राममंदिर और सिद्धिविनायक का अकाउंट बनाकर 15 लाख की ठगी, कंपनी के पूरे देश में एजेंट, बैंक मित्र बनकर की ठगी

कानपुर की मनी वॉलेट कंपनी के 400 ग्राहकों के फिंगरप्रिंट क्लोन कर जालसाजों ने निकाली रकम, मंदिरों के नाम बने अकाउंट फ्रीज...... “अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, मुंबई के श्री सिद्धि विनायक ट्रस्ट और एक अन्य एनजीओ केयर फॉर लाइफ चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर बने जाली अकाउंट से किए गए। यह खेल 18 मई 2021 से 15 जून 2021 के बीच हुआ”

राममंदिर और सिद्धिविनायक का अकाउंट बनाकर 15 लाख की ठगी, कंपनी के पूरे देश में एजेंट, बैंक मित्र बनकर की ठगी
राममंदिर और सिद्धिविनायक का अकाउंट बनाकर 15 लाख की ठगी

कानपुर की एक मनी वॉलेट कंपनी के 400 से ज्यादा ग्राहकों के खातों से 14 लाख रुपए की ठगी सामने आई है। यह रकम अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, मुंबई के श्री सिद्धि विनायक ट्रस्ट और एक अन्य एनजीओ केयर फॉर लाइफ चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर बने जाली अकाउंट से किए गए। यह खेल 18 मई 2021 से 15 जून 2021 के बीच हुआ। इसका खुलासा तब हुआ जब मनी वॉलेट कंपनी को लेनदेन की सुविधा देने वाले यस बैंक के पास ग्राहकों की शिकायत पहुंचने लगी।

कंपनी के लीगल अफसर ने बैंक के साथ मिलकर अपने स्तर से मामले की जांच कराई तो फर्जीवाड़ा सामने आया। आरोप है कि आधार कार्ड के जरिए पैसा निकालने वाले लोगों के थंब इंप्रेशन क्लोन कर ठगी की गई है। कंपनी की ओर से रायपुरवा थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस ने फिलहाल तीनों खाते फ्रीज कर दिए हैं।

कंपनी के पूरे देश में एजेंट : रेडमिल बिजनेस मॉल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लीगल एंड कम्पलायंस ऑफिसर नवीन खेराजनी ने बताया कि कंपनी का रायपुरवा में हेड ऑफिस है। यह कंपनी अपने ग्राहकों को AEPS सर्विस (आधार एनेबल्ड पेमेंट सिस्टम) और मनी ट्रांसफर करने के लिए पेमेंट गेटवे उपलब्ध कराती है। ठीक गूगल-पे की तरह इस ऐप को भी रुपए के लेनदेन में इस्तेमाल कर सकते हैं।

कंपनी ने बेहतर वित्तीय सेवाएं देने के लिए पूरे इंडिया में अपने बिजनेस एजेंट बना रखे हैं। 8 जुलाई को कंपनी की मेल आईडी पर यश बैंक से एक ई-मेल आया कि करीब 400 लोगों के थंब इंप्रेशन क्लोन करके उनके खाते से AEPS (आधार एनेबल्ड पेमेंट सिस्टम) सर्विस द्वारा 14 लाख रुपए निकाल लिए गए हैं।

बैंक मित्र बनकर की ठगी : बैंकिंग आसान करने के लिए बैंकों ने AEPS के तहत बैंक मित्र बनाए जाते हैं, जो बैंक की तरह ही नगद जमा, निकासी, बैलेंस पूछताछ समेत अन्य काम कर सकते हैं। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करने के बाद बिना व्यक्ति का वैरिफिकेशन किए बैंक मित्र बना दिया जाता है। बैंक उसे एक आईडी पासवर्ड उपलब्ध कराने के साथ ही थंब इंप्रेशन स्कैन मशीन उपलब्ध करा देता है। साइबर ठग ने इसी का फायदा उठाया और मंदिरों के नाम पर बने फर्जी अकाउंट के जरिए बैंक मित्र बन गया। इसके बाद जो भी ग्राहक उसके पास गए और आधार कार्ड का इस्तेमाल पैसे की निकासी के लिए किया, उसने फिंगर प्रिंट का क्लोन कर लिया। इसके बाद खातों से पैसे अपने जाली अकाउंट में ट्रांसफर कर लिए।

आंध्र प्रदेश का है शातिर ठग : कंपनी की जांच में सामने आया है कि शातिर ठग आंध्र पदेश का रहने वाला है। ठगी की रकम वहीं के खातों में ट्रांसफर की गई है। पुलिस बैंक डिटेल की मदद से अब शातिर साइबर ठगों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। रायपुरवा थाना प्रभारी राजकुमार सिंह ने बताया कि ट्रस्ट के नाम पर जाली खातों के खिलाफ धोखाधड़ी, आईटी एक्ट समेत अन्य गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज करके मामले की जांच की जा रही है।

बैंक ने ग्राहकों को लौटाए रुपए : ठगी की जानकारी मिलते ही कंपनी की सेवा प्रदाता यश बैंक ने ग्राहकों का हित देखते हुए बैंक को पूरी रकम वापस लौटा दी। ठगी के शिकार लोगों के खातों में उनके पैसे वापस भेज दिए गए। 18 मई 2021 से लेकर 15 जून 2021 के बीच तकरीबन 400 लागों के खातों से तकरीबन 14.12 लाख रुपए पार कर दिए। ठगी के शिकार लोग देश के अलग-अलग राज्यों के हैं।

चंदा जुटाने में तो नहीं लिया गया ट्रस्ट के नाम पर खातों का सहारा?

साइबर ठगी के साथ ही अब कंपनी ने इस बात की भी जांच शुरू कर दी है कि कहीं तीनों ट्रस्ट में चंदे या मदद के नाम पर पब्लिक से तो वसूली नहीं की गई है। तीनों खातों का बैंक स्टेटमेंट जांचने के साथ ही अन्य जांच-पड़ताल की जा रही है। फिलहाल, तीनों खाते फ्रीज कर दिए गए हैं। जाली दस्तावेजों के सहारे तीनों ट्रस्ट के नाम से खाते खोले गए थे। जांच पूरी होने के बाद ही साफ हो सकेगा कि इन तीनों ट्रस्टों के नाम का गलत इस्तेमाल कहां-कहां हुआ होगा।