उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा हरिवंशराय बच्चन, गजानन माधव मुक्तिबोध व गौरापंत शिवानी स्मृति समारोह का आयोजन एवं पुरस्कार वितरण
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा आयोजित ‘हरिवंशराय बच्चन, गजानन माधव मुक्तिबोध एवं गौरापंत शिवानी स्मृति समारोह‘ अवसर पर सम्माननीय अतिथि डॉ0 सूर्यप्रसाद दीक्षित, लखनऊ, डॉ0 हेमांशु सेन, लखनऊ एवं अनिल कुमार विश्वकर्मा, लखनऊ उपस्थित थे। कार्यक्रम में वाणी वंदना सुश्री कामनी त्रिपाठी द्वारा प्रस्तुत की गयी।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा हरिवंशराय बच्चन, गजानन माधव मुक्तिबोध व गौरापंत शिवानी स्मृति समारोह का आयोजन एवं कहानी, कविता, निबंध प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन आज यहां यशपाल सभागार, हिन्दी भवन, लखनऊ में किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार, डॉ0 सूर्यप्रसाद दीक्षित लखनऊ, डॉ0 हेमांशु सेन, लखनऊ, एवं डॉ0 अनिल कुमार विश्वकर्मा, लखनऊ उपस्थित थे।
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा आयोजित ‘हरिवंशराय बच्चन, गजानन माधव मुक्तिबोध एवं गौरापंत शिवानी स्मृति समारोह‘ अवसर पर सम्माननीय अतिथि डॉ0 सूर्यप्रसाद दीक्षित, लखनऊ, डॉ0 हेमांशु सेन, लखनऊ एवं अनिल कुमार विश्वकर्मा, लखनऊ उपस्थित थे। कार्यक्रम में वाणी वंदना सुश्री कामनी त्रिपाठी द्वारा प्रस्तुत की गयी।
अभ्यागतों का स्वागत करते हुए श्री आर0पी0सिंह निदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने कहा कि उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा आयोजित हरिवंशराय बच्चन, गजानन माधव मुक्तिबोध व गौरापंत शिवानी स्मृति समारोह में आप सबका स्वागत अभिनन्दन एवं वंदन है। साहित्य का क्षेत्र बहुत व्यापक है। अपनी हमारा जीवन कला, साहित्य, संस्कृति से मिलकर बना हुआ है। विज्ञान का भी जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है। साहित्य में क्रांति को जगाने की क्षमता है। साहित्य ने समय-समय पर देश व राष्ट्र में जागृति लाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है।
इस अवसर पर कहानी, कविता एवं निबन्ध प्रतियोगिता पुरस्कार हेतु चयनित युवा रचनाकारों में कहानी प्रतियोगिता प्रथम पुरस्कार सुश्री रोशनी रावत, लखनऊ, द्वितीय पुरस्कार- सुश्री शिखा सिंह ‘प्रज्ञा‘, लखनऊ, तृतीय पुरस्कार- श्री हिमाशु सिंह, लखनऊ, सांत्वना पुरस्कार-श्री श्यामजी अवस्थी, कानपुर देहात, श्री विक्रान्त बाह्ाण झाँसी, सुश्री पूनम सिंह, प्रयागराज तथा कविता प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार-श्री दिलीप व्यास, झाँसी, द्वितीय पुरस्कार-सुश्री वंदिता पाण्डेय, लखनऊ, तृतीय पुरस्कार- सुश्री नीरजा चतुर्वेदी, अयोध्या, सांत्वना पुरस्कार- श्री अमन कुमार, बरेली, श्री विशाल श्रीवास्तव, फर्रुखाबाद एवं निबंध प्रतियोगिता प्रथम पुरस्कार- श्री स्नेह द्विवेदी, वाराणसी द्वितीय पुरस्कार- श्री पवन सिंह, प्रयागराज, तृतीय पुरस्कार- सुश्री आकांक्षा गुप्ता, चन्दौली, सांत्वना पुरस्कार- सुश्री निहारिका दुबे, गोरखपुर, श्री श्रेयस सिंह, गोरखपुर को पुरस्कार धनराशि, उत्तरीय, प्रशस्ति पत्र से पुरस्कृत किया गया।
डॉ0 अनिल कुमार विश्वकर्मा ने मुक्तिबोध पर बोलते हुए कहा -गजानन माधव मुक्तिबोध का साहित्य विस्तार व्यापक है। मुक्तिबोध स्वाभिमानी व्यक्तित्व के धनी थे। वे अध्ययन के प्रति बहुत सचेत रहे। मुक्तिबोध स्वभाव से विद्रोही थे। साहित्य जगत में उनकी रचनाओं का मूल्यांकन कम हुआ आलोचनाएँ अधिक हुईं। वे मार्क्सवाद के विरोधी थे बाद में उसके समर्थक बन गये। वे किसानों के हितों के समर्थक थे। वे आशावदिता के पक्षधर थे।
डॉ0 हेमांशु सेन, लखनऊ ने कहा- युवारचनाकारों को सम्मानित किया जाना सुखद संयोग है। गौरापंत शिवानी की लखनऊ कर्मभूमि रही है। शिवानी की रचनाओं में कलात्मकता है। शिवानी की कहानियाँ, उपन्यास पाठकों के हृदय में एक छाप छोड़ जाती हैं। शिवानी नारी का समाज में स्थिति व उनकी भूमिका का वर्णन अपनी रचनाओं में बहुत अद्भुत ढंग से करती हैं। शिवानी की कथा-शैली में अप्रतिम व अद्भुत क्षमता है। शिवानी अपनी नारी पात्रों को स्वाभिमान प्रदान करती हैं। ‘‘कृष्णकली‘‘ रचना में नारी की सबलता व उसका स्वाभिमान प्रभावी जान पड़ता है।
सम्माननीय अतिथि के रूप में डॉ0 सूर्य प्रसाद दीक्षित ने हरिवंश राय बच्चन के बारे में कहा हरिवंश राय बच्चन लोकप्रियता के पराकाष्ठा पर हैं। मुधशाला, मधुबाला, मधुकलश उनकी लोकप्रिय रचनाएँ हैं। मधुशाला को जो स्थान व लोकप्रियता साहित्य में मिली किसी अन्य रचना को नहीं मिल सकी। उनकी रचनाएँ पाठकों को मनोरंजित करती है। उनकी रचनाएँ जीवन संघर्ष को प्रतिबिम्बत करती है। वे मंच के सफलतम कवियों में से थे। वे राष्ट्रीय चेतना के भी कवि हैं। ‘अग्निपथ....अग्निपथ‘ जीवन संघर्ष की कविता है। उनकी साहित्यिक दृष्टि सार्वभौमिक थी। वे लोक जीवन के कवि हैं। बच्चन जी का अनुवाद के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने डायरी, संस्मरण, आत्मकथा आदि पर भी अपनी लेखनी चलायी है। गीता का कई भाषाओं में अनुवाद किया था। उनकी रचनाओं में अध्यात्म का व्यापक प्रयोग व उसका प्रभाव रहा। उनका साहित्य समग्र जीवन दर्शन रहा है।
डॉ0 अमिता दुबे, प्रधान सम्पादक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस संगोष्ठी में उपस्थित समस्त साहित्यकारों, विद्वत्तजनों एवं मीडिया कर्मियों का आभार व्यक्त किया।
सौरभ दोहरे
विशेष संवाददाता