इटावा में सैफई मेडिकल के 10 अधिकारी-कर्मचारी दोषी : इटावा में पेशेंट किचेन टेंडर में पाई गई अनियमितता, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर को किया गया अवमुक्त
मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी प्रदीप कुमार के द्वारा शिकायती पत्र एवं शपथ पत्र के द्वारा की गई शिकायतो की जांच कानपुर मंडल आयुक्त डॉ. राजशेखर से कराई गई थी। जिसमें जांच के उपरांत पाया गया कि मैसर्स एससी अग्रवाल पेशेंट किचेन व विश्वविद्यालय के मध्य 2006 से 2009 तक 3 वर्ष के लिए अनुबंध किया गया था। लेकिन उसके बाद भी अधिकारियों कर्मचारियों की मिली भगत से नई निविदा न करके उक्त निविदा अनुबंध को ही अनियमित तरीके से बार-बार विस्तारित किया जाता रहा।
इटावा में यूपी आयुर्विज्ञान विश्विद्यालय में मरीजों की चलने वाली किचेन में वित्तीय अनियमितता में 10 अधिकारी-कर्मचारी दोषी पाए गए हैं। पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. आदेश कुमार को तत्काल प्रभाव से अवमुक्त कर दिया गया है। उनकी जगह डॉ. एसपी सिंह को चिकित्सा अधीक्षक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। अब 9 अन्य अधिकारी कर्मचारियों पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
बता दें, मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार ने 13, 20, 26 जून 2022 एवं 28 जुलाई को शपथ पत्र के माध्यम से कानपुर मण्डलायुक्त से जांच करवाई गई थी। जिसके बाद मंडलायुक्त डॉ राजशेखर के द्वारा जांच आख्या उत्तर प्रदेश शासन को सौंपी गई थी। 18 दिसम्बर 2021 को प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने पत्र जारी करते हुए इस वित्तीय अनियमितता में दोषी पाए जाने वाले 10 अधिकारियों कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने के निर्देश जारी किए थे।
3 साल के अनुबंध को बार-बार बढ़ाया गया : मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी प्रदीप कुमार के द्वारा शिकायती पत्र एवं शपथ पत्र के द्वारा की गई शिकायतो की जांच कानपुर मंडल आयुक्त डॉ. राजशेखर से कराई गई थी। जिसमें जांच के उपरांत पाया गया कि मैसर्स एससी अग्रवाल पेशेंट किचेन व विश्वविद्यालय के मध्य 2006 से 2009 तक 3 वर्ष के लिए अनुबंध किया गया था। लेकिन उसके बाद भी अधिकारियों कर्मचारियों की मिली भगत से नई निविदा न करके उक्त निविदा अनुबंध को ही अनियमित तरीके से बार-बार विस्तारित किया जाता रहा।
कार्रवाई के लिए प्रमुख सचिव को लिखा था पत्र : किसी एक कांट्रेक्टर को इतने लंबे समय से बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के क्रय आदेश निर्गत करते रहना एवं समय-समय पर विस्तारित किए जाने पर घोर अनियमितता की श्रेणी में मानते हुए 2019 में सेवानिवृत्त हुए प्रशासनिक अधिकारी एके राघव, कार्यरत लेखा अधिकारी राकेश कुमार, वरिष्ठ लेखा अधिकारी विपिन कुमार, कार्यालय अधीक्षक संदीप दीक्षित, प्रभारी पेसेंट किचिन डॉ. आदेश कुमार, सहायक प्रशासनिक अधिकारी उमाशंकर, सहायक प्रशासनिक अधिकारी मिथिलेश दीक्षित, कार्यालय अधीक्षक राजकुमार सचयानी, अनुबंध प्रकोष्ठ प्रवीण कुमार शर्मा, निविदा प्रकोष्ठ जेपी मथुरिया को इस वित्तीय अनियमितता के संबंध में दोषी मानते हुए उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने कार्रवाई करने के लिए 18 दिसम्बर को पत्र लिखा था।