तो इस बार फिर ब्राह्मण खिलायेगा गुल

इस सीट पर अब तक हर 14 चुनावों में सात बार ब्राह्मणों का कब्जा रहा है सात बार विभिन्न दलों से ठाकुर, यादव, मुस्लिम व एक बार बनिया ने जीत हासिल की है। 2022 के चुनाव में इस सीट पर ब्राह्मण या ठाकुर का कब्जा होगा यह तो 10 मार्च को सामने आएगा। फिलहाल इस सीट पर इस बार चुनाव में बहुत ही कड़ा मुकाबला होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

तो इस बार फिर ब्राह्मण खिलायेगा गुल
सरोजनीनगर विधानसभा सीट पर सपा पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा, भाजपा राजेश्वर सिंह,

लखनऊ। राजधानी की सरोजनीनगर विधानसभा चुनाव में दिलचस्प मुकाबला हो गया है। इस सीट का सियासी अतीत देखा जाए तो 1967 में पहले चुनाव में राजा विजय कुमार त्रिपाठी व 2017 के चुनाव में भाजपा की स्वाति सिंह ने जीत हासिल की। इस सीट पर अब तक हर 14 चुनावों में सात बार ब्राह्मणों का कब्जा रहा है सात बार विभिन्न दलों से ठाकुर, यादव, मुस्लिम व एक बार बनिया ने जीत हासिल की है। 2022 के चुनाव में इस सीट पर ब्राह्मण या ठाकुर का कब्जा होगा यह तो 10 मार्च को सामने आएगा। फिलहाल इस सीट पर इस बार चुनाव में बहुत ही कड़ा मुकाबला होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

मुख्य बातें

  • 14 चुनाव में सात बार इस सीट पर रह ब्राह्मणों का कब्जा
  • दो-दो बार ठाकुर, यादव, मुस्लिम व एक बार बनिया ने हासिल की जीत
  • सरोजनीनगर विधानसभा में दिलचस्प हुआ मुकाबला

शहरी व ग्रामीण क्षेत्रो से जुड़ी करीब साढ़े पांच लाख मतदाताओं की सरोजनीनगर विधानसभा सीट पर भाजपा ने राजेश्वर सिंह, सपा ने पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा, बसपा ने जलीस खान, कांग्रेस ने रुद्र दमन सिंह बबलू व आम आदमी पार्टी ने रोहित श्रीवास्तव को मैदान में उतारा है। वर्ष-2017 में हुए चुनाव में  भाजपा की स्वाति सिंह ने सपा के अनुराग यादव को पराजित कर पहली बार इस सीट को भाजपा की झोली में डाला था। इससे पहले 2002 व 2007 में बसपा के इरशाद खान व 2012 के चुनाव में सपा के शारदा प्रताप शुक्ला ने जीत हासिल की थी।

सरोजनीनगर विधानसभा के सियासी अतीत को देखा जाए तो इस सीट पर अब तक 14 चुनाव हो चुके है। वर्ष-1967 चुनाव में विजय कुमार त्रिपाठी, 1969 में चंद्रभान गुप्ता, 1974 में राजा विजय कुमार त्रिपाठी,  1977 में छेदा सिंह चौहान, 1980 में   विजय कुमार त्रिपाठी, 1985 में निर्दलीय शारदा प्रताप शुक्ला, 1989 में शारदा प्रताप शुक्ला, 1991 में विजय कुमार त्रिपाठी और 1993 व 1996 में श्याम किशोर यादव ने जीत हासिल की थी। इस सीट पर सात बार ब्राह्मणों का कब्जा रहा वही सात बार अन्य ने जीत हासिल की। 

2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। राजनीति के जानकारों की मानें तो इस सीट पर इसबार सीधा मुकाबला भाजपा व सपा के बीच दिखाई दे रहा है। कांग्रेस व बसपा प्रत्याशी इन दोनों दलों का गणित बिगाड़ सकते है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा तो भाजपा, बसपा का प्रदर्शन ठीक रहा तो सपा को नुकसान हो सकता है। इस सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या काफी है। इससे इस क्षेत्र में चौकाने वाला परिणाम भी आ सकता है। फिलहाल अपने-अपने गुणा भाग से हर प्रत्याशी अपनी जीत का दावा ठोंक रहे है।

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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