"जेलयोग" के लिए मुफीद साबित हो रही जेल की रोटी
प्रदेश की जेलों में बढ़ी मांग, कई लोगों को हुआ लाभ तो कुछ पहुंच गए जेल
लखनऊ : प्रदेश की जेेलों में रोटी की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है। जेल की रोटी के लिए लोगों को सिफारिशे तक लगानी पड़ती है। रोटी मिलने पर कई लोगों को तो इसका लाभ भी हुआ और कई को रोटी नहीं मिलने पर जेल तक जाना पड़ा। किवदंती यह है कि जेलयोग खत्म करने के लिए कई नेता, अफसर और नौकरशाह जेल से रोटी मंगाने के लिए सिफारिशें करते नजर आ रहे हैं।
ऐसी मान्यता है कि जिसकी कुंडली में जेल जाने का दोष हो तो जेल में बनी रोटी खाने से वह दूर हो जाता है। ज्योतिषी भी इस दोष को दूर करने के लिए जेल की रोटी खाने की सलाह देते हैं। इस बाद वह अपनी-अपनी पहुंच के हिसाब से लोग जेल की एक अदद रोटी के लिए सिफारिशें तक लगवाते हैं। विभाग के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने बताया कि जब वह मुजफ्फनगर जेल पर तैनात थे। उस दौरान जनपद में एक चर्चित बुढाना थाना है। इस थाने पर तैनात होने वाले अधिकारी को दंड मिलना आम बात थी। उस अधिकारी को एक ज्योतिष ने बताया कि यदि वह जेल की रोटी का सेवन करेंगे तो उनका जेल योग कट जाएगा। सेवानिवृत्त अधिकारी को कहना है कि थाने में तैनाती के दौरान इंस्पेक्टर पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। वह एक परिचित के माध्यम से उनके पास आया और रोटी खिलाने की बात कही। इसके बाद वह मुकदमें से तो बचा ही उसका प्रमोशन भी हो गया।
सेवानिवृत्त अधिकारी ने बताया कि इसी प्रकार देश के बहुचर्चित कॉमन वेल्थ गेम्स घोटाले के आरोपी सुरेश कलमाड़ी के एक परिचित ने भी आगरा तैनाती के दौरान रोटी की मांग की थी। इस पर उन्होंने कहा कि रोटी जेल में आकर खानी पड़ेगी तभी जेल योग खत्म होने की बात मानी जाती है। वह रोटी खाने के लिए जेल नहीं आए। इसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ा था। यह तो बानगी भर है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि महीने एक जेल में तीन से चार लोग अपने परिवार के साथ आते हैं और जेल के अंदर बनी रोटी खाने की इच्छा जाहिर करते हैं। कुछ सिफारिश लगवाकर आते हैं तो कुछ सीधे आकर अपनी या बच्चों की कुंडली में कारागार दोष का हवाला देकर रोटी खिलाने का अनुरोध करते हैं। सिफारिश लगवाने वालों में पुलिस और प्रशासन के बड़े-बड़े अफसरों के साथ-साथ न्याय विभाग के अधिकारी भी शामिल होते हैं।
धरी रह गई आउटलेट खोलने की योजना प्रदेश की जेलों में रोटी की बढ़ती मांग को देखते हुए जेल विभाग के अधिकारियों ने प्रदेश की 10 जेलों में रोटी आउटलेट बनाए जाने की योजना तैयार ही थी। यह अलग बात है कि इस योजना को अभी तक अमली जामा नहीं पहनाया जा सकता है। आउटलेटों पर जेलों में बनने वाले तमाम उत्पादों के साथ-साथ जेल की रोटी भी उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था किया जाना तय हुआ था। जेल विभाग की यह योजना फाइलो में ही कैद होकर रह गई। यही वजह है कि अब जेल से रोटी के लिए लोगों को सिफारिशों का सहारा लेने के लिए विवश होना पड़ रहा है। |
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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