झांसी जिला जेल में कोरोना की दस्तक : जेल प्रशासन में मचा हड़कंप, मामले को दबाने में जुटा प्रशासन, समीक्षा बैठक के एक दिन बाद ही मिला संक्रमण का मामला

झांसी जिला कारागार में बन्दियों की जांच कराई गई। बैरेक में बंद 90 बन्दियों की जांच कराई गई। इसमे एक बन्दी कोरोना संक्रमित मिला। इसकी जानकारी होते ही जेल प्रशासन में हड़कम मच गया। आनन फानन में संक्रमित बन्दी को अन्य बन्दियों से अलग किया गया। इस बन्दी को उपचार दिया जा रहा है। जेल प्रशासन के अधिकारी इस मामले को दबाने में जुटे हुए है।

झांसी जिला जेल में कोरोना की दस्तक : जेल प्रशासन में मचा हड़कंप, मामले को दबाने में जुटा प्रशासन, समीक्षा बैठक के एक दिन बाद ही मिला संक्रमण का मामला
झांसी जिला जेल में कोरोना की दस्तक

लखनऊ। विभागीय समीक्षा बैठक के एक दिन बाद ही सोमवार को झांसी जिला कारागार में कोरोना पोस्टिव एक बन्दी मिलने से हड़कंप मच गया। जेल प्रशासन के अधिकारी मामले को दबाने में जुटे हुए है। इस सच का खुलासा बन्दियों की प्राथमिक जांच में हुआ है। झांसी जेल प्रशासन ने संक्रमित बन्दी के बारे में कुछ भी बताने में ताल मटोल करता नजर आया।

बीते शनिवार को राजधानी के जेल मुख्यालय सभागार में विभागीय समीक्षा बैठक हुई थी। बैठक में जेलों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के साथ बजट आवंटन पर चर्चा की गई। इसके अलावा कोरोना संक्रमण ऑमिकोंन के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए मातहत अधिकारियों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए। अधिकारियों को ठंडक के मौसम में सुरक्षा पर विशेष निगरानी रखने की बात कही गयी।

बैठक में शामिल होकर जेल अधिकारी अभी अपनी जेलो पर पहुच भी नही पाए थे कि जेल में कोरोना संक्रमण ने दस्तक दे दी। सूत्रों का कहना है कि झांसी जिला कारागार में बन्दियों की जांच कराई गई। बैरेक में बंद 90 बन्दियों की जांच कराई गई। इसमे एक बन्दी कोरोना संक्रमित मिला। इसकी जानकारी होते ही जेल प्रशासन में हड़कम मच गया। आनन फानन में संक्रमित बन्दी को अन्य बन्दियों से अलग किया गया। इस बन्दी को उपचार दिया जा रहा है। जेल प्रशासन के अधिकारी इस मामले को दबाने में जुटे हुए है। इस संबंध में जब झांसी जेल के अधीक्षक रंग बहादुर पटेल से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका सीयूजी फ़ोन स्विच ऑफ मिला।

मुहं देखकर होती अफसरों पर कार्यवाही

लखनऊ। वर्ष-2019 में कोरोना कॉल के दौरान मुरादाबाद जेल में आठ कोरोना संक्रमित बन्दी मिलने पर तत्कालीन जेलर का निलंबित कर दिया गया था। करीब डेढ़ साल से अधिक समय तक निलंबित रहा यह जेलर कोर्ट के आदेश पर बहाल हुआ। इस घटना के बाद लखनऊ व आगरा जेल में दर्जनों की संख्या में बन्दी संक्रमित होने के बाद भी आला अफसरों ने कोई कार्यवाही नही की थी। विभागीय अधिकारियों की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही से अधिकारियों में खासा आक्रोश व्याप्त है। मामला अनुशासन से जुड़ा होने की वजह से उन्होंने चुप्पी साध रखी है।

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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