Troubled From CM To Chairman Over Power Crisis : उत्तर प्रदेश में भी गहराया कोयले का संकट, CM योगी ने PM मोदी से मांगी मदद
बिजली संकट पर सीएम से लेकर चैयरमैन तक परेशान, सीएम ने लिखा पत्र तो चैयरमैन ने इंजीनियरों से की अपील l ऊर्जा विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इन इलाकों में साढ़े तीन से सवा छह घंटे तक की बिजली कटौती की जा रही है.
Electiricity Genration in UP : देश के कई राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी बिजली उत्पादन के लिए कोयले का संकट (Coal Crisis) गहराता जा रहा है l राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य में कोयले की आपूर्ति सामान्य कराने और प्रदेश को अतिरिक्त बिजली उपलब्ध कराने का आग्रह किया है.
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने रविवार को बताया कि उत्तर प्रदेश में सरकारी स्वामित्व वाली विद्युत इकाइयों में कोयले की जबर्दस्त किल्लत के कारण बिजली उत्पादन बहुत कम हो गया है l इसकी वजह से गांवों और कस्बों में बिजली की अत्यधिक कटौती की जा रही है l ऊर्जा विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इन इलाकों में साढ़े तीन से सवा छह घंटे तक की बिजली कटौती की जा रही है.
बिजली संकट को लेकर उप्र सरकार और पावर कॉरपोरेशन की परेशानी भी बढ़ते जा रही है। खुद सीएम योगी ने सख्त होते जा रहा है। बताया जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ ने इसको लेकर पीएम को पत्र लिखा है। इसमें यहां बंद पड़ी यूनिटों के लिए कोयले की मांग की गई है। दरअसल, कोयले की कमी के कारण उप्र में 8 यूनिट ठप हो गई है। इसकी वजह से 4000 मेगावाट बिजली पर असर पड़ रहा है। इसके अलावा 2000 मेगावाट पर भी उत्पादन कम क्षमता पर हो रहा है।
उन्होंने बताया कि कोल इंडिया द्वारा किए जाने वाले कोयले के उत्पादन में काफी गिरावट आई है, क्योंकि ईस्टर्न कोलफील्ड (सिंगरौली, झारखंड और बिहार में) और सेंट्रल कोलफील्ड (मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़) में सितंबर के अंत में बहुत ज्यादा बारिश होने के कारण कोयला खदानों में पानी भर गया है. मौजूदा हालत यह है कि प्रतिदिन 25 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता की तुलना में मात्र 16 लाख 50 हजार मीट्रिक टन कोयले की आपूर्ति हो रही है.
दुबे के अनुसार उत्तर प्रदेश में सरकार के स्वामित्व वाले चार बड़े पन-बिजली संयंत्रों में से पारीछा और हरदुआगंज में केवल आधे दिन का कोयला बाकी रह गया है. ओबरा और अनपरा में भी मात्र दो दिन का कोयला ही बाकी रह गया है. नियम यह है कि कोयला खदान के मुहाने पर स्थित बिजली संयंत्रों में कम से कम सात दिन का और दूर स्थित संयंत्रों में कम से कम 15 दिन का कोयले का भंडार रहना चाहिए.
उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति हो देखते हुए पावर कॉरपोरेशन कार्मिकों के वेतन को बढ़ाकर अतिरिक्त आर्थिक बोझ को सहने की स्थिति में नहीं है। आंदोलन से पावर कॉरपोरेशन की वित्तीय स्थिति और विद्युत आपूर्ति दोनों प्रभावित हो सकते हैं। जोकि प्रदेश, विद्युत उपभोक्ता और कॉरपोरेशन के लिए हितकर नहीं है। मेरा सभी आंदोलनरत संगठनों एवं कार्मिकों से आग्रह है कि वह अपना आंदोलन समाप्त कर प्रदेश की विद्युत व्यवस्था और बेहतर करने एवं कारपोरेशन की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ करने के महती कार्य में पूर्ववत जुट जाएं।