Uttarakhand Disaster 2021: नैनीताल में सबसे ज्यादा मौत और बर्बादी, उत्तराखंड में 389 घर, 2 नेशनल हाइवे, 95 सड़क तबाह

(17 अक्टूबर से 19 अक्टूबर 2021) में भीषण बारिश से मची तबाही ने कोहराम मचा दिया है l सूबे में सरकारी मशीनरी और मदद में जुटे मददगार इंसान जिधर नजर डाल रहे हैं, उधर ही तबाही का डरा देने वाला मंजर दिखाई दे रहा है l राज्य पुलिस महानिदेशालय द्वारा संकलित किए गए आंकड़े इसके गवाह हैं

Uttarakhand Disaster 2021: नैनीताल में सबसे ज्यादा मौत और बर्बादी, उत्तराखंड में 389 घर, 2 नेशनल हाइवे, 95 सड़क तबाह
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उत्तराखंड में बीते तीन दिन (17 अक्टूबर से 19 अक्टूबर 2021) में भीषण बारिश से मची तबाही ने कोहराम मचा दिया है l सूबे में सरकारी मशीनरी और मदद में जुटे मददगार इंसान जिधर नजर डाल रहे हैं, उधर ही तबाही का डरा देने वाला मंजर दिखाई दे रहा है l राज्य पुलिस महानिदेशालय द्वारा संकलित किए गए आंकड़े इसके गवाह हैं. इन डरावने आंकड़ों में दर्ज है कि राज्य में तीन दिन में मची तबाही के तांडव ने 76 बेकसूरों को अकाल मौत की नींद सुला दिया. इस आपदा ने सर्वाधिक 32 लोगों को नैनीताल जिले में अकाल मौत की गोद में सुला दिया. सबसे ज्यादा बर्बादी कहिए या फिर तबाही आपदा की इस लहर में नैनीताल जिले की हद में ही हुई है.

राज्य पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, नैनीताल की एसएसपी प्रीति प्रियदर्शिनी के साथ बर्बादी का जायजा लेते हुए

वहीं इस आपदा की चपेट में आकर जख्मी हुए 36 लोग राज्य के अस्पतालों में अभी तक इलाज करा रहे हैं. इस बर्बादी में अरबों रुपए के नुकसान का भी अनुमान है. आपदा के तीन दिन चले इस तांडव ने राज्य को विकास और आर्थिक स्तर के नजरिए से कई पायदान पीछे धकेल दिया है. इन तीन दिनों में बारिश ने दो राष्ट्रीय राजमार्ग (चम्पावत से टनकपुर एनएच-9 और एनएच-1 भवाली-खैरना) सहित करीब 95 सड़कें भी बर्बाद कर दीं या उन्हें मलबे से अवरूद्ध कर दिया. सड़कों में 83 सड़कें तो सिर्फ और सिर्फ ग्रामीण इलाकों की ही सोमवार दोपहर बाद (25 अक्टूबर 2021) तक पता चल पाईं हैं. जबकि 12 बर्बाद हो चुकीं या अवरूद्ध सड़कें शहरी इलाकों की हैं.

गांव और शहर सब जगह हुआ तांडव : ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा तबाह और अवरूद्ध होने वाली सड़कों की संख्या सूबे के पिथौरागढ़ में 35 और दूसरे नंबर पर नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल वाले जिले में 35 बताई जा रही हैं. पिथौरागढ़ जिले के शहरी इलाकों में तबाह या अवरुद्ध सड़कों की संख्या जहां हाल-फिलहाल 3 पता चली हैं, वहीं नैनीताल जिले के शहरी इलाकों में मौजूद 4 सड़कें या तो अवरूद्ध हो गईं या फिर बर्बाद हो चुकी हैं.

तबाही के मंजर का जायजा लेते उत्तराखंड पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी

अल्मोड़ा जिला प्रशासन के मुताबिक वहां सबसे ज्यादा ग्रामीण इलाकों में स्थित 11 सड़कें भूस्खलन और तेज बारिश में या तो अवरूद्ध हो चुकी हैं या फिर पूरी तरह तहस-नहस. तबाह होने वाले दोनों नेशनल हाइवे में से एक राज्य के चम्पावत जिले में (नेशनल हाइवे संख्या 9 चम्पावत-टनकपुर) और दूसरा, नैनीताल जिले की सीमा में (एनएच 87 भवाली-खैरना) में स्थित है. इस आपदा के दौर में राज्य में जिन 389 मकानों के तबाह हो जाने की खबरें मिल रही हैं, उनमें सबसे ज्यादा संख्या नैनीताल जिले में तबाह हुए मकानों की मिली हैं.

जानिए कहां उजड़े कितने आशियाने : नैनीताल में सबसे ज्यादा 221 मकानों को नुकसान पहुंचने के आंकड़े राज्य पुलिस महानिदेशालय ने जुटाए हैं. उधमसिंह नगर और अल्मोड़ा में 78-78 मकानों को भारी नुकसान पहुंचा है. इसके बाद बागेश्वर, चम्पावत, पिथौरागढ़ में क्रमश: 4-4 मकानों के तबाह हो जाने की खबरें आ रही हैं. 24 अक्टूबर तक जुटाए गए आंकड़ों पर नजर डालें तो, राज्य में इस आपदा के दौरान (तीन दिन में) 76 लोगों की मौत हो गई. मरने वालों की सबसे ज्यादा संख्या 32 भी नैनीताल जिले में रही. इसी के चलते राज्य पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को नैनीताल की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रीति प्रियदर्शिनी के साथ यहां की बर्बादी का जायजा लेने खुद जाना पड़ा था.

आपदा के कई दिनों बाद दौरे पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट, ग्रामीणों ने सुनाई खरी-खोटी

जबकि इस आपदा में मौत के मुंह में चले जाने वाले लोगों में दूसरे नंबर पर उत्तरकाशी जिला रहा. यहां 10 लोगों की मौत हो गई. उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के मुताबिक, “आपदा में मरने वाले लोगों की संख्या अन्य जिलों से भी जुटाई गई. जिसके मुताबिक चमोली (3), रुद्रप्रयाग (1) पौड़ी (3), अल्मोड़ा (6), बागेश्वर (2) चम्पावत जिले में 11 और उधमसिंह नगर जिले में 3 और पिथौरागढ़ जिले में 5 लोगों की मौत हो गई. इस तबाही ने सबसे ज्यादा तांडव सूबे के सबसे खूबसूरत इंटरनेशल फेम पर्यटन स्थल और जिले नैनीताल की हद में मचाया है. यहां भीषण बारिश ने तो एक रेलवे लाइन तक को नेस्तनाबूद कर डाला.

इतने लोगों को मौत के मुंह से बचा लिया गया : राज्य में घायल हुए कुल 33 लोगों में से सबसे ज्यादा घायल होने वाले इंसानों की संख्या भी 8 नैनीताल जिले में ही रही है. जबकि घायलों संबंधी हासिल आंकड़ों के मुताबिक अल्मोड़ा-चमोली जिलों में क्रमश: 7-7, पौड़ी में 2, चम्पावत में 1, उधमसिंह नगर में 4 और पिथौरागढ़ में 2 लोग इस तबाही में जख्मी हो गए.” राज्य पुलिस महानिदेशक के मुताबिक, “राज्य में 14 लोग अभी तक लापता हैं. लापता लोगों की सबसे ज्यादा संख्या 6 बागेश्वर जिले से मिली है. नैनीताल (3), चमोली और उत्तरकाशी में (2-2) और उधमसिंह नगर से एक शख्स अभी तक लापता है.”

बीते तीन दिन में भारी बारिश के चलते राज्य में हुई तबाही के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो यहां की दोनो रेंज (कुमायूं और गढ़वाल) आपदा आने की भनक लगते ही 65 हजार 846 लोगों को पर्वतीय इलाकों में जाने से रोक दिया गया था. इनमें 17 हजार 774 लोग कुमांयू रेंज (परिक्षेत्र) में और आपदा से पूर्व ही गढ़वाल रेंज के पर्वतीय इलाकों की ओर बढ़ने वाले वाले रोके गए लोगों की संख्या 48 हजार 102 रही. सबसे ज्यादा लोग गढ़वाल रेंज के चमोली जिले में पहाड़ों पर जाने से रोके गए. इनकी संख्या 28 हजार 755 थी.

क्या कहती है सर्वाधिक प्रभावित नैनीताल पुलिस : इसी तरह कुमायूं रेंज के नैनीताल जिला, राज्य भर में दूसरे स्थान पर रहा, जहां 13207 लोगों को पर्वतीय इलाकों में जाने से रोक कर भारी जान-माल का नुकसान होने से बचा लिया गया. इस आपदा में फंसे लोगों को सही-सलामत बाहर निकाल कर लाने के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 9 हजार 926 लोगों की जान इस आपदा में फंसे होने के बावजूद भी बचा ली गई. इन सुरक्षित बचाए गए लोगों में 9 हजार 421 का आंकड़ा तो सिर्फ और सिर्फ एक ही रेंज कुमायूं का रहा है.

जबकि 505 लोग गढ़वाल रेंज में इस आपदा के दौरान मौत के मुंह में जाने से बचा लिए गए. अभी तक राज्य में इस आपदा के वक्त से 14 लोग लापता हैं. इन सभी की तलाश जारी है. नैनीताल जिला पुलिस प्रवक्ता इंस्पेक्टर कैलाश सिंह नेगी के मुताबिक, “गोला बैराज के पास काफी नुकसान हुआ है. साथ ही काठगोदाम के पास रेलवे लाइन पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर जमींदोज हो गई. राहत कार्य युद्धस्तर पर जारी है.”