कारागार विभाग में ईमानदारी पर भारी भ्रष्टाचारी!
चहेते कमाकर देने वाले बाबूओ को दो दो अनुभागों की जिम्मेदारी बेदाग छवि के बाबुओं को सौंपे गए निष्क्रिय प्रभार
लखनऊ। प्रदेश कारागार विभाग के आला अफसरों की महिमा अपरंपार है। विभाग के मुख्यालय में कमाकर देने वाले बाबुओं को कमाऊ अनुभाग तो ईमानदार छवि के बाबुओं को प्रशिक्षण मानवाधिकार सरीखे निष्क्रिय अनुभाग देकर प्रताड़ित किया जा रहा है। आलम यह है कि भ्रष्टाचारी बाबुओं को लंबे समय से एक ही पटल पर जमाए रखा गया है। इनको न तो इधर उधर किया जाता है और न ही इनके पटल परिवर्तन किए जाते है। लंबे समय से इन बाबुओं का विभाग में काकस बना हुआ है। कई बाबू तो इस अनाप शनाप कमाई से करोड़पति तक बन गए हैं। उधर मुख्यालय के आला अफसर व्यवस्था नहीं होने की बात कहकर इस गंभीर मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से बच रहे है।
मिली जानकारी के मुताबिक कारागार मुख्यालय में बाबू संवर्ग के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, प्रधान सहायक, सहायकों की तैनाती में जमकर पक्षपात किया जा रहा है। चहेते भ्रष्टाचारी एक एक बाबु को दो दो अनुभाग के प्रभार दिए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक बीते दिनों लंबे समय से गोपनीय का प्रभार संभाल रहे विनोद कुमार सिंह को हटाकर निर्माण में भेजा गया था। हाल ही में बगैर किसी गलती नजारत में तैनात राजेश कुमार को हटाकर यह अनुभाग विनोद कुमार सिंह को सौंप दिया गया। नजारत से हटे राजेश कुमार को प्रशिक्षण (सुपरविजन) की जिम्मेदारी दी गई है। इसी प्रकार आधुनिकीकरण अनुभाग की जिम्मेदारी पिछले करीब तीन साल से शांतनु वशिष्ठ और शिवांशु गुप्ता के जिम्मे है। इन चारों अनुभागों में प्रतिवर्ष करोड़ों का बजट आता है। यह तो बानगी है इस प्रकार कई बाबुओं को दो कमाऊ अनुभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
रबड़ स्टैंप की तरह इस्तेमाल हो रहे प्रशासनिक अधिकारी
कारागार मुख्यालय के आला अफसरों ने कमाई की खातिर कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को रबड़ स्टैम की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। अनुभवहीन सीमा त्रिपाठी को गोपनीय अनुभाग के साथ अधिष्ठान एक, तीन की जिम्मेदारी दी गई है। इसी प्रकार अर्चना का जनसूचना उद्योग का प्रभार, अमिताभ मुखर्जी को लीगल, बजट स्थापना के सभी प्रभार दिए गए। यह बाबू बगैर किसी विरोध के अफसरों के इशारे पर काम करते हैं।
वहीं दूसरी ओर मुख्यालय में ईमानदार छवि के चर्चित नजारत के राजेश कुमार को प्रशिक्षण (सुपरविजन) का प्रभार दिया गया है। इनके पास न तो कोई स्टाफ है और न ही इस अनुभाग का कोई कार्यालय है। यह इधर उधर बैठकर काम निपटा रहे हैं। इसी प्रकार राजेश कुमार मिश्र, कमल कुमार कन्नौजिया और श्रीराम को मानवाधिकार, मानव संप्रदा व डाक जैसे निष्क्रिय अनुभागों में तैनात किया गया है। हकीकत यह है इस विभाग में भ्रष्टाचारी बाबुओं को कमाऊ पटल और ईमानदार छवि के बाबुओं को निष्क्रिय पटल पर रखा गया है। उधर इस संबंध में जब डीआईजी मुख्यालय एके सिंह से बात की गई तो उन्होंने बाबुओं को दो दो अनुभाग दिए जाने की पुष्टि करते हर बताया कि व्यवस्था नहीं होने की वजह से ऐसा किया गया है। जल्दी ही पटल परिवर्तन किए जायेंगे। ईमानदार बाबूओ को निष्क्रिय अनुभाग के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली।