बढ़ाएं अपना सामाजिक दायरा

नेटवर्किंग के इस युग में, क्या आपके सामाजिक और व्यावसायिक संबंधों का दायरा बढ़िया है? ऋषि मुनियों और कुछ ही लोग को छोड़ कर, आज कोई भी एकांत में नहीं रहता है। लगभग हमेशा आप लोगों से घिरे रहते हैं । आपकी सफलता न केवल आपके प्रयासों पर निर्भर करती है, बल्कि इस बात पर भी निर्भर करती है कि

बढ़ाएं अपना सामाजिक दायरा
बढ़ाएं अपना सामाजिक दायरा

नेटवर्किंग के इस युग में, क्या आपके सामाजिक और व्यावसायिक संबंधों का दायरा बढ़िया है? ऋषि मुनियों और कुछ ही लोग को छोड़ कर, आज कोई भी एकांत में नहीं रहता है। लगभग हमेशा आप लोगों से घिरे रहते हैं । आपकी सफलता न केवल आपके प्रयासों पर निर्भर करती है, बल्कि इस बात पर भी निर्भर करती है कि दूसरे आपके बारे क्या सोचते हैं। इसीलिए आपको अपने सामाजिक संबंधों को ढृंढ करना  चाहिए। यदि आप एक कठोर अथवा अशिष्ट छवि रखते हैं, तो लोग आपके करीब आने  या साथ काम करने से पहले संकोच करेंगे। दूसरी ओर, यदि आप लोगों की मदद करते हैं और उनके साथ दोस्ताना व्यवहार रखते हैं, तो निश्चित रूप से आपको बहुत अच्छा प्रत्युत्तर मिलेगा। मैत्रीपूर्ण व्यवहार आपके व्यक्तित्व को मनभावन बनाता है।आपके शानदार भविष्य के लिए यह एक  उत्तम निवेश हैं। आपके दोस्त, रिश्तेदार, शिक्षक, जूनियर्स, सीनियर्स, सहकर्मी, वरिष्ठ, अधीनस्थ साथी, जीवन के किसी भी महत्वपूर्ण व्यक्तिगत, सामाजिक या पेशेवर क्षण में आपकी बहुत मदद कर सकते हैं। जब भी आप किसी नए व्यक्ति से मिलते हैं, या अपने पुराने संबंधों को सुदृढ़ं करना चाहते हैं, तो यह कुछ टिप्स हैं जिन्हे व्यवहार में लाने से आपको लाभ होगा।

सुदृढ़ं करें अपने सामाजिक सम्बन्ध

  • हर मुलाकात के लिए हमेशा समय के पाबंद रहें। यदि आप किसी अप्रत्याशित घटना के कारण समय पर नहीं पहुँच पाते हैं, तो संबंधित व्यक्ति को सूचित करें। हमेशा एक दिली मुस्कान के साथ बातचीत शुरू करें (ध्यान दें, एक कृत्रिम मुस्कान के साथ नहीं)। मिलने वाला यदि पूर्व परिचित हो तो उत्साही और आनंदित हों। ये पता चलना चाहिए कि आप को इस मुलाकात से ख़ुशी हुई हैं।उसके परिवार, पेशे या रुचि के क्षेत्रों के बारे में बात करें और सवाल पूछें ।खुद के बारे में बात करना, एक व्यक्ति को सहजता देता है और धीरे-धीरे वह आपके साथ मित्रवृत हो जाता है। किसी भी नए व्यक्ति से पहली बार मिलने पर अपनी पारिवारिक, स्वास्थ सम्बन्धी अथवा कार्य सम्बन्धी समस्याओं के बारे में बात न करें।
  • सामने वाले व्यक्ति की बातों में ईमानदारी से रुचि लें व् एक अच्छे श्रोता बनें। हर कोई एक अच्छे श्रोता को पसंद करता है और उसे लंबे समय तक याद रखता है।अगर आपके पास इस व्यक्ति के साथ चर्चा करने के लिए कुछ विशिष्ट है तो धीरे-धीरे अपनी बात पर आएं, अन्यथा आपसी रूचि के विषयों पर बात करें।बातचीत के दौरान सामने वाले की उचित और वास्तविक प्रशंसा करें. यदि आवश्यक हो तो उस व्यक्ति को प्रोत्साहित करें लेकिन उसके बॉस बनने का प्रयास न करें। सभी को, विशेषकर बुजुर्गों को उचित सम्मान दें, लेकिन जूनियर्स को भी न भूलें।
  • यदि आपको उसकी किसी गलती को इंगित करना है, तो इसे अप्रत्यक्ष और शिष्ट तरीके से करें। अशिष्ट और कठोर शब्दों का उपयोग न करें। सामने वाले को अपना चेहरा बचाने दें।नकारात्मक शब्दों में बात न करें। अर्थात्, किसी अन्य व्यक्ति की बात की निंदा या आलोचना मत करें, क्योंकि हर किसी को अपने विचार रखने का अधिकार है। किसी ज्वलंत मुद्दे पर चर्चा करते समय आत्म नियंत्रण का उपयोग करें। जब दो लोगों के बीच बातचीत चल रही हो तब बीच में बात न काटें।क्रोध या निराशा में चिल्लाएं नहीं। आप शांत रह कर भी अपनी बात दमदार तरीके से रख सकते हैं।

अपनाएं सामाजिक शिष्टाचार

  • विभिन्न सामाजिक और ऑफिशिअल अवसरों पर नियत औपचारिकताओं का पालन करें और विनम्र रहें।औपचारिक सभा में, कक्षा में जोर से हंसें नहीं। किसी भी औपचारिक बातचीत के बीच में जम्हाई न लें। यदि जरूरी हो जाए तो अपने मुँह पर हाथ रखकर माफ़ी मांग लें।यदि आप पड़ोस, ऑफिस या मीटिंग में किसी को पसंद नहीं करते हैं, तो यह सबको न दिखाएं, बस अपने आप को उनसे दूर कर लें ।
  • हर जगह पर जरूरतमंदों की मदद करें। गरीब तबके के लोगों को भी सम्मान दीजिये। कोई भी कार्य छोटा नहीं होता। बसों में बुजुर्ग लोगों, महिलाओं और बच्चों को अपनी सीट दें।
  • कार या बाइक पर या घर पर बहुत तेज संगीत न बजाएं। यह आपके पड़ोसी को परेशान कर सकता है।अस्पतालों के पास ज़ोर से हॉर्न न बजाएं।
  • पार्टी में अपने मेजबान की मदद करें।अगर आप अक्सर खाना खाने बाहर जाते हैं, तो अपने दोस्तों के साथ बिल साझा करें ।बड़े करीने से,समय और अवसर के अनुसार अपनी पोशाक का चयन करें।अगर आपको पसीना आता है, तो डिओडोरेंट या परफ्यूम का उपयोग करें।
  • अभी भी हंसी सबसे अच्छी और अपरिहार्य दवा है, इसलिए हमेशा हँसिये और मुस्कुराइए क्यूंकि एक मुस्कराहट से दूसरी मुस्कान बनती है और फिर तीसरी ….! ये क्रम चलता जाता है और आप स्नेह बंधनों में बंधते जाते हैं !!!


रचना भटनागर
कॉर्पोरेट कैरियर कोच, एच आर ट्रेनर और मोटिवेटर
www.rachnabhatnagar.com
M- 9415679647