ATS भी अलर्ट : 686 करोड़ की नशीली दवाओं की इंटरनेशनल तस्करी, गोरखपुर से बिहार तक फैला है नशीली दवाओं का जाल
ड्रग माफिया से लेकर हवाला कारोबार तक जुड़ा है गोविंद का नाम, सूत्रों की मानें तो इंटरनेशनल ड्रग्स माफिया के लिए कैरियर का काम करने वाले उसके कई साथी नेपाल की अलग-अलग जेलों में बंद हैं।
महराजगंज जिले में नेपाल बॉर्डर पर बसे गांव जमुई कला में 3 अगस्त को पकड़ी गई 686 करोड़ की नशीली दवाओं के कनेक्शन इंटरनेशनल तस्करी से जुड़ने लगे हैं। ATS, पुलिस, कस्टम और ड्रग डिपार्टमेंट की संयुक्त जांच में इस मामले में सिसवा के दवा कारोबारी दो भाइयों के नाम सामने आए हैं। इनकी गोरखपुर शहर में भी दो दुकानें हैं। दुकानों की जांच शुरू हो गई है।
मुख्य बातें
- बिहार और गोरखपुर से भेजी जा रही दवाएं
- हवाला कारोबार से भी जुड़ा है गोविंद
- गोविंद के ही थे ट्रेन से बरामद 20 लाख अमेरिकी डॉलर
- 76 लाख के नेपाली नोटों में आया था गोविंद का नाम
- एक मकान, एक दुकान पर बने थे तीन लाइसेंस
उम्मीद है जल्द ही इन पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है। हालांकि, घटना के बाद से ही सिसवा और गोरखपुर की सभी दुकानें बंद बताई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि कार्रवाई के डर से दवा कारोबारी भाई शहर छोड़कर फरार हो गए हैं।
नेपाल भाग गया गोविंद, नेपाली सांसद के साथ फोटो वायरल : इस मामले का मुख्य आरोपी गोविंद गुप्ता के नेपाल भाग जाने की सूचना है। गोविंद नेपाल के एक सांसद का बेहद करीबी है। जिसका उसे संरक्षण प्राप्त था। घटना के बाद से ही उसकी नेपाल के सांसद के साथ फोटो भी सामने आई है। दूसरी ओर घटना के 4 दिन बाद भी पुलिस उसे पकड़ पाना तो दूर उसकी परछाई भी नहीं छू सकी है। जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए उसके दुकान और मकान को सीज कर दिया है। उसकी कॉल डिटेल के आधार पर उससे जुड़े लोग भी पुलिस की रडार पर आ गए हैं।
अवैध दवा के कारोबार में चर्चित हैं सिसवा के भाई : इस मामले में महराजगंज के सिसवा कस्बे में दवा कारोबारी दो भाइयों के नाम सामने आए हैं। आशंका है कि दवा कारोबारी भाई ही गोविंद को बिहार से मंगाकर नशीली दवाओं की खेप उपलब्ध कराते थे। इन्हीं भाइयों की सिसवा कस्बे में दो अन्य फर्में काफी दिनों से बंद चल रही हैं।
पूरे कस्बे में बंद यह दोनों फर्में अवैध दवाओं की बिक्री को लेकर शुरू से ही काफी चर्चा में रही हैं। हालांकि इन्हीं भाइयों की तीन अन्य फर्म सिसवा में ही चल रही हैं। हालांकि, घटना के दिन से ही सभी दुकानें बंद चल रही हैं। पुलिस व अन्य एजेंसियां उनकी तलाश में जुट गई हैं।
गोरखपुर में भी चलती हैं सिसवा के कारोबारी की फर्में : गोरखपुर शहर में भी इनकी दो फर्में चलने की बात सामने आई है। इन सभी फर्मों की जांच शुरू हो गई है। इसके साथ ही सहायक आयुक्त औषधि एजाज अहमद ने बताया कि यह प्रकरण बेहद गंभीर है। करीब 700 करोड़ रुपए की नशीली दवाएं बरामद हुई हैं। ऐसे में नशीली दवाओं के नेटवर्क को तोड़ना जरूरी है।
इसके लिए दवा निर्माता कंपनियों से संपर्क किया गया है। उन्होंने बताया कि बरामद दवाओं पर अलग-अलग निर्माता कंपनियों के नाम अंकित हैं। ऐसे 6 कंपनियों को पत्र भेजा गया है। जिसमें उनसे जानकारी मांगी गई है कि किस-किस थोक विक्रेता ने ऑर्डर भेजा था। उन्हें कौन से बैच नंबर की दवा की सप्लाई हुई है। मुख्य आरोपी की धरपकड़ के लिए भी पुलिस सक्रिय है।
पहले भी नकली दवाओं को लेकर चर्चा में रहे थे : सिसवा के दवा कारोबारी भाइयों का अवैध दवाओं के कारोबार में नाम जुड़ना कोई नई बात नहीं है। यह सभी भाई इसे लेकर सिर्फ अपने कस्बे में ही नहीं बल्कि, महाराजगंज से लेकर गोरखपुर तक काफी चर्चा में रहे हैं। करीब 5 वर्ष पूर्व भी अलीगंज से नकली एंटीबायोटिक दवा की खेप सिसवा में पकड़ी जा चुकी है। उस वक्त भी इन्हीं भाइयों के नाम सामने आए थे, लेकिन बताया जाता है कि बाद में ड्रग विभाग की मिलीभगत से मामला मैनेज हो गया और कारोबारी इस मामले से बच निकले।
दवा विक्रेता समिति ने की सख्त कार्रवाई की मांग : दवा विक्रेता समिति के अध्यक्ष योगेंद्र नाथ दुबे का कहना है भालोटिया मार्केट पूर्वांचल की सबसे बड़ी दवा मंडी है, लेकिन इस तरह के अवैध कारोबार करने वाले कुछ चंद कारोबारियों की वजह से पूरी मंडी और दवा विक्रेता कारोबारियों का नाम खराब हो रहा है। इससे आने वाली पीढ़ियों पर काफी बुरा असर पड़ेगा। ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनपर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों का दवा लाइसेंस तत्काल निरस्त करने की मांग की जाएगी, ताकि वे भविष्य में कोई भी व्यापारी ऐसा करने की न सोच सके।