यूपी में नकली नोट की बढ़ी खेप:पुलिस के साथ अन्य जांच एजेंसी हुईं सक्रिय, प्रदेश भर में छापेमारी जारी
डीसीपी पश्चिमी लखनऊ सोमेन वर्मा के मुताबिक नकली नोट का काम करने वाले कॉपरेट स्टाइल में इस काम को कर रहे है। कुछ लोग नोट की छपाई तो कुछ लोग सिक्योरिटी ( वाटर मार्क) मार्क लगाने का काम करते हैं। वहीं गिरोह का सरगना एजेंटों के माध्यम से पैसा मार्केट में चलवाता है। एजेंट असली नोट के बदले नकली नोट लेने वालों को लाता है। इसमें आम से खास तक के जुड़े होने की सूचना है।
यूपी में नकली नोट की बढ़ी खेप बाजार में है। जिसकी जानकारी होते ही यूपी पुलिस के साथ ही अन्य जांच एजेंसी सक्रिय हो गईं है। नकली नोट के सौदागरों की धर-पकड़ के लिए प्रदेश भर में छापेमारी भी कर रही है। लखनऊ, गाजियाबाद, उन्नाव में भारी मात्रा में नकली नोट पकड़े जाने के बाद यह कार्रवाई चल रही है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक चुनाव में पैसा का फ्लो ज्यादा होने पर नकली नोट का गैंग चलाने वाले सक्रिय हो गए हैं। यह छोटी-छोटी दुकानों के माध्यम से इन्हें मार्केट में चला रहे है। नकली नोट की स्प्लाई शहरी से ग्रामीण इलाकों में तेजी से की जा रही है। इसमें सीमा पार से भी इन गिरोह के संचालन की आशंका पर एटीएस से लेकर एनआईए तक जांच एजेंसियां नजर बनाए हुए हैं।
कॉपरेट स्टाइल में चलाया जा रहा नकली नोट का कारोबार : डीसीपी पश्चिमी लखनऊ सोमेन वर्मा के मुताबिक नकली नोट का काम करने वाले कॉपरेट स्टाइल में इस काम को कर रहे है। कुछ लोग नोट की छपाई तो कुछ लोग सिक्योरिटी ( वाटर मार्क) मार्क लगाने का काम करते हैं। वहीं गिरोह का सरगना एजेंटों के माध्यम से पैसा मार्केट में चलवाता है। एजेंट असली नोट के बदले नकली नोट लेने वालों को लाता है। इसमें आम से खास तक के जुड़े होने की सूचना है।
लखनऊ पुलिस द्वारा बरामद नकली नोट। |
चुनाव में पैसों का फ्लो बढ़ने का फायदा उठाकर शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में एजेंट के माध्यम से असली नोट के बदले चार से छह गुने तक नकली नोट दें रहे है। इसके लिए बड़े दुकानदारों की जगह छोटे-छोटे दुकानदारों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। जहां चुनाव ड्यूटी, रैली और चुनाव प्रचार के दौरान लोगों की ज्यादा भीड़ रहती है। लोग छोटी-छोटी जरूरत से लेकर खाने-पीने का सामान नकद भुगतान कर खरीदते हैं। वहां यह लोग असली में नकली नोट मिलाकर चला रहे है। जैसा मंगलवार को तालकटोरा में पकड़े एक नकली नोट गिरोह के सदस्यों ने बताया। जिसमें चारबाग स्टेशन पर तैनात जीआरपी का सिपाही भी था
लखनऊ, उन्नाव व गाजियाबाद में नकली नोट के साथ 16 लोगों हो चुके गिरफ्तार : पुलिस सूत्रों के मुताबिक तीन जनवरी को लखनऊ की गुडंबा में नवाबपुर गांव के पास पुलिस ने देवरिया के मंगेश और विशाल को गिरफ्तार किया था। इसी कड़ी में मंगलवार को लखनऊ की तालकटोरा पुलिस ने लखनऊ के सलमान उर्फ आफताब, मो. अरबाज व सावेज खान, बिहार के मो. मुबस्सिर और प्रतापगढ़ के राहुल सरोज (जीआरपी सिपाही) को गिरफ्तार किया था। जबकि सात जनवरी को गाजियाबाद पुलिस ने आलम, रहबर, फुकरान, अब्बासी, यूनुस, अमन व सोनी को गिरफ्तार किया। वहीं, उन्नाव पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया। इनके पास से करीब नौ लाख रुपये के नकली नोट बरामद हुए हैं। पुलिस इनके फरार साथियों व एजेंटों का पता लगा रही है।
बस स्टॉप व रेलवे स्टेशन के आसपास ज्यादा सक्रिय : पुलिस सूत्रों के मुताबिक नकली नोट का सबसे ज्यादा फ्लो रेलवे स्टेशन व बस स्टॉप के पास खाने-पाने के ठेले और पान-मसाला दुकानदारों के पास से होने के इनपुट मिल रहे हैं। जहां यात्री जल्दबाजी में खरीदारी करता है और बिना परखे नोट लेकर चलता बनता है। कुछ ग्रामीण क्षेत्र के पेट्रोल पंप व ढाबा पर भी नोट सप्लाई होने की सूचना मिली है। इसके लिए जिलों की एलआईयू व मुखबिरों को सक्रिय किया है।
नेपाल सीमा पर खुफिया ने सक्रियता बढ़ाई : पुलिस सूत्रों के मुताबिक नकली नोट का कारोबार नेपाल बार्डर से चलने की भी सूचना आ रही है। जिन्हें सवारी गाड़ी (बस) के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जा रहा है। इसके लिए खुफिया की एक टीम सरकारी व प्राइवेट बस सर्विस में भी सक्रिय कर दी गई है। लखनऊ में नकली नोट गिरोह चलाने वाला पहले खुद एक बस सर्विस चलाता था। जिससे यूपी व आस-पास के राज्यों में नकली नोट की सप्लाई करता था।
स्कैन कर नोटों को करते थे प्रिंट, सिर्फ वाटर-मार्क की कमी : पुलिस सूत्रों के मुताबिक इनके पास से प्रिंटर, स्कैनर, नोट को प्रिंट करने वाला कागज और कई नकली नोट मिले है। यह नोट असली नोट की तरह ही लगते हैं। बस इन पर वाटर-मार्क नहीं है। नोट में लगे सुरक्षा धागा (हरी पट्टी) के लिए ग्रीन ग्लिटर टेप व चांदी की बर्क का प्रयोग कर रहे थे। लोगों को शक न हो इसके लिए नोट स्कैन करते वक्त आगे और पीछे हूबहू वही आकृति आये जैसा वास्तविक नोट में होती है। जिसको रात के अंधेरे व जल्दबाजी में शायद ही कोई ध्यान नहीं दे पाता। जो असली नोट के कागज की मोटाई से लगभग मिलती जुलती होती थी।