झांसी में मिले लेप्टोस्पायरोसिस के 4 नए मरीज ; जलभराव वाले इलाके में फैले बैक्टीरिया, इसके लक्षण भी फ्लू जैसे, इसलिए गंदे पानी में न जाएं

अभी तक झांसी में ज्यादातर मरीजों में डेंगू ,मलेरिया और वायरल फीवर स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस के मामले सामने आ चुके हैं। ये अलग-अलग तरह के फीवर हैं, जो बैक्टीरिया और वायरस की वजह से फैल रहे हैं।

झांसी में मिले लेप्टोस्पायरोसिस के 4 नए मरीज ; जलभराव वाले इलाके में फैले बैक्टीरिया, इसके लक्षण भी फ्लू जैसे, इसलिए गंदे पानी में न जाएं
झांसी में नए बैक्टीरिया का खतरा : लेप्टोस्पायरोसिस के 4 नए मरीज मिले ; बैक्टीरिया जलभराव वाले इलाके में फैलता है, इसके लक्षण भी फ्लू जैसे इसलिए गंदे पानी में न जाएं l

झांसी में वायरल फीवर के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जिले में पिछले महीने से डेंगू और वायरल फीवर के मामले तेजी से आ रहे हैं। चिंता की बात यह है कि मरीजों में बच्चों की संख्या बढ़ रही हैं। जिले में रोजाना सैकड़ों लोग वायरल फीवर की शिकायतों के बाद अस्पताल आ रहे हैं। अस्पताल आ रहे ज्यादातर मरीजों में वायरल फीवर के मिल रहे हैं। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ आर के गुप्ता बताया बुधवार को लेप्टोस्पायरोसिस के 4 नए मामले सामने आये है। ये अलग तरह के फीवर हैं, जो बैक्टीरिया और वायरस की वजह से फैल रहे हैं।

त्वचा और आंखों के जरिए संक्रमित करता है बैक्टीरिया : मेडिकल कॉलेज के फिजीशियन डॉ.जैकी सिद्दीकी कहते हैं, लेप्टोस्पायरोसिस का बैक्टीरिया स्किन, मुंह, आंखें और नाक के जरिए शरीर में पहुंचता है। इसके मामले ऐसी जगहों पर पाए जाते हैं जहां साफ-सफाई की कमी होती है, तेज बारिश व बाढ़ वाले इलाकों में और जहां पानी अधिक समय तक ठहरा रहता है। इसके अलावा खेती-किसानी वाले ऐसे इलाके जहां चूहों की संख्या अधिक होती है, वहां भी मामले बढ़ सकते हैं। ऐसे लोग जो वॉटर एक्टिविटी जैसे राफ्टिंग, स्विमिंग से जुड़े होते हैं उनमें मानसून के दौरान इसके संक्रमण का खतरा अधिक रहता है।

7 से 10 दिन के अंदर दिखते हैं ये लक्षण : डॉ.जैकी सिद्दीकी के मुताबिक, आमतौर पर संक्रमण के 7 से 10 दिन बाद इसके लक्षण दिखते हैं। कुछ मामलों में देरी से भी लक्षण दिख सकते हैं। इसके कई लक्षण फ्लू और मेनिनजाइटिस से मिलते जुलते हैं, इसलिए मानसून में ऐसे कोई भी लक्षण दिखने पर तत्काल डॉक्टर की अवश्य सलाह लें।

एलाइजा टेस्ट से करते हैं संक्रमण की जांच : डॉ.जैकी सिद्दीकी कहते हैं लक्षण दिखने पर मरीज का ब्लड टेस्ट किया जाता है। संक्रमण होने पर सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या अधिक और प्लेटलेट्स की संख्या कम हो सकती है। कम समय में बीमारी का पता लगाने के लिए मरीज का एलाइजा टेस्ट किया जाता है। इसके ज्यादामर मामले ऐसी जगहों पर आते हैं जहां बाढ़ और तूफान आते हैं।