बेलगाम जेल अफसरों पर नहीं लग रही लगाम : जेल से हटाए गए रिटायरकर्मी को फिर बुलाया नौकरी पर, उच्चाधिकारियों को गुमराह कर रहे मातहत अफसर
अलीगढ़ जेल पर तैनात अकाउंटेंट अनिल शर्मा करीब एक साल पहले रिटायर हो गया है। रिटायर होने के बाद भी यह अकॉउंटेंट जेल पर काम कर रहा है। काम के एवज में जेल प्रशासन के अधिकारी इसे कैंटीन से प्रतिदिन होने वाली करीब 75 हज़ार रुपये की कमाई से रिटायर अकाउंटेंट को प्रतिमाह पचास हज़ार रुपए दिया जाता है।
लखनऊ : न बाप बड़ा न भईया, सबसे बड़ा रुपइया... यह कहावत प्रदेश कारागार विभाग के अधिकारियों पर एकदम सटीक साबित होती है। इस विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री तो मुख्यमंत्री अपने ही उच्चाधिकारियों को गुमराह कर रहे है।
इस सच का खुलासा रिटायर अकॉउंटेंट से काम कराने व ट्रांसफर होने के बाद रिलीव नही होने वाले वार्डरों के उन्ही जेलों पर जमे होने से हुआ। दिलचस्प बात यह है कि खबर प्रकाशित होने के बाद चंद दिनों के लिए इन्हें हटाया जरूर गया किन्तु कुछ ही दिनों बाद ही उन्हें पुनः काम पर रख लिया गया।
जुगाड़ व धनबल के सहारे दर्जनों वार्डर अभी भी नहीं हुए रिलीव : गौरतलब है कि रिटायर कर्मी से काम करने का मामला पश्चिम की कमाऊ कही जाने वाली अलीगढ़ जेल का है। अलीगढ़ जेल पर तैनात अकाउंटेंट अनिल शर्मा करीब एक साल पहले रिटायर हो गया है। रिटायर होने के बाद भी यह अकॉउंटेंट जेल पर काम कर रहा है। काम के एवज में जेल प्रशासन के अधिकारी इसे कैंटीन से प्रतिदिन होने वाली करीब 75 हज़ार रुपये की कमाई से रिटायर अकाउंटेंट को प्रतिमाह पचास हज़ार रुपए दिया जाता है।
इसके अलावा गल्ला गोदाम में आने वाले खाद्यान का कमीशन इसकी अतिरिक्त कमाई का जरिया बना हुआ है। यही नही इस जेल पर तैनात वार्डर अरुण, नितिन, महिला हेड वार्डर लवली व लता का दो साल पूर्व तबादला हुआ था। इन्हें रिलीव करने के बजाए अफसरों ने मोटी रकम लेकर विभिन्न जेलो से पुनः इसी जेल पर सम्बद्ध कर दिया गया।
इसके अलावा गोरखपुर जेल पर तैनात वरिष्ठ सहायक कृष्ण कुमार पांडे पिछले काफी लंबे समय से इसी जेल पर जमे हुए है। कहने को तो इनका कई बार तबादला हुआ किन्तु जुगाड़ व धनबल की वजह से अधिकारी इन्हें हटा नही पाए। हाल ही में इनका तबादला गोरखपुर से गोंडा किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि आज तक इन्हें रिलीव ही नही किया गया।
इसी प्रकार आगरा जेल परिक्षेत्र कार्यालय में बीते करीब 15 साल जमीं रंजना कमलेश के साथ मथुरा जेल में बन्दियों को दी जाने वाली रोटियों को सुखाकर बेचने के लिए सुर्खियों में रहने वाले चूड़ामणि तिवारी पिछले बारह साल से जमे है। इनका तबादला ही नही किया जाता है। मथुरा जेल पर तैनात बड़े बाबू वीरपाल का पिछले दिनों तबादला किया गया लेकिन आज तक इन्हें रिलीव नही किया गया है। बताया गया है कि यह तो बानगी भर है इस प्रकार प्रदेश की जेलों में बड़ी संख्या में बाबू एवम सुरक्षाकर्मी है जिन्हें तबादले के बाद रिलीव ही नही किया गया है।
बीती 25 सितंबर को इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। खबर प्रकाशन के बाद शासन, जेल मुख्यालय व जेलों में हड़कम मच गया। आनन फानन में डीजी पुलिस/आईजी जेल के निर्देश पर रिटायरमेन्ट के बाद काम कर रहे अकॉउंटेंट को हटाने व तबादले के बाद जेलों पर जमें वार्डरों को तत्काल रिलीव करने का निर्देश जारी किया गया।
सूत्रों का कहना है इस निर्देश के बाद अलीगढ़ में फिक्स अमाउंट पर काम कर रहे अकॉउंटेंट को हटा दिया गया। किन्तु कुछ दिनों बाद ही उसे फिर बुला लिया गया। इसी प्रकार कुछ स्थानांतरित वार्डर भी रिलीव कर दिए गए किन्तु कुछ जुगाड़ व धनबल के सहारे आज भी उन्हीं जेलों पर जमें हुए है। दिलचस्प बात यह है कि जेल के मातहत अधिकारी अपने उच्चाधिकारियों को गुमराह करके अभी भी रिटायर अकाउंटेंट व स्थानांतरित वार्डरों से काम ले रहे है।
मुख्यालय अधिकारी कहते है जांच कराई जाएगी लखनऊ। जेल मुख्यालय अधिकारियों के निर्देशों की अवहेलना के इस गंभीर मामले पर विभाग के उच्चाधिकारी कहते है इसकी जांच कराई जाएगी। जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी से काफी प्रयासों के बाद भी संपर्क नही हो सका। |