शासन नहीं कर रहा भ्रष्ट जेल अफसरों पर कार्यवाही : लखनऊ जेल में बन्दियों से वसूली व भ्रष्टाचार चरम पर

फरारी, अवैध वसूली, आत्महत्या व नगदी बरामद होने पर भी नहीं हुई कोई कार्यवाही l शासन में बैठे अफसरों के पास मोटी रकम पहुचने व मुख्यमंत्री के गृह जनपद का निवासी होने की वजह से अधीक्षक के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नही हो रही है। जब राजधानी की जेल का यह हाल है तो प्रदेश की जेलो का क्या हाल होगा।

शासन नहीं कर रहा भ्रष्ट जेल अफसरों पर कार्यवाही : लखनऊ जेल में बन्दियों से वसूली व भ्रष्टाचार चरम पर
जेल मुख्यालय लखनऊ : फरारी, अवैध वसूली, आत्महत्या व नगदी बरामद होने पर भी नहीं हुई कोई कार्यवाही

लखनऊ। राजधानी की जिला जेल में अराजकता का माहौल बना हुआ है। इस जेल बन्दियों से पीट-पीट कर वसूली की जा रही है। सच यह है कि अधिकारियों ने जेल में लूट मचा रखी है। शासन में बैठे आला अफसर मोटी रकम वसूल करने की वजह से घटनाओं के बाद भी दोषी जेल अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही कर रहे। दोषी अफसरों के खिलाफ कार्यवाही नही होने को लेकर  विभागीय कर्मियों में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है l शासन में बैठे अफसरों के पास मोटी रकम पहुचने व मुख्यमंत्री के गृह जनपद का निवासी होने की वजह से अधीक्षक के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नही हो रही है। जब राजधानी की जेल का यह हाल है तो प्रदेश की जेलो का क्या हाल होगा। 

हिन्दू नेता के हत्यारों को पैसा लेकर दी जा रही सुविधाएं

लखनऊ। हिन्दू संगठन के नेता कमलेश तिवारी के हत्यारों को जेल में  पैसा लेकर वह सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है जिनका नियमो में कोई प्रावधान ही नही है। यह बात हिन्दू नेता एवम अधिवक्ता शिशिर चतुर्वेदी ने सीएम व एसीएस होम को भेजे गए शिकायती पत्र में कही है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कमलेश तिवारी के हत्यारों से मोटी रकम लेकर उन्हें वीवीआईपी बैरेक में रखा गया है। उन्होंने जेल में भ्रष्ट अफसरों के संपत्ति की जांच कराकर इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही किये जाने की मांग की है।

करीब डेढ़ साल पूर्व जेल मुख्यालय में तैनात सेवानिवृत अधिकारी से साठ गांठ कर कानपुर नगर जेल पर तैनात अधीक्षक ने लखनऊ की वरिष्ठ अधीक्षक वाली जेल पर अपना तबादला कर लिया। वरिष्ठ अधीक्षक को हटाकर अधीक्षक को तैनात किया जाना ही नियमो के विरुद्ध था। मुख्यालय से रिटायर हुए हुए अधिकारी से सेटिंग-गेटिंग से हुए इस तबादले पर आला अफसरों ने चुप्पी साध ली।

यही नही अधिकारियों ने तैनात अधीक्षक का प्रमोशन होने के बाद भी इसको हटाने के बजाए इसी जेल पर तैनात रखा। इसी दौरान बनारस जेल में बन्दियों के साथ मारपीट कर उनसे वसूली करने वाले आदर्श कारागार में तैनात जेलर को बगैर किसी आदेश के ही जेल में बतौर जेलर काम कराने लगे। बनारस जेल की तर्ज पर इन दोनों अधिकारियों ने बन्दियों के साथ मारपीट के अवैध वसूली शुरू कर दी।

सूत्रों का कहना है वसूली को लेकर इन अधिकारियों ने जेल अस्पताल में भर्ती एक बन्दी की इस कदर पिटाई की वह मरणासन्न हो गया। पीड़ित बन्दी की माँ ने इसकी शिकायत विभाग के मुखिया से कार्यालय में मिलकर की। इसके बावजूद दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही ही नही की गई।

सूत्र बताते है कि यही नही पिछले दिनों गल्ला गोदाम के रायटर बन्दी की मुखबरी पर जेल अधिकारियों ने खाली बोरो के गोदाम से 35 लाख के नोटों से भरा एक बोरा बरामद किया था। आनन फानन में अधिकारियों ने एक लाख 16 हज़ार की बरामदगी दिखाकर मिली रकम को मार दिया। मामला सुर्खियों में आने पर जेल के मुखिया ने कहा कि इतना पैसा बरामद होता तो वह हांगकांग में होते। जब उनसे यह सवाल किया गया कि राशन कटौती, कैंटीन, मशक्कत, पीसीओ, एमएसके से होने वाली कमाई से तो आप प्रतिमाह हांगकांग जा सकते है। इस पर उन्होंने चुप्पी साध ली।

बताया गया है कि गल्ला गोदाम प्रभारी डिप्टी जेलर सुरक्षा के बजाए राशन की घटतौली व कटौती में जुटे रहते है। वर्तमान समय मे इस जेल में साढ़े तीन हज़ार से अधिक बन्दी निरुद्ध है। सूत्रों की माने तो यह अधिकारी कैंटीन की बिक्री बढ़ाने के लिए बंदियों के राशन में पचास से साठ फीसद कटौती कर प्रतिमाह 40 से 45 लाख रुपये का वारा न्यारा कर रहे है। यही काम यह अधिकारी सरसों का तेल, रिफाइंड व घी की खरीद में भी करते है।

जेल अधीक्षक की रजामंदी से हो रही राशन कटौती, मशक्कत, कैंटीन, पीसीओ व एमएसके की खरीद फरोख्त मद से जेल में प्रतिमाह लाखों रुपये की कमाई कर जेब भरने में जुटे हुए है। इस सच की पुष्टि जेल में होने वाली खरीद फरोख्त के दस्तावेजो व बिलों से की जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि इस मोटी कमाई का एक हिस्सा शासन में बैठे आला अफसरों के पास पहुँचाया जाता है। यही वजह है भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ तमाम घटनाये होने के बाद भी कोई कार्यवाही नही की जा रही है। उधर विभाग के आला अफसर इस गंभीर मामले पर कुछ भी बोलने से बच रहे है।

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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