15 साल बाद विजिलेंस रिपोर्ट पर होगी कार्यवाही : जेल विभाग का 2006 में हुआ बहुचर्चित आगरा बंदीरक्षक घोटाला, लंबे समय तक मुख्यमंत्री के सामने नही रखी गयी रिपोर्ट

वर्ष-2006 में आगरा जेल में बंदीरक्षकों की भर्ती हुई थी। इस भर्ती प्रक्रिया के लिए जेल मुख्यालय ने कमेटी का गठन किया था। जिसमे जेल के वरिष्ठ अधिकारी अम्बरीष गौड़ को चेयरमैन, वीके गुप्ता (मृतक) जेलर को सदस्य ब डॉ एनके यादव को मेडिकल अफसर मनोनीत किया गया था। सूत्रों का कहना है कि इस भर्ती प्रक्रिया में नामित चेयरमैन ने सदस्यो से साठगांठ कर खूब कमाई की। कमेटी ने फ़र्ज़ी खेलकूद प्रमाण पत्र के आधार पर बंदीरक्षको की नियुक्ति कर दी।

15 साल बाद विजिलेंस रिपोर्ट पर होगी कार्यवाही : जेल विभाग का 2006 में हुआ बहुचर्चित आगरा बंदीरक्षक घोटाला, लंबे समय तक मुख्यमंत्री के सामने नही रखी गयी रिपोर्ट
: जेल विभाग का 2006 में हुआ बहुचर्चित आगरा बंदीरक्षक घोटाला, लंबे समय तक मुख्यमंत्री के सामने नही रखी गयी रिपोर्ट

शासन में सेटिंग-गेटिंग से बार-बार दबा दी गोपनीय रिपोर्ट

लखनऊ। आगरा बंदीरक्षक भर्ती घोटाले की विजिलेंस जांच रिपोर्ट पर अंततः 15 साल बाद कार्यवाही की उम्मीद जग गयी है। बीते कई साल से शासन में यह फ़ाइल धूल खा रही थी। शासन मे बैठे अफसरों के लिए विजिलेंस रिपोर्ट को कोई तरजीह नही दी गयी है। मुख्यमंत्री के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं होने की वज़ह अभी तक आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गई है।

घोटाले के आरोपी वरिष्ठ अधीक्षक को गोपनीय विभाग का दिया प्रभार : दिलचस्प बात यह है कि कार्यवाही करने के बजाय विभाग ने आरोपी अधिकारी को गोपनीय विभाग का प्रभारी अधिकारी बना दिया है। कार्यवाही से दहशत में आये आरोपी शासन में सेटिंग गेटिंग कर फ़ाइल को बार-बार दबा दिया गया।

मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष-2006 में आगरा जेल में बंदीरक्षकों की भर्ती हुई थी। इस भर्ती प्रक्रिया के लिए जेल मुख्यालय ने कमेटी का गठन किया था। जिसमे जेल के वरिष्ठ अधिकारी अम्बरीष गौड़  को चेयरमैन, वीके गुप्ता (मृतक) जेलर को सदस्य ब डॉ एनके यादव को मेडिकल अफसर मनोनीत किया गया था। सूत्रों का कहना है कि इस भर्ती प्रक्रिया में नामित चेयरमैन ने सदस्यो से साठगांठ कर खूब कमाई की। कमेटी ने फ़र्ज़ी खेलकूद प्रमाण पत्र के आधार पर बंदीरक्षको की नियुक्ति कर दी। इस फ़र्ज़ी दस्तावेजो पर हुई भर्ती की शिकायत तत्कालीन जेल मंत्री राकेश वर्मा से की गयी।

शिकायत की जानकारी होते ही कमेटी के चेयरमैन ने नियुक्ति के लिए लगाए गए फ़र्ज़ी खेलकूद प्रमाण पत्रों को हटाकर इंटव्यू में नंबर बढ़ाकर बंदीरक्षकों की नियुक्ति को सही ठहराने के प्रयास किया। इसकी शिकायत मिलने पर नाराज तत्कालीन जेलमंत्री ने कमेटी के एक सदस्य को निलंबित करते भर्ती की जांच विजिलेंस को दे दी। इसके साथ ही कमेटी के चेयरमैन अम्बरीष गौड़, सदस्यो समेत 32-33 लोगो के खिलाफ FIR  दर्ज कराई गई। बताया गया है कि कमेटी का निलंबित सदस्य कार्यवाही के खिलाफ हाईकोर्ट चला गया जहाँ उसने जेलमंत्री को पार्टी बना दिया। यह अलग बात है कि यह मामला कुछ दिन बाद है डिसमिस हो गया।

सूत्र बताते है कि बंदीरक्षकों की नियुक्ति के लिए फ़र्ज़ी खेलकूद प्रमाण पत्र हटाकर  इंटरव्यू में नंबर बढ़ाने का काम कमेटी के चेयरमैन अम्बरीष गौड़ ने किया। यह अलग बात है कि फाइनल लिस्ट में उन्होंने कमेटी के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर कर दिए थे। इस आरोपी अधिकारी को वर्तमान समय मे कारागार मुख्यालय में सीनियर सुपरिटेंडेंट पद पर तैनात किया है। यही नही इन्हें गोपनीय सेक्शन का प्रभारी अधिकारी भी बनाया गया है। इसको लेकर विभागीय अफसरों में तमाम तरह की अटकलें भी लगाई जा रही है। चर्चा है जो विजिलेंस जांच का दोषी है वही खुद ही अपनी फ़ाइल डील कर रहा है। सूत्र बताते है कि  बीते वर्ष सीनियर सुपरिटेंडेंट अम्बरीष गौड़ को प्रयागराज में निर्मित की जा रही नई जेल के निर्माण में धांधली पर निलंबित किया गया था। यह अलग बात है इस विभाग ने उन्हें एक सप्ताह बाद ही बहाल भी कर दिया था। उधर इस संबंध में जब अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी से संपर्क करने का काफी प्रयास किया गया किन्तु उनका फ़ोन ही नही उठा।

शासन ने मुख्यालय से मांगी फर्जी नियुक्त वार्डरों की सूची!

लखनऊ। आगरा बंदीरक्षक भर्ती घोटाले मामले में अब शासन सजग हो गया है। शासन ने जेल मुख्यालय से फर्जी दस्तावेजों व प्रमाणपत्रो के सहारे नियुक्त किये गए वार्डर की सूची तलब की है। सूत्रों का कहना है कि फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी पाने वाले वार्डर में एक वार्डर ने तो कार्यवाही होने के पहले ही इस्तीफा दे दिया। मुख्यालय ने करीब डेढ़ दर्जन से अधिक वार्डर की सूची शासन को भेजी है। सूत्रों की मानें तो अब शासन फर्जी तरीके से नियुक्ति पाने वाले वार्डर के साथ नियुक्ति करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की तैयारी में जुटा हुआ है। उधर मुख्यालय व शासन के अधिकारी इस गंभीर मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से बच रहे है।

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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