EPFO में हुए करोड़ों के घोटाले का खुलासा : EPFO के तीन अधिकारियों के खिलाफ CBI ने दर्ज किया मामला
मार्च 2020 से जून 2021 के दौरान हुई आंतरिक जांच से पता चला है कि इस तरह के दावों से ईपीएफओ को 2.71 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ l फर्जी आईडी के लिए मेंबर आईडी का इस्तेमाल किया गया और 2.5 लाख रुपये से 3 लाख रुपये तक ट्रांसफर किए गए.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक घोटाले के खुलासे के बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है l सीके सिन्हा वरिष्ठ सामाजिक सुरक्षा सहायक ईपीएफओ मुंबई, उत्तम टैगारे सहायक भविष्य निधि आयुक्त ईपीएफओ कोयंबटूर तमिलनाडु, विजय जरपे सहायक भविष्य आयुक्त ईपीएफओ चेन्नई के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है l सीबीआई ने अपनी FIR में कहा है, जांच में पाया गया है कि 91 फर्जी अकाउंट्स में क्लेम सैटलमेंट किया गया था, इसकी पहचान मुंबई के कांदीवली ईपीएफओ ऑफिस के जरिए हुई.
इसके चलते नई दिल्ली में प्रधान कार्यालय में बनाए गए ईपीएफओ को कॉर्पस फंड का नुकसान हुआ था l कहा जा रहा है कि इसी तरह की कार्यप्रणाली का इस्तेमाल अन्य मामलों में भी किया गया, FIR में जिक्र किया गया है कि विजय ज्वैलर्स के पीएफ खातों के संबंध में 91 फ्रॉड क्लेम का सेटलमेंट किया गया l ये वो प्रतिष्ठान है जिसने सितंबर 2009 में अपनी गतिविधियों को बंद कर दिया.
एजेंसी के मुताबिक आंतरिक जांच के दौरान इस प्रतिष्ठान के संबंध में धोखाधड़ी के अन्य मामले सामने आए l बी विजय ज्वैलर्स महज एक उदाहरण भर था l शिकायतकर्ता ने कहा कि संगीता रघुवंशी को गरीब लोगों को 10,000 रुपये की रिश्वत देकर करके उनके आधार कार्ड पैन कार्ड, बैंक पासबुक और अन्य डिटेल हासिल करने के लिए कहा गया.
2.71 करोड़ रुपए का हुआ नुकसान : हालांकि शिकायतकर्ता ने पहचान बताने से साफ इनकार कर दिया l मार्च 2020 से जून 2021 के दौरान हुई आंतरिक जांच से पता चला है कि इस तरह के दावों से ईपीएफओ को 2.71 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ l फर्जी आईडी के लिए मेंबर आईडी का इस्तेमाल किया गया और 2.5 लाख रुपये से 3 लाख रुपये तक ट्रांसफर किए गए.
EPFO के सॉफ्टवेयर का किया गया गलत इस्तेमाल : जांच में पता चला है कि EPFO के सॉफ्टवेयर का गलत इस्तेमाल भी किया गया. यह घोटाला ईपीएफओ द्वारा सीबीआई को दी गई शिकायत से ज्यादा बड़ा हो सकता है. सीबीआई ने अपनी FIR में कहा है कि सीके सिन्हा घोटाले के मास्टरमाइंड हो सकते हैं. अप्रैल 2019 और जून 2020 के बीच उनके बैंक खाते में 30 लाख रुपये थे, जबकि उनका वेतन 12 लाख के करीब था. यह घोटाला मुंबई, नासिक, पटना और गोरखपुर समेत पूरे भारत से जुड़ा हुआ है.