किसानों को धोखा दे रही प्रदेश सरकार : हवा हवाई साबित होगी सीएम की घोषणा, सरकार के लिए आसान नहीं बकाया गन्ना मूल्य का समय पर भुगतान

निजी कारपोरेट मिल मालिकों में बजाज की कुल 14 मिले, मोदी की दो मिल, सिम्भावली की तीन मिल व यदु की दो मिल कुल 21 चीनी मिलो पर ही निजी मिलो के कुल बकाया गन्ना भुगतान 5150 करोड़ में से 3900 करोड़ बकाया है। ज़िनसे नया पेराई सत्र शुरू होने में बचे डेढ़ माह में भुगतान कराना गन्ना विभाग के लिये टेढ़ी खीर साबित होगा।

किसानों को धोखा दे रही प्रदेश सरकार : हवा हवाई साबित होगी सीएम की घोषणा, सरकार के लिए आसान नहीं बकाया गन्ना मूल्य का समय पर भुगतान
प्रदेश सरकार किसानों के बकाया गन्ना मूल्य के भुगतान को लेकर दावे पर दावा किये जा रही है।

लखनऊ। केंद्र सरकार के कृषि कानून से देशभर के किसानों पर लगे घाव पर मरहम लगाने और प्रदेश सरकार किसानों के बकाया गन्ना मूल्य के भुगतान को लेकर दावे पर दावा किये जा रही है। हकीकत यह है कि प्रदेश की नौकशाही योगी सरकार के दावे पर पानी फेरती नज़र आ रही है। प्रदेश के गन्ना आयुक्त का यही रवैया रहा रहा तो किसानों के बकाया गन्ना मूल्य भुगतान का दावा हवा हवाई ही साबित होगा। सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है।

बकाया गन्ना मूल्य भुगतान की बात करे तो अपर मुख्य सचिव गन्ना संजय भूसरेड्डी सरकार के गन्ना मंत्री एवं योगी जी को आँकड़ों के खेल में उलझा रही है। सूत्र बताते है कि पेराई सत्र 2020-21 में प्रदेश की कुल 120 कार्यरत चीनी मिलो ने गन्ना  किसानो से कुल 33000 करोड़ का गन्ना ख़रीदा जिनका नियमानुसार चौदह दिन के भीतर भुगतान होना चाहिये नही तो उसके ऊपर उतने दिन का 15 प्रतिशत की दर से ब्याज क़िसानो को मिलना चाहिये परंतु ब्याज मिलना तो दूर गन्ना कई चीनी मिलो के गन्ना किसान ब्याज तो दूर मूलधन के लिये मिलो पर धरना प्रदर्शन करने को विवश होना पड़ रहा है।

सूत्र बताते है कि कुल 16 कारपोरेट ग्रूप के मिल मालिकों की कुल 76 चीनी मिलो में से दस कारपोरेट मालिकों की 47 मिलो द्वारा अपने क़िसानो को शत प्रतिशत मूलधन का गन्ना मूल्य भुगतान कर दिया है। इसी प्रकार निजी मिल मालिकों की एकल 17 चीनी मिलो में से भी नौ मिल मालिकों ने अपने क़िसानो का पूरा भुगतान कर दिया। इस प्रकार कुल 120 चीनी मिलो में से 56 चीनी मिलो ने पूरा भुगतान कर दिया। 56 चीनी मिलो ने उसी चीनी, एथनॉल, पावर एक्सपोर्ट एवं बैगास से अपने क़िसानो को शत प्रतिशत गन्ना भुगतान कर दिया तो शेष बची 37 निजी मिलों से गन्ना आयुक्त भुगतान क्यों नही करा सके। गन्ना आयुक्त ने नियमानुसार इन सैंतीस चीनी मिलों की आरसी नही काटी गयी।

सूत्र यह भी बताते है कि निजी कारपोरेट मिल मालिकों में बजाज की कुल 14 मिले, मोदी की दो मिल, सिम्भावली की तीन मिल व यदु की दो मिल कुल 21 चीनी मिलो पर ही निजी मिलो के कुल बकाया गन्ना भुगतान 5150 करोड़ में से 3900 करोड़ बकाया है। ज़िनसे नया पेराई सत्र शुरू होने में बचे डेढ़ माह में भुगतान कराना गन्ना विभाग के लिये टेढ़ी खीर साबित होगा। विगत पेराई सत्र के पहले भी लगभग 4000 करोड़ का गन्ना मूल्य भुगतान बकाया रह गया था।

जानकारों के अनुसार गन्ना आयुक्त के चार साल के कार्यकाल में यहीं चार बड़े ग्रूप हमेशा गन्ना भुगतान के बड़े डिफ़ाल्टर रहे । दूसरा जब गन्ना अधिनियम में बड़े गन्ना भुगतान के बकायेदारो में आरसी काटने का अधिकार गन्ना आयुक्त को है तो विगत चार सालो में गन्ना आयुक्त ने कितनी बकायेदारों की आरसी काटी और अगर नही काटी तो क्यों ?

सूत्र बताते है कि विगत चार साल में गन्ना आयुक्त ने एक भी मिल की आरसी नही काटी इस वर्ष मात्र सरकार को दिखाने के लिये कुल पाँच आरसी काटी गई जब की बड़े बकायेदारों में निजी करपोरेट के चार मिल मालिकों की कुल 21 चीनी मिलो में से मात्र तीन मिलो की ही आरसी काटी गई जब कि शेष 18 मिलो की आरसी नही कटी। क्यों उन्हें चीनी, एथनॉल व अन्य उत्पाद बेचने की खुली छूट उन्हें दो गई जबकि आरसी कटने के बाद सम्बंधित ज़िले के डीएम की अनुमति के बिना चीनी मिल एक भी उत्पाद नही बेच सकती है।

विभागीय सूत्र यह भी बताते है कि बड़े गन्ना भुगतान बकायेदारों ने अपनी अपनी सभी चीनी मिलो में अधिकांश चीनी की बिक्री कर गोदामो को ख़ाली कर दिया है और अब उनके पास इतनी भी चीनी स्टाक में नही है जितना गन्ना मूल्य भुगतान बकाया है । गन्ना आयुक्त ने उन 18 मिलो की आरसी नही जाती जिसकी यदि जाँच करा ली जाये तो एक बड़े घोटाले का भी खुलासा हो सकता है। 

निजी चीनी मिलो की तुलना में सहकारी/ चीनी निगम की चीनी मिले भुगतान में फिसड्डी साबित हो रही है।जहां एक ओर निजी 93 मिलो का कुल औसत गन्ना भुगतान 81% हो चुका है वही दूसरी ओर शुगर फ़ेडरेशन की 24 सहकारी मिलो ने मात्र 67% एवं चीनी निगम की तीन चीनी मिलो ने मात्र 71% ही भुगतान किया है । इस प्रकार कुल बकाया 6100 करोड़ के गन्ना भुगतान बकाया में से निजी मिलों पर कुल 5100 करोड़, सहकारी मिलो पर 900 करोड़ तथा चीनी निगम पर कुल सौ करोड़ से ऊपर का बकाया है । शुगर फ़ेडरेशन का तो इतना गन्ना मूल्य भुगतान तब है जब योगी सरकार ने पहले बजट में 500 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य में दिये व दूसरे अनुपूरक बजट में भी 200 करोड़ अतिरिक्त दिये गए है ।

इसके बावजूद भी शुगर फ़ेडरेशन की 24 चीनी मिलो पर लगभग सात सौ करोड़ गन्ना मूल्य बकाया रहेगा जिसे डेढ़ माह में पूरा कराना गन्ना आयुक्त के लिये टेढ़ी खीर साबित होगा। इसी प्रकार चीनी निगम की तीन चीनी मिलो पर कुल सौ करोड़ से ऊपर बकाया है। विधान सभा के चुनावों के मद्देनज़र  पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने गन्ना क़िसानो को लुभाने के लिये की गई दो घोषणाओं पहली सभी 120 चीनी मिले बीस अक्तूबर से तीस अक्तूबर तक पेराई प्रारम्भ कर देगी दूसरा बकाया 2020-21 का गन्ना मूल्य भुगतान नया पेराई सत्र शुरू होने से पहले करा दिया जाएगा। गन्ना भुगतान कराने का दायित्व डीएम का हो जाता है ।

अब देखना होगा कि गन्ना आयुक्त कैसे योगी सरकार के वादे पर खरे उतरते है क्योंकि चार माह बाद होने वाले विधान सभा चुनावों में भी सरकार को किसान गन्ना भुगतान व गन्ना के रेट पर सवाल खड़ा करेंगे।

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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