हापुड़ : तीन माह से चल रही थी अवैध पटाखा फैक्ट्री, धमाके के बाद हवा में उड़कर पटाखा फैक्टरी के बाहर गिरे शव
विस्फोट के बाद यह टिन शेड जमींदोज हो गया। फैक्टरी परिसर में कोई आग बुझाने का सिलिंडर तक नहीं था। अंदाजा लगाया जा रहा था। यहां केवल खिलौना बंदूक की गोली में बारूद भरने का काम किया जाता था, जो पूरी तरह हाथ से किया जाता था। जिसके कारण यह हादसा हुआ।
हापुड़ जिले के धौलाना औद्योगिक क्षेत्र में पुलिस चौकी से मात्र 250 मीटर और सीएनजी पंप से 500 मीटर की दूरी पर अवैध रूप से चल रही पटाखा फैक्टरी में शनिवार दोपहर ढाई बजे भीषण विस्फोट हो गया। हादसे में 12 मजदूरों की मौत हो गई और 21 बुरी तरह झुलस गए। इनमें से पांच की हालत बहुत गंभीर है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने के लाइसेंस पर चलाई जा रही फैक्टरी में बारुद के ढेर में अन्य रसायन मिलाए जाते समय हुआ धमाका इतना जबरदस्त था कि पूरी इमारत जमींदोज हो गई और भीषण आग लग गई। मृतकों की शिनाख्त नहीं हो पाई है। पांच सौ वर्ग मीटर की फैक्टरी परिसर में टिन शेड के नीचे अवैध रूप से पटाखे बनाने का काम पिछले तीन महीने से चल रहा था।
जबकि यहां बड़े स्तर पर खिलौना बंदूक में काम आने वाली स्काई शॉट बनाने का काम हो रहा था। आग से बचाव के लिए यहां न तो आधुनिक उपकरण थे और न ही किसी प्रकार के संसाधन मौजूद थे। पड़ोस में काम करने वाले फैक्टरी संचालकों ने बताया कि फैक्टरी में करीब तीन साल पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने का काम होता था। मेरठ निवासी दिलशाद खान की रूही इंडस्ट्रीज के नाम से फर्म है और इसी नाम से रजिस्टर्ड है।
लेकिन पिछले काफी समय से काम बंद था और करीब तीन माह पहले ही इस फैक्टरी को हापुड़ निवासी वसीम को किराये पर दिया गया था। फैक्टरी में एक हॉल और छोटे कमरे के अलावा पूरे परिसर में बड़े टिन शेड के नीचे काम चल रहा था। विस्फोट के बाद यह टिन शेड जमींदोज हो गया। फैक्टरी परिसर में कोई आग बुझाने का सिलिंडर तक नहीं था। अंदाजा लगाया जा रहा था। यहां केवल खिलौना बंदूक की गोली में बारूद भरने का काम किया जाता था, जो पूरी तरह हाथ से किया जाता था। जिसके कारण यह हादसा हुआ।
आईजी प्रवीन कुमार ने बताया कि इस बंद फैक्टरी में पटाखे बनाने का काम चल रहा था। इसके पीछे एक बिजली का ट्रांसफार्मर भी था। हो सकता है कि उसमें आग के बाद यहां आग लगी हो, हालांकि आग का कारण स्पष्ट नहीं है।
घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लेते हुए ट्वीट किया, उन्होंने अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर जांच और बचाव कार्य करने के निर्देश दिए। जिसके बाद मंडलायुक्त सुरेंद्र कुमार, एडीजी राजीव सब्बरवाल, आईजी प्रवीण कुमार भी मौके पर पहुंच गए। डीएम मेधा रूपम और एसपी दीपक भूकर पहले से मौजूद थे। मंडलायुक्त ने बताया कि मामले की जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी गठित की जा रही है। दोषियों को किसी भी स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा।
आईजी ने दिखाई सख्ती तो पहुंची फोरेंसिक टीम : इतनी बड़ी घटना के बाद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए। मौके पर आईजी पहुंचे तो उन्हें जगह-जगह खून दिखाई दिया। इस पर उन्होंने फोरेंसिक टीम के संबंध में पूछा। टीम के न आने पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की। उनके निर्देश के बाद सवा पांच बजे फोरेंसिक टीम पहुंची।
टीम को मौके से उपस्थिति रजिस्टर मिला है। जिसमें रात्रि की शिफ्ट में काम करने वालों के नाम अंकित थे और दो जून तक की इसमें एंट्री पाई गई। करीब 23 लोगों के इस रजिस्टर में हस्ताक्षर मौजूद थे। इसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया है। मौके पर दो मोबाइल मलबे में पड़े थे और बार-बार बज रहे थे। पुलिस लोगों को फैक्टरी से बाहर निकाल चुकी थी और आईजी भी मौके पर जांच कर रहे थे। फोन की आवाज सुनकर उन्होंने मोबाइल को मलबे से निकालने के निर्देश दिए, जिन्हें खोजा गया।