जेलमंत्री के संबद्धता खत्म किये जाने के बाद मची हलचल : रिटायर जेल अफसरों के घरों से हटाए जाएंगे सम्बद्ध सुरक्षाकर्मी
पूर्व प्रमुख सचिव जेल, रिटायर एआईजी व डीआईजी जेल के घरों पर लगे दर्जनों वार्डर: जेल मुख्यालय से रिटायर हुए करीब एक साल से अधिक हो गया लेकिन सरकारी वाहन व सुरक्षाकर्मियों की सुविधा आज भी उपलब्ध है। यही नहीं 14 पहले प्रमुख सचिव कारागार रहे एक आईएएस अधिकारी के यहां आज भी जेल का एक वार्डर ड्यूटी बजा रहा है।
लखनऊ। प्रदेश के जेलमंत्री के जेल अधिकारियों व कर्मचारियों की संबद्धता समाप्त किये जाने के आदेश के बाद खासतौर पर रिटायर अफसरों में हलचल मची है। जेल मुख्यालय से रिटायर हुए करीब एक साल से अधिक हो गया लेकिन सरकारी वाहन व सुरक्षाकर्मियों की सुविधा आज भी उपलब्ध है। यही नहीं 14 पहले प्रमुख सचिव कारागार रहे एक आईएएस अधिकारी के यहां आज भी जेल का एक वार्डर ड्यूटी बजा रहा है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन सच है। मजे की बात यह है कि इस सुरक्षाकर्मी को जब वापस करने को कहा गया तो भी उसको आजतक वापस नही किया गया। यही नही विभाग के रिटायर्ड एआईजी और डीआईजी भी सुरक्षाकर्मियों से अपने निजी आवासों पर चाकरी करा रहे है।रिटायर्ड अफसरों के घरों पर लगे सुरक्षाकर्मियों का मामला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
बीती 10 जून को प्रदेश के कारागार मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने जेल विभाग के समस्त अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों की संबद्धता समाप्त किये जाने का फरमान जारी किया। इस फरमान से विभागीय अधिकारियों में हड़कम मचा हुआ है। बताया गया है कि बड़ी संख्या में जेल सुरक्षाकर्मी रिटायर जेल अफसरों के घरों पर लगे हुए है। इन्हें वापस बुला पाना बड़ी चुनौती माना जा रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक करीब चौदह साल पहले प्रमुख सचिव कारागार रहे आईएएस अधिकारी के घर पर सेवा के लिए एक वार्डर लगाया गया था। सूत्रों के मुताबिक राजधानी की एक जेल से लगे सुरक्षाकर्मी को वापस करने के लिए पत्र लिखा। सुरक्षाकर्मी के वापस नही आने पर जब उसका वेतन रोके जाने का आदेश हुआ तो अधिकारियों में खलबली मच गई। जेल मुख्यालय मे तैनात अधिकारी अनाधिकृत रूप से रिटायर्ड व पूर्व अधिकारियों के घरों पर चाकरी के लिए लगाए गए सुरक्षाकर्मियों को बचाने के लिए लामबंद हो गए। एक अधिकारी ने तो हटाये गए वार्डर को अपनी सुरक्षा में लगवाकर रिटायर्ड एआईजी के घर पर भेज दिया।
इसी प्रकार जेल मुख्यालय से रिटायर्ड अपर महानिरीक्षक जेल के निजी आवास पर सेवा के लिए जा भी कई वार्डर व फोर्थ क्लास कर्मचारी लगे हुए है। वार्डर को वापस करने का आदेश किया। इस पर जेल मुख्यालय में तैनात अधिकारी वरिष्ठ अधीक्षक ने उक्त वार्डर को अपनी सुरक्षा में तैनात कराकर रिटायर्ड एआईजी के घर भेज दिया। ऐसे है पांच-छह साल पहले जेल मुख्यालय से डीआईजी मुख्यालय के पद से सेवानिवृत्त हुए डीआईजी के घर पर आज भी जेल का एक वार्डर चाकरी कर रहा है। यह वार्डर कानपुर जनपद की जेल से लगाया गया है। इसी प्रकार रिटायर्ड एआईजी के यहां हरदोई, सीतापुर व लखीमपुरखीरी जेल से वार्डर चाकरी के लिए लगाए गए है। यह तो बानगी भर है। इसी प्रकार कई सेवानिवृत्त अधिकारियों के घरों पर अनाधिकृत रूप से वार्डरों को तैनात कर रखा गया है। प्रदेश के विभिन्न जेलों से संबद्धता पर जेल अफसरों के घरों पर चाकरी कर रहे वार्डर हटाना जेल अफसरों के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है। उधर जेल मुख्यालय के अधिकारी इस गंभीर मसले पर टिप्पणी करने से बच रहे है।
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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