22 हजार भर्ती के लिए आमरण अनशन : सीएम कार्यालय गए, पानी की टंकी पर चढ़े लेकिन सुनवाई नहीं, सुविधाएं बंद करने का आरोप
22 हजार पदों पर शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर चार दिनों से पानी की टंकी के ऊपर प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है। सात अभ्यर्थी आमरण अनशन पर बैठ गए है। दलील है कि मांग पूरी होने तक अब अनशन खत्म नहीं होगा।
प्रदर्शनकारियों ने शासन से लेकर जिलाधिकारी तक को पत्र लिखा है। प्रदर्शनकारी हीरा लाल निगम ने बताया कि आमरण अनशन पर बैठने वालों में निधी तिवारी कानपुर, अशीष बरनवाल अमेठी , नदीम खान बुलंदशहर , नितेश सिंह गौर हरदोई , राधवेन्द्र प्रसाद मिश्र देवरिया , संजय सिंह देवरिया और योगेश कुमार अलीगढ़ शामिल है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हजिला प्रशासन ने उनके शौच और पानी की व्यवस्था तक बंद कर दी है। इसकी वजह से परेशानी बढ़ गई है।
पद खाली लेकिन नियुक्ति नहीं : आरोप था कि 6800 शिक्षक भर्ती मामले में 22 हजार पद खाली थे , उसके बाद भी नियुक्ति नहीं की जा रही है। इस प्रदर्शन में प्रदेश के सभी जिलों से अभ्यर्थी पहुंचे हैं। पुलिस की नजरों से बचने के लिए अभ्यर्थी झुंड में न आकर अलग-अलग आए थे। यहां तख्तियों और बैनर के साथ सभी ने प्रदर्शन किया। सभी ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है।
सरकारी अनदेखी का आरोप : अभ्यर्थियों ने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग की अनदेखी की वजह से भर्तियां नहीं हो पा रही हैं। हम बीते कई महीनों से मंत्री से मुख्यमंत्री तक को मांग पत्र दे चुके हैं। लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। थक हार कर हमें मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ रहा है। हम तब तक प्रदर्शन करेंगे। जब तक हमारी मांगों को मान नहीं लिया जाएगा।
12 जुलाई को पहुंचे थे मुख्यमंत्री आवास : इससे पहले सभी अभ्यर्थी अचानक मुख्यमंत्री आवास बीते 12 जुलाई को पहुंच गए थे। सैकड़ों की संख्या में पहुंचे अभ्यर्थियों को देखकर पुलिस के हाथ पांव फूल गए थे। आनन-फानन में पुलिस ने सभी को हटाया था। प्रदर्शनकारियों में वह लोग ज्यादा थे, जो भर्ती प्रक्रिया में शामिल भी नहीं हुए। बावजूद इसके वे प्रक्रिया में धांधली का आरोप और नए पदों पर भर्ती की मांग कर रहे थे। आरोप है कि प्रदेश में शिक्षकों के रिक्त पदों की संख्या बहुत ज्यादा है। ऐसे में अभी कम से कम 22 हजार बहाली और की जा सकती है।