300 करोड़ो का बजट फिर भी कोई अभियंता नहीं : जेल मुख्यालय में निर्माण विभाग का काम बाहरी कर्मियों के भरोसे

जेल मुख्यालय में निर्माण विभाग की इकाई में एक अधिशाषी अभियंता, एक सहायक अभियंता, तीन अवर अभियंता, एक संगणक और दो ड्राफ्ट मैन के पद सृजित है। सूत्रों का कहना है कि वर्तमान समय में यह सभी पद खाली पड़े हुए हैं। वर्तमान समय में निर्माण इकाई द्वारा कराए जा रहे कार्यों की कमान तीन प्रशिक्षक निर्माण कार्मिकों के हाथों में है।

300 करोड़ो का बजट फिर भी कोई अभियंता नहीं : जेल मुख्यालय में निर्माण विभाग का काम बाहरी कर्मियों के भरोसे

लखनऊ : प्रदेश के कारागार विभाग मुख्यालय में निर्माण विभाग है। इस विभाग से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का कार्य होता है। इस विभाग में एक अभियंता नहीं है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन सच है। विभाग में पदों को सृजन जरूर किया गया है। इसके बावजूद इन पदों पर कोई तैनात नहीं किया है। दिलचस्प बात यह है कि विभाग के आला अफसर ही नहीं चाहते कि इस विभाग में अधिकारियों की तैनाती नहीं हो। इस विभाग में प्रतिवर्ष लाखों का गोलमाल किया जा रहा है। मामला हाईकमान से जुड़ा होने की वजह से विभागीय अधिकारी इस गंभीर मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं।

तीन अनुदेशक करा रहे विभाग में निर्माण के समस्त कार्य : वर्तमान समय में प्रदेश के कई जनपदों में नई जेलों का निर्माण कराया जा रहा है। इसके साथ ही जेलों में नई बैरकों के निर्माण के साथ ही साथ जेलों में होने वाली टूट-फूट की रिपयेरिंग का काम भी बड़े पैमाने पर कराया जाता है। इन कार्यों के लिए शासन की ओर से प्रतिवर्ष करीब 300 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किय जाता है। 300सूत्रों का कहना है कि निर्माण के लिए आवंटित होने वाली धनराशि से होने वाले कार्यों की स्वीकृत करने का अधिकारी महानिदेशक कारागार (प्रमुख सचिव )के पास होता है। निर्माण कार्य की वित्तीय स्वीकृत होने के बाद कार्यों का आवंटन जेल मुख्यालय की ओर से कार्यदायी संस्थाओं को किया जाता है। विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं को कार्य (वर्क आर्डर )मिलने के बाद इसके निगरानी और निरीक्षण की जिम्मेदारी जेल मुख्यालय में बने निमार्ण विभाग इकाई की होती है।

मिली जानकारी के मुताबिक जेल मुख्यालय में निर्माण विभाग की इकाई में एक अधिशाषी अभियंता, एक सहायक अभियंता, तीन अवर अभियंता, एक संगणक और दो ड्राफ्ट मैन के पद सृजित है। सूत्रों का कहना है कि वर्तमान समय में यह सभी पद खाली पड़े हुए हैं। वर्तमान समय में निर्माण इकाई द्वारा कराए जा रहे कार्यों की कमान तीन  प्रशिक्षक निर्माण कार्मिकों के हाथों में है। जानकारों का कहना है कि इन प्रशिक्षण निर्माण कार्मिकों के पदां को उच्चीकृत कर अभियंता की भांति कर दिया गया है। बताया गया है कि राजधानी की आदर्श कारागार के प्रशिक्षक निर्माण कार्मिक दिनेश त्रिपाठी को अवर अभियंता के पद पर कार्य करने के लिए जेल की ओर से प्रतिनियुक्ति पर जेल मुख्यालय के निर्माण इकाई भेजा गया था। वर्तमान समय में नई जेलों के निर्माण से लेकर मरम्मत तक का कार्य अपने दो अन्य अनुदेशकों की मदद से वहीं देख रहे है।

विभागीय जानकारों का कहना है कि पिछले कई वर्षो से निर्माण का कार्य देख रहे दिनेश त्रिपाठी योग्य, तकनीकी कार्मिक है। इन्हें सहायक अभियंता के पद पर प्रोन्नति को का मामला प्रमुख सचिव कारागार के स्तर पर चल रहा है। इनसे विभाग के अधिकारी निर्माण का पूरा कार्य करा रहे हैं। इस विभाग के अफसर सारे नियमों को ताक पर रखकर पूरे प्रदेश के निर्माण से सबंधित कार्यों का दायित्व अनुभवहीन कर्मियों को दे दिया गया है।

मुख्यालय के निर्माण विभाग में कोई अभियंता नहीं

प्रदेश के जेल मुख्यालय के निर्माण विभाग में अभियंताओं की तैनाती के संबंध में जब उपमहानिरीक्षक जेल मुख्यायल अरविंद कुमार सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने निर्माण विभाग में अधिशाषी अभियंता समेत अन्य समस्त खाली पड़े पदों की पुष्टिï करते हुए बताया कि वर्तमान समय में निर्माण कार्य के लिए तीन अनुदेशक लगाए गए हैं। श्री सिंह ने बताया कि पूर्व में निर्माण में एक सहायक अभियंता तैनात थे उनके सेवानिवृत हो जाने के बाद से यह पद भी खाली पड़ा है। प्रशिक्षक निर्माण कर्मी को सहायक अभियंता पद पर प्रोन्नत किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह शासन का मामला है। शासन को इस पर निर्णय लेना है। योग्यता के आधार पर शासन निर्णय लेगा।

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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