राजधानी की जिला जेल में अराजकता का माहौल : पीट-पीट कर लखनऊ जेल में हो रही बन्दियों से वसूली, मुख्यालय के अधिकारी सब कुछ जानकर बने अनजान
बनारस जेल में बन्दियों के साथ मारपीट कर उनसे वसूली करने वाले आदर्श कारागार में तैनात जेलर को बगैर किसी आदेश के ही जेल में बतौर जेलर काम कराने लगे। बनारस जेल की तर्ज पर इन दोनों अधिकारियों ने बन्दियों के साथ मारपीट के अवैध वसूली शुरू कर दी।
अमिताभ ठाकुर को भी जेल में टहला रहे अफसर लखनऊ। पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को भी सुरक्षा के नाम पर बैरेक दर बैरेक टहला रहे है। दो दिन पूर्व एक मामले में हज़रतगंज पुलिस ने अमिताभ ठाकुर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। सूत्रों की माने तो जेल प्रशासन के अधिकारी भी अमिताभ ठाकुर का उत्पीड़न करने में जुटे हुए है। जेल अधिकारियों ने जेल पहुँचने पर पहले दिन दो नंबर सर्किल की 5 बी बैरेक में रखा। अगले दिन उनको दूसरी सर्किल में भेज दिया गया। जेल नियमो के मुताबिक जेल में नए आगंतुक बन्दी को सबसे पहले 10 दिन मुलाहिज़ा बैरेक में रखे जाने का प्रावधान है। यह अलग बात है कि कोरोना कॉल में नियमो में थोड़ा बदलाव जरूर किया गया किन्तु किसी भी नए बन्दी की अगले दिन बैरेक नही बदली जाती। अमिताभ ठाकुर की आमद के अगले ही दिन बैरेक बदल दी गयी। उधर लखनऊ रेंज जेल डीआईजी शैलेन्द्र मैत्रेय कहते है कि सुरक्षा के चलते बैरेक बदली गयी थी। |
लखनऊ। राजधानी की जिला जेल में अराजकता का माहौल बना हुआ है। इस जेल बन्दियों से पीट-पीट कर वसूली की जा रही है। सच यह है कि अधिकारियों ने जेल में लूट मचा रखी है। जेल विभाग के उच्चाधिकारी सब कुछ जानकर अनजान बने हुए है। जब राजधानी की जेल का यह हाल है तो प्रदेश की जेलो का क्या हाल होगा।
करीब एक साल पूर्व जेल मुख्यालय में तैनात सेवानिवृत अधिकारी से साठ गांठ कर कानपुर नगर जेल पर तैनात अधीक्षक ने लखनऊ की वरिष्ठ अधीक्षक वाली जेल पर अपना तबादला कर लिया। वरिष्ठ अधीक्षक को हटाकर अधीक्षक को तैनात किया जाना ही नियमो के विरुद्ध था। मुख्यालय से रिटायर हुए हुए अधिकारी से सेटिंग-गेटिंग से हुए इस तबादले पर आला अफसरों ने चुप्पी साध ली। यही नही अधिकारियों ने तैनात अधीक्षक का प्रमोशन होने के बाद भी इसको हटाने के बजाए इसी जेल पर तैनात रखा। इसी दौरान बनारस जेल में बन्दियों के साथ मारपीट कर उनसे वसूली करने वाले आदर्श कारागार में तैनात जेलर को बगैर किसी आदेश के ही जेल में बतौर जेलर काम कराने लगे। बनारस जेल की तर्ज पर इन दोनों अधिकारियों ने बन्दियों के साथ मारपीट के अवैध वसूली शुरू कर दी। सूत्रों का कहना है वसूली को लेकर इन अधिकारियों ने जेल अस्पताल में भर्ती एक बन्दी की इस कदर पिटाई की वह मरणासन्न हो गया। पीड़ित बन्दी की माँ ने इसकी शिकायत विभाग के मुखिया से कार्यालय में मिलकर की। इसके बावजूद दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही ही नही की गई।
सूत्र बताते है कि यही नही पिछले दिनों गल्ला गोदाम के रायटर बन्दी की मुखबरी पर जेल अधिकारियों ने खाली बोरो के गोदाम से 35 लाख के नोटों से भरा एक बोरा बरामद किया था। आनन फानन में अधिकारियों ने एक लाख 16 हज़ार की बरामदगी दिखाकर मिली रकम को मार दिया। मामला सुर्खियों में आने पर जेल के मुखिया ने कहा कि इतना पैसा बरामद होता तो वह हांगकांग में होते। जब उनसे यह सवाल किया गया कि राशन कटौती, कैंटीन, मशक्कत, पीसीओ, एमएसके से होने वाली कमाई से तो आप प्रतिमाह हांगकांग जा सकते है। इस पर उन्होंने चुप्पी साध ली।
बताया गया है कि गल्ला गोदाम प्रभारी डिप्टी जेलर सुरक्षा के बजाए राशन की घटतौली व कटौती में जुटे रहते है। वर्तमान समय मे इस जेल में साढ़े तीन हज़ार से अधिक बन्दी निरुद्ध है। सूत्रों की माने तो यह अधिकारी कैंटीन की बिक्री बढ़ाने के लिए बंदियों के राशन में पचास से साठ फीसद कटौती कर प्रतिमाह 30 से 35 लाख रुपये का वारा न्यारा कर रहे है। यही काम यह अधिकारी सरसों का तेल, रिफाइंड व घी की खरीद में भी करते है। जेल अधीक्षक की रजामंदी से हो रही राशन कटौती, मशक्कत, कैंटीन, पीसीओ व एमएसके की खरीद फरोख्त मद से जेल में प्रतिमाह लाखों रुपये की कमाई कर जेब भरने में जुटे हुए है। इस सच की पुष्टि जेल में होने वाली खरीद फरोख्त के दस्तावेजो व बिलों से की जा सकती है। उधर विभाग के आला अफसर इस गंभीर मामले पर कुछ भी बोलने से बच रहे है।
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
मोबाइल न - 7398265003