लखनऊ विश्वविद्यालय में डिग्री कॉलेज शिक्षकों का प्रदर्शन : मांगें न पूरी करने पर सरकार के खिलाफ गुस्सा, LU में धरना देकर VC को सौंपा ज्ञापन
लखनऊ विश्वविद्यालय में LUACTA यानी संयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ के बैनर तले बड़ी संख्या में शिक्षक सुबह से ही इकट्ठा हुए और सरस्वती वाटिका के सामने धरना व प्रदर्शन करते दिखे। इस दौरान नारेबाजी भी हुई। इसके बाद शिक्षक संघ के पदाधिकारियों की अगुवाई में विश्वविद्यालय कुलपति को ज्ञापन भी सौंपा।
यूपी में सिर्फ विपक्षी पार्टियां ही प्रदर्शन नहीं कर रहीं। मंगलवार को डिग्री कॉलेज शिक्षकों का भी प्रदेशव्यापी धरना व प्रदर्शन देखा गया। इस दौरान कई डिग्री कॉलेजों के शिक्षक सामूहिक अवकाश रहे। लखनऊ विश्वविद्यालय में LUACTA यानी संयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ के बैनर तले बड़ी संख्या में शिक्षक सुबह से ही इकट्ठा हुए और सरस्वती वाटिका के सामने धरना व प्रदर्शन करते दिखे। इस दौरान नारेबाजी भी हुई। इसके बाद शिक्षक संघ के पदाधिकारियों की अगुवाई में विश्वविद्यालय कुलपति को ज्ञापन भी सौंपा।
शिक्षक संघ के पदाधिकारियों की अगुवाई में विश्वविद्यालय कुलपति को ज्ञापन भी सौंपा। |
LU में सरस्वती वाटिका पर शिक्षकों ने दिया धरना : दरअसल, शिक्षक संघ ने लंबे समय से अपनी तमाम मांगों को लेकर मुहिम छेड़ रखी है। कई अवसरों पर इन मांगों को सरकार व शासन तक पहुंचाया गया है पर अभी तक इस बाबत कोई ठोस फैसला नहीं हो सका। यही कारण है कि पहले से निर्धारित कार्यक्रम के तहत मंगलवार को विश्वविद्यालय मुख्यालय पर धरना दिया गया। सरस्वती वाटिका में धरना प्रदर्शन के दौरान LUTA (लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ) के पदाधिकारी भी मौजूद रहे। प्रदर्शन के बाद शिक्षकों ने LU (लखनऊ यूनिवर्सिटी) के V C (कुलपति) प्रो.आलोक कुमार राय को मांगों से संबंधित ज्ञापन भी सौंपा। बता दें शिक्षकों ने सुबह 11 से 2 दोपहर बजे तक प्रदर्शन किया।
19 सितंबर की बैठक में बनी थी 5 अक्टूबर को प्रदर्शन की रणनीति : लखनऊ विश्वविद्यालय संयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडे के मुताबिक शिक्षक संघ प्रदेश कार्यकारिणी की 19 सितंबर की वृंदावन में आहूत बैठक में शिक्षकों की समस्याओं के लिए चरणबद्ध तरीके से आंदोलन का निर्णय लिया गया था। आंदोलन के प्रथम चरण में पूरे प्रदेश में 5 अक्टूबर 2021 को सामूहिक अवकाश के साथ विश्वविद्यालय मुख्यालय पर धरना दिया जा रहा है। इसके बाद भी अगर सरकार ने कोई सकारात्मक फैसला नहीं लिया तो आंदोलन की गति को तेज करने पर हम विचार करेंगे।
ये हैं मांगें
- पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए
- स्ववित्तपोषित योजना के अंतर्गत संचालित महाविद्यालयों को पुनः अनुदान सूची पर लिया जाए
- महाविद्यालयों के शिक्षको को प्रोफेसर पदनाम, अधिवर्षिता आयु 65 वर्ष किए जाने, आकस्मिक अवकाश 8 से बढ़ाकर 14 किए जाने की मांग की जा रही है
- शिक्षकों के लिए डेथ कम ग्रेच्युटी, दिवंगत शिक्षकों के परिवार को मृतक आश्रित सेवायोजन में तृतीय श्रेणी के स्थान पर योग्यता अनुसार पद भी आ जाए
- लखनऊ विश्वविद्यालय की समस्त कमेटियों में 80:20 के अनुपात से प्रतिनिधित्व मिले
- 5 सितंबर 21 को यूजीसी शिक्षकों के शोध के लिए जारी शासनादेश मे 5 शोधपत्रों के स्थान पर यूजीसी शोध नियम के अनुसार 2 शोध पत्र की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.
- शिक्षकों को शोध में प्रवेश हेतु 10% सीटों के आरक्षण का शासनादेश, मेडिकल लीव का अलग से प्रावधान, छुट्टियों की कटौती के लिए जारी शासनादेश को निरस्त करने, प्रबंधन तंत्र में शिक्षकों की 50% की भागीदारी सुनिश्चित की जाए
- राज्य पुरस्कार के सरस्वती और शिक्षक श्री में महाविद्यालयों के शिक्षकों के लिए पुरस्कारों की संख्या को बढ़ाया जाए.
- लखनऊ विश्वविद्यालय की फीस कम करने, समान पाठ्यक्रम के लिए समान परीक्षा शुल्क, लाइब्रेरियन के पदों पर नियुक्ति, ओरिएंटेशन और रिफ्रेशर में छूट 2018 के स्थान पर 2021 करने
शिक्षा विभाग में सिटीजन चार्टर लागू करने, स्ववित्तपोषित शिक्षकों के लिए सीपीएफ अकाउंट खोलने की सुविधा, जीएलआईसी की कटौती 62 वर्ष किए जाने, पीएचडी की अहर्ता न धारित करने वाले शिक्षकों एसोसिएट प्रोफेसर पर कैरियर एडवांसमेंट योजना के अंतर्गत प्रोन्नति सहित अन्य मांगों को उठाया गया है