आयुक्त के तुगलकी फरमान से उड़ी किसानों की नींद : गन्ना किसानों को बर्बाद करने में जुटे गन्ना आयुक्त, पीएम-सीएम के अरमानो पर पानी फेर रहे नौकरशाह

आदेश में कहा गया है की प्रदेश की खांडसारी इकाइयों को तभी संचालित किया जाए जब तक रिकवरी का प्रतिशत 8.90 से ऊपर न हो जाये। गन्ना आयुक्त के इस फरमान से किसानों के सामने संकटों का पहाड़ खड़ा हो गया है।

आयुक्त के तुगलकी फरमान से उड़ी किसानों की नींद : गन्ना किसानों को बर्बाद करने में जुटे गन्ना आयुक्त, पीएम-सीएम के अरमानो पर पानी फेर रहे नौकरशाह
खांडसारी इकाईयों के संचालन पर लगाई रोक

लखनऊ। प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री के गन्ना किसानों की आय दुगनी करने के सपनों पर प्रदेश के गन्ना आयुक्त पानी फेर रहे है। गन्ना आयुक्त के तुगलकी फरमान से गन्ना किसानों की आमदनी बढ़ने के बजाए वह बर्बादी के कगार पर आ गए है। इस फरमान से किसानों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न होने के मवेशियों को चारा उपलब्ध कराना तक मुश्किल हो जाएगा। यही नही इसकी वजह से अगली फसल की बुवाई तक करने में दिक्कत होगी। निजी स्वार्थो की खातिर चीनी मिल मालिकों को लाभ पहुँचाने के जारी किया गया यह फरमान किसानों के लिये मुसीबत का सबब बन गया है।

खांडसारी इकाईयों के संचालन पर लगाई रोक : प्रदेश के आयुक्त गन्ना एवम चीनी संजय भूसरेड्डी ने बीती 19 अक्टूबर 21 को खांडसारी इकाइयों के संचालन को लेकर एक आदेश जारी किया है। इसमे कहा गया है कि क्षेत्रीय अधिकारियों से मिली सूचना के अनुसार खांडसारी इकाइयों में गन्ना पेराई का कार्य प्रारंभ हो चुका है। वर्तमान परिस्थितियों में गन्ने की पेराई से रिकवरी छह से साढ़े छह प्रतिशत के मध्य आ रही है। उन्होंने कहा है कि जब तक गन्ने की रिकवरी का प्रतिशत न हो तब तक खांडसारी इकाइयों के संचालन न हो।

आदेश में कहा गया है की प्रदेश की खांडसारी इकाइयों को तभी संचालित किया जाए जब तक रिकवरी का प्रतिशत 8.90 से ऊपर न हो जाये। गन्ना आयुक्त के इस फरमान से किसानों के  सामने संकटों का पहाड़ खड़ा हो गया है। 

सूत्रों का कहना है कि निजी चीनी मिल मालिकों को लाभ पहुँचाने के लिए यह फरमान जारी किया गया है। इस वर्ष गन्ने का उत्पादन 20 से 25 प्रतिशत  कम हुआ है। यही नही खांडसारी इकाइयों के पंजीकरण में भी जमकर धांधली की गई। खांडसारी इकाइयों पर गन्ना अधिनियम-1965 एवम आबकारी विभाग का कोई नियम लागू नही होता है। किसानों की आय दुगनी करने के लिए सीएम के निर्देश पर प्रदेश में करीब दो सौ नई खांडसारी इकाइयां स्थापित हुई। 

सूत्रों की मानें तो गन्ना आयुक्त ने निजी मिल मालिकों से साठगांठ करके निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए  खांडसारी इकाइयों को चीनी मिलों के बाद संचालित करने के उद्देश्य से यह तुगलकी फरमान जारी किया है। इससे छोटे गन्ना किसानों के सामने मवेशियों के चारे व अगली फसल की बुवाई का संकट उत्पन्न हो गया है। गन्ना किसान अक्टूबर में ही गन्ने की कटाई करके खांडसारी इकाइयों में बेंचकर इन कार्यो की निपटाते रहे है। उधर इस संबंध में अपर मुख्य सचिव गन्ना संजय भूसरेड्डी कहते है कि आपकी जो मर्जी आये लिखिए हम जवाब दे देंगे।

न्याय के लिए किसान जाए तो जाए कहाँ

लखनऊ। गन्ना आयुक्त के किसानों के हित में नही लिए गए निर्णय को लेकर किसान अपील करने जाए तो कहा जाए। अपीलीय अधिकारी का प्रभार एक ही अधिकारी के पास है। बताया गया है गन्ना आयुक्त के आदेश के विरोध में न्यायालय में जाने से पूर्व इसकी अपील अपर मुख्य सचिव गन्ना/प्रमुख सचिव के यहां किये जाने का प्रावधान है। गन्ना विभाग में अपर मुख्य सचिव गन्ना के पास ही प्रमुख सचिव व गन्ना आयुक्त का प्रभार है। अपर मुख्य सचिव गन्ना के पास गन्ना आयुक्त का प्रभार होने की वजह से पीड़ित किसान अपील को लेकर पशोपेश की स्थिति में है। अपर मुख्य सचिव गन्ना के पास ही तीनो प्रभार होने किसान तुगलकी फरमान के विरोध में अपील करने में भी हिचकिचा रहे है।

 

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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