सीनियर कर रहे बाबूगिरी जूनियर चला रहे जेल ! शासन के अफसरों की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल, जेल मुख्यालय में तीन वरिष्ठ अधीक्षक, एक अटैच, दो तैनात

सात साल पूरा कर चुके अफसर की फिर हुई मेरठ में तैनाती l अतिसंवेदनशील मेरठ, बांदा जैसी वरिष्ठ अधीक्षक की जेल पर चहेते अधीक्षकों को तैनात कर रखा गया है। शासन की इस कार्यवाही ने सरकार में बैठे आला अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। उधर विभागीय अफसर इस गंभीर मसले पर कुछ भी बोलने से बचते नज़र आ रहे है।

सीनियर कर रहे बाबूगिरी जूनियर चला रहे जेल ! शासन के अफसरों की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल, जेल मुख्यालय में तीन वरिष्ठ अधीक्षक, एक अटैच, दो तैनात
लखनऊ। उत्तर-प्रदेश कारागार मुख्यालय

लखनऊ। प्रदेश कारागार मुख्यालय में तीन वरिष्ठ अधीक्षक कर रहे बाबूगिरी  और अधीक्षक संभाल रहे जेलों की जिम्मेदारी। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लग रही हो लेकिन शासन में बैठे अफसरों के कार्य विभाजन इस सच की पुष्टि खुद ही करती नज़र आ रही है। आलम यह है कि अतिसंवेदनशील मेरठ, बांदा जैसी वरिष्ठ अधीक्षक की जेल पर चहेते अधीक्षकों को तैनात कर रखा गया है। शासन की इस कार्यवाही ने सरकार में बैठे आला अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। उधर विभागीय अफसर इस गंभीर मसले पर कुछ भी बोलने से बचते नज़र आ रहे है।

मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश की डेढ़ दर्जन मंडलीय जेलों पर वरिष्ठ अधीक्षक को तैनात किए जाने का प्रावधान है। बंदीरक्षक सवर्ग का नियुक्ति अधिकारी होने की वजह से दंडित करने का अधिकार वरिष्ठ अधीक्षक को ही होता है। इसके अलावा स्थापना से संबंधित सभी कार्य मंडलीय जेलों से ही होते है। इन जेलों पर वरिष्ठ अधीक्षक के स्थान पर अधीक्षक तैनात होने से वार्डर संवर्ग को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

सूत्र बताते है कि बीते दिनों शासन ने शाहजहांपुर में तैनात अधीक्षक राकेश कुमार को वरिष्ठ अधीक्षक वाली मेरठ की मंडलीय कारागार पर तैनात कर दिया। बताया गया है कि राकेश कुमार का विवादों से गहरा रिश्ता रहा है। मथुरा जेल का बहुचर्चित गोली कांड जिसमे चार बन्दियों की मौत हो गयी थी। इसके बाद फतेहगढ़ जेल में तैनाती के दौरान जेल में बन्दियों के बवाल, पत्थरबाजी की घटना सुर्खियों में रही।

शाहजहांपुर जेल के कार्यकाल में स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से आशा राम बापू का कार्यक्रम कराने से विवादों में रहे। सबसे दिलचस्प बात तो यह रही कि मेरठ में पहले लंबे समय तक रहने वाले इस अधिकारी को शासन में बैठे अधिकारियों ने बतौर अधीक्षक फिर मेरठ जेल पर तैनात कर दिया। इसी प्रकार बांदा मंडल जेल में भी अधीक्षक तैनात कर दिया गया।

सूत्रों का कहना है कि जेल मुख्यालय में वरिष्ठ अधीक्षक का एक पद है। शासन में बैठे अफसरों ने जेल मुख्यालय में वरिष्ठ अधीक्षक अम्बरीष गौड़, राधा कृष्ण मिश्र और संत लाल को बैठाकर बाबूगिरी कराई जा रही है। आगरा बंदीरक्षक भर्ती घोटाले की विजिलेंस जांच के दोषी अधिकारी को गोपनीय विभाग का प्रभारी, एक अधिकारी को कैदियों की समय पूर्व रिहाई तो एक को वार्डर सवर्ग के तबादलो की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह मामला विभागीय अधिकारियों में जहाँ चर्चा का बिषय बना हुआ है, वही जेल मुख्यालय के अधिकारी इसे शासन का मामला बताकर पल्ला झाड़ रहे है।

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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