आगरा पुलिस की गिरफ्त में आया नकली नोट छापने वाले गैंग का सरगना: गैंग ने बाजार में चलाए 10 लाख के नकली नोट
आगरा में तीन साल में आरोपियों ने खर्च किए 10 लाख के नकली नोट : इस बारे में जानकारी पुलिस को आरोपियों से पूछताछ में मिली है। गैंग हर महीने 25 से 30 हजार के नकली नोट बनाकर बाजार में चलाता था। आरोपियों को जेल भेज दिया गया है। पुलिस नमूने के रूप में लिए गए नकली नोटों को जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजेगी।
आगरा पुलिस की गिरफ्त में आए नकली नोट छापने वाले गैंग के सरगना और उसके साथियों के तीन साल में दस लाख के नोट बाजार में खपाने की आशंका है। इस बारे में जानकारी पुलिस को आरोपियों से पूछताछ में मिली है। गैंग हर महीने 25 से 30 हजार के नकली नोट बनाकर बाजार में चलाता था। आरोपियों को जेल भेज दिया गया है। पुलिस नमूने के रूप में लिए गए नकली नोटों को जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजेगी।
थाना हरीपर्वत पुलिस, अपराध खुफिया शाखा और स्वॉट टीम ने शनिवार को ट्रांसपोर्ट नगर से गैंग को होंडा सिटी कार में पकड़ा था। आरोपियों में फिरोजाबाद के जगजीवन नगर निवासी कमल प्रताप सिंह उर्फ केपी, नीलकमल और ताजगंज स्थित कैरई नगला ताराचंद निवासी मनीष कुमार थे। उनके पास से 1.95 लाख रुपये के नकली नोट, कलर प्रिंटर, मुहर सहित अन्य सामान बरामद किया गया था। आरोपियों के पास से दो-दो हजार के 70 और 500 के 110 नोट बरामद हुए।
तीन साल से चला रहे थे नकली नोट : थाना हरीपर्वत के प्रभारी निरीक्षक अरविंद कुमार ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि आरोपी कमल प्रताप और उसका साथी नीलकमल तीन साल से नकली नोट चला रहे हैं। वह जब भी घर से निकलते थे, इन नोटों को चलाते थे। कई बार दुकानदार नोट को नकली लगने पर वापस भी कर देते थे। अब तक फिरोजाबाद और आगरा में सैकड़ों नोट दुकानदारों को दे चुके हैं।
हर महीने 25 से 30 हजार तक के नोट चलाते थे। इससे उनका खर्च निकल जाता था। इस तरह से उनके तीन साल में दस लाख के नोट चलाने की आशंका है। अब उनकी मुलाकात मनीष से हुई थी। वह एक पार्टी से मिलवा रहा था। उसे डिलीवरी देनी थी। मगर, पुलिस ने उसे पकड़ लिया। केपी होंडा सिटी कार अपने रिश्तेदार की लेकर आया था, जिससे यह नोट सप्लाई करने जाने वाले थे।
अपने रिश्तेदार से सीखा नोट बनाने का तरीका : आरोपी केपी का अपना कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। मगर, पुलिस को जानकारी मिली है कि उसका एक रिश्तेदार जेल में है। वो नकली नोट तैयार करता था। केपी ने भी उससे ही नकली नोट बनाने का तरीका सीखा। वह बीएससी पास है। उसका साथी नीलकमल नोट चलाने का काम करता था। दोनों साथ ही जाते थे।
निरीक्षक अरविंद कुमार ने बताया कि नकली दो-दो नोटों को नमूने के तौर पर लिया है। इन्हें विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा जाएगा। आरोपियों ने पूरी तरह से सही जानकारी नहीं दी होगी तो प्रयोगशाला की रिपोर्ट में पता चल जाएगा कि नोट किस तरह से तैयार किया गया होगा।
यह है पहचान का तरीका : भारतीय स्टेट बैंक की शाखा के मैनेजर प्रशांत कुमार पालीवाल ने बताया कि 100, 200, 500 और दो हजार के असली और नकली नोट की पहचान करना आसान है। इन नोट पर महात्मा गांधी की एक साफ तस्वीर बनी होती है, जबकि दूसरी तस्वीर इलेक्ट्रोटाइप वाटरमार्क में होती है। यह तस्वीर रोशनी में साफ दिखाई देती है।
असली नोट में एक जैसी जगह पर होती है, जबकि नकली नोट में तस्वीर साफ नहीं नजर आएगी। इसके साथ ही टेढ़ी भी हो सकती है। कई बार बिल्कुल नहीं होती है। सुरक्षा धागा पर भारत और आरबीआई लिखा होता है। असली नोट में यह बिल्कुल सही से लगा होता है, जबकि नकली नोट में यह सही तरीके से नहीं होगा।
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