नई तैनाती के 12 दिन बाद जेलर का निलंबन : 21 अप्रैल को हुई थी छापामारी, 13 जुलाई को किया निलंबित
फ्लेग-कार्यवाही के मामले शासन की हीलाहवाली : शासन की सजगता का एक मामला प्रकाश में आया है। तीन माह पहले हुई जेल में हुई छापामारी के मामले में जेलर को गुरुवार को निलंबित कर दिया गया।
लखनऊ। शासन कार्रवाई के मामले में कितना सजग है। शासन की सजगता का एक मामला प्रकाश में आया है। तीन माह पहले हुई जेल में हुई छापामारी के मामले में जेलर को गुरुवार को निलंबित कर दिया गया। दिलचस्प बात यह है कि करीब 10 दिन पहले ही इस जेलर को सुलतानपुर जेल पर तैनात किया गया। एकाएक हुए निलंबन का मामला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है कि सेटिंग-गेटिंग नहीं होने से तीन माह बाद जेलर को निलंबित कर दिया गया।
मामला प्रदेश की अतिसंवेदनशील बांदा मंडलीय कारागार का है। मिली जानकारी के मुताबिक बीती दो अप्रैल को बांदा के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की संयुक्त टीम ने बांदा जेल पर छापामारकर जमकर तलाशी कराई। इस तलाशी के दौरान जिला प्रशासन के अधिकारियों को काफी मात्रा में अनाधिकृत वस्तुएं बरामद हुईं। जिला प्रशासन की रिपोर्ट के बाद शासन ने आनन-फानन मेंं बांदा जेल के वरिष्ठï अधीक्षक अविनाश गौतम को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि इस कार्रवाई के बाद शासन एवं जेल मुख्यालय के अधिकारियों ने किसी भी अन्य अधिकारी और सुरक्षाकर्मी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। तीन माह पूर्व हुई इस छापामारी के मामले में शासन ने गुरुवार (13 जुलाई )को बांदा जेल पर तैनात तत्कालीन जेलर वीरेंद्र कुमार वर्मा को निलंबित किये जाने का आदेश किया। बताया गया है कि जून माह के अंतिम सप्ताह में स्थानांतरण सत्र समाप्ति के तीन दिन पहले ही बांदा जेल पर तैनात तत्कालीन जेलर वीरेंद्र कुमार वर्मा का स्थानांतरण जिला जेल सुलतानपुर किया गया था। उन्हें स्थानांतरित जेल पर प्रभार संभाले अभी एक पखवारे भी नहीं बीता कि उन्हें निलंबित कर दिया गया। इस कार्रवाई को लेकर विभागीय अधिकारियों में तमाम तरह की चर्चा आम हो गई है।
उधर इस संबंध में जब प्रमुख सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो उनके निजी सचिव विनय सिंह ने बताया कि साहब व्यस्त है बात नहीं हो पाएगी। जेल मुख्यालय के डीआईजी एके सिंह ने इसे शासन का मामला बताते हुए कोई भी टिप्पणी करने से साफ मना कर दिया।
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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