जेलो से निष्पक्ष चुनाव कराना चुनाव आयोग के लिए बड़ी चुनौती : सीतापुर व बांदा जेल पर आयोग तैनात करेगा तेजतर्रार अफसर
प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने सीतापुर जेल में बंद पूर्व मंत्री एवम सांसद आजम खान को रामपुर की शहर सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। पिछले करीब दो साल से सीतापुर जेल में बंद आजम खां पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी जेल में चार साल से अधिक समय से जमे जेलर रामशिरोमणि को सौंपी गई है। दो साल से आजम खान की आवभगत में लगे अधिकारी उन पर कैसे नियंत्रण रख पाएंगे यह एक बड़ी चुनौती बताई जा रही है।
लखनऊ। प्रदेश की अधीक्षक विहीन बांदा जेल से बाहुबली मुख्तार अंसारी एवम सीतापुर जेल से आजम खान विधानसभा चुनाव में ताल ठोकने की तैयारी में है। चुनाव आयोग के लिए जेल से चुनाव लड़ने वाले इन नेताओं का निष्पक्ष चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। यह अलग बात है कि जेल विभाग के मुखिया ने चुनाव के दौरान जेल से चुनाव लड़ रहे इन प्रत्याशियों पर खास निगरानी रखे जाने के निर्देश मातहत अधिकारियों को दिए है।
मुख्य बातें
- सीतापुर व बांदा जेल पर आयोग तैनात करेगा तेजतर्रार अफसर!
- सेवा करने वाले अफसरों को निगरानी की जिम्मेदारी
अभी एक दिन पहले ही प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने सीतापुर जेल में बंद पूर्व मंत्री एवम सांसद आजम खान को रामपुर की शहर सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। पिछले करीब दो साल से सीतापुर जेल में बंद आजम खां पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी जेल में चार साल से अधिक समय से जमे जेलर रामशिरोमणि को सौंपी गई है। दो साल से आजम खान की आवभगत में लगे अधिकारी उन पर कैसे नियंत्रण रख पाएंगे यह एक बड़ी चुनौती बताई जा रही है। दबंग नेता पर नियंत्रण रखने को लेकर जेल अफसरों में ही तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है कि लंबे समय से जमे अधिकारियों को हटाए बगैर इसकी सम्भावनायें कम ही नजर आ रही है।
कुछ ऐसी ही काम चलाऊ व्यवस्था बांदा जेल की भी है। बांदा जेल से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी विधानसभा चुनाव में ताल ठोंकने की तैयारी में है। इस जेल में शासन विभाग में तमाम राष्ट्रपति पदकधारी वरिष्ठ अधीक्षक होने के बाद भी किसी को तैनात नहीं कर पाया है। चुनाव के समय मे वरिष्ठ अधीक्षक विहीन जेल की जिम्मेदारी करीब एक साल पहले प्रोन्नत पाकर जेलर बने अधिकारी के हाथों में है। सूत्रों का कहना है कि इस जेल में कोई वरिष्ठ अधीक्षक आने को तैयार नही है। एक अधीक्षक को तैनात किया गया तो वह लगातार अवकाश पर ही रहे। डीएम की शिकायत पर इन्हें हटाकर एक अन्य अधीक्षक को तैनात किया गया तो वह भी मेडिकल अवकाश पर चले गए। इसके बाद राजधानी में तैनात एक तेजतर्रार वरिष्ठ अधीक्षक को तैनात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि निलंबित कर दीजिये बांदा मत भेजिये। इसके बाद शासन ने वरिष्ठ अधीक्षक तैनात करने के बजाए यहां तैनात जेलर को हटाकर उनके स्थान पर नए प्रोन्नत जेलर को जेल की कमान सौंप दी।
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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