनावी मैदान में उतारने जा रही है, जिससे जाटव वोट बैंक को अपने पाले में किया जा सके l बेबी रानी मौर्य ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1990 में की थी l साल 1995 में वह आगरा की मेयर भी रहीं l
1997 में वह राष्ट्रीय अनुसीचित मोर्चा की कोषाध्यक्ष बनाई गईं l उस समय राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा के अक्षध्य थे l साल 2001 में यूपी में जब राजनाथ सिंह की सरकार बनी तो बेबी रानी मौक्य सामाजिक कल्याण बोर्ड की सदस्य बनीं.
- साल 2002 में अटल बिहारी सरकार में बेबी रानी मौर्य राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य बनाई गई थीं l
- 2007 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें एत्मादपुर सीट से चुनावी मैदान में उतारा था लेकिन वह हार गईं l
- 26 अगस्त 2018 को उन्होंने उत्तराखंड की राज्यपाल के पद की शपथ ली. कीब तीन साल के बाद उन्होंने 8 सितंबर को अपना गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया.
दलित वोट पर बीजेपी की नजर : खबर के मुताबिक बेबी रानी मौर्य विधानसभा चुनाव से एक बार फिर से सक्रिय राजनीति में एंट्री करेंगी l इससे बीजेपी को पश्चिमी यूपी के दलित वोट बैंक को साधने में काफी मदद मिलेगी l हाल ही में बीजेपी ने जातीय समीकरण के आधार पर पार्टी और संगठन में कई बदलाव किए हैं l पिछड़े वर्ग के कई नेताओं को पार्टी से जोड़ने का काम किया गया l अब बीजेपी दलित वोट बैंक को और भी मजबूती के साथ पकड़ कर रखने पर फोकस कर रही है l यही वजह है कि बेबी रानी मौर्य एक अच्छा विकल्प हो सकती हैं.
ऐसा पहली बार नहीं है जब राज्यपाल पद पर रहने के बाद कोई नेता सक्रिय राजनीति में एंट्री करने जा रहा है l राजस्थान के गवर्नर रहे कल्याण सिंह और पश्चिम बंगाल के गवर्नर रह चुके केशरीनाथ त्रिपाठी ने भी राज्यपाल पद से हटने के बाद बीजेपी की सदस्यता लेकर दोबारा सक्रिय राजनीति में एंट्री की थी l हालांकि 75 की उम्र होने की वजह से उन्हें चुनावी मैदान में नहीं उतारा गया था l बेबी रानी मौर्य की उम्र फिलहाल 65 साल है इसीलिए उन्हें चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है.