कारागार विभाग के हेड वार्डर-वार्डर तबादलो में खेल ; बगैर अनुरोध के निजी अनुरोध पर कर दिया तबादला, समयावधि पूरी कर चुके वार्डर को तबादले के बाद फिर कर दिया वापस
प्रशासनिक आधार पर किये गए तबादलो के लिए 30 हज़ार, प्रशासनिक आवश्यकता के लिए 50 हज़ार व निजी अनुरोध के लिए 50 हज़ार से एक लाख रुपये तक वसूल किये गए। यही वजह है कि निजी अनुरोध के अधिकांश वार्डर को गाज़ियाबाद, नोएडा, अलीगढ़, मेरठ जेल पर तैनाती दे दी गयी। कारागार विभाग के हेड वार्डर-वार्डर तबादलो में जमकर वसूली की गई। जेल विभाग के वार्डर-हेड वार्डर तबादलो में जेल अफसरों ने जमकर वसूली की।
लखनऊ। प्रदेश कारागार विभाग के वार्डर-हेड वार्डर के तबादलो में आये दिन नए नए खुलासे हो रहे है। अधिकारियों ने मोटी रकम लेकर ऐसे वार्डर को कमाऊ जेलों पर तैनात कर दिया जिन्हें दंड दिए जाने को संस्तुति की गई थी। यही नही तबादलो में खेल का यह आलम रहा कि वार्डर के बगैर किसी अनुरोध के ही उसका निजी अनुरोध पर तबादला कर दिया गया। यह मामला विभागीय सुरक्षाकर्मियो में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक विभाग के मुखिया आईजी जेल ने इस संवर्ग के तबादलो के लिए डीआईजी मुख्यालय की अध्यक्षता में दो वरिष्ठ अधीक्षक की तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। इस कमेटी को वार्डर-हेड वार्डर के तबादलों के लिए अधिकृत किया गया था। सूत्र बताते है l कमेटी ने करीब साढ़े तीन हजार वार्डर में लगभग एक हजार वार्डर के तबादले किये गए।
सूत्रों का कहना है कि प्रशासनिक आधार पर किये गए तबादलो के लिए 30 हज़ार, प्रशासनिक आवश्यकता के लिए 50 हज़ार व निजी अनुरोध के लिए 50 हज़ार से एक लाख रुपये तक वसूल किये गए। यही वजह है कि निजी अनुरोध के अधिकांश वार्डर को गाज़ियाबाद, नोएडा, अलीगढ़, मेरठ जेल पर तैनाती दे दी गयी। कारागार विभाग के हेड वार्डर-वार्डर तबादलो में जमकर वसूली की गई। जेल विभाग के वार्डर-हेड वार्डर तबादलो में जेल अफसरों ने जमकर वसूली की।
सूत्रों का कहना है कि मिर्जापुर में तैनात वार्डर रजनीकांत राय का तबादला निजी अनुरोध पर गौतमबुद्ध नगर कर दिया गया। स्थानांतरित वार्डर का आरोप है कि उसने न तो मुख्यालय व न ही अधीक्षक से किसी प्रकार का कोई अनुरोध नही किया। इसके बावजूद उसका तबादला निजी अनुरोध पर कर दिया। इसकी शिकायत उसने विभाग के मुखिया डीजी जेल से कर तबादला निरस्त किये जाने का आग्रह किया है।
आलम यह है कि मुख्यालय में बैठे अधिकारियों ने आवेदन पत्रों की बगैर किसी पड़ताल के ही मनमाने ढंग से तबादले कर दिए। यही नही कार्यकाल पूरा कर चुके कई वार्डर के तबादले किये जरूर किये गए किन्तु कुछ दिन बाद ही उन्हें वापस कर दिया गया। मसलन हेड वार्डर दिग्विजय सिंह को मिर्जापुर से ज्ञानपुर भदोही किया गया।
जॉइन करने के बाद इन्हें वापस मिर्जापुर कर दिया गया। इसी प्रकार ह्रदय नारायण सिंह का मुजफ्फरनगर से मिर्जापुर हुआ था उसका मिर्जापुर से निरस्त कर ज्ञानपुर कर दिया गया। यह तो बानगी भर है ऐसे दर्जनों की संख्या में अनियमित तबादले किये गए। तबादलों से आक्रोशित वार्डरों ने तबादलो की उच्चस्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है। जांच में दूध का दूध पानी का पानी होने के साथ सच सामने आ जाएगा।
डीआईजी नही दे पाये संतोषजनक जवाब लखनऊ। जेल मुख्यालय के डीआईजी जेल शैलेन्द्र मैत्रेय गलती करने के बाद भी गलती मानने को तैयार नही है। श्री मैत्रेय कहते है कि कोई भी तबादला उनके स्तर से नही किया जा रहा है। जो भी तबादले हो रहे है वह डीजी के अनुमोदन पर किये जा रहे है। यह पूछने पर कि जबN वार्डर ने कोई अनुरोध ही नही किया तो उसका तबादला क्यों कर दिया गया। इस सवाल पर डीआईजी मुख्यालय मैत्रेय कोई संतोषजनक जवाब नही दे पाए। |
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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