सेना के पूर्व अधिकारी सहित दो लोगों ने रक्षा कर्मियों को लगाया 29 करोड़ रुपये का चूना, मिली पांच साल कैद की सजा
पुलिस ने मामलों की जांच करते हुए राकेश राणा और पूर्ण चंद्र पांडा के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और ओपीआईडी एक्ट की धारा 6 के तहत मामला दर्ज किया था.
ओडिशा प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट्स ऑफ डिपॉजिटर्स (OPID) एक्ट से निपटने वाली एक अदालत ने रक्षा कर्मियों को ठगने के आरोप में एक सेवानिवृत्त सेना के अधिकारी (Retired Army Officer) सहित दो लोगों को पांच साल की कैद की सजा सुनाई है. अदालत ने शुक्रवार को सैनिक कल्याण संगठन के प्रमुख लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) राकेश राणा और ब्रुकसन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पूर्ण चंद्र पांडा को पांच साल की कैद की सजा सुनाई है.
जानकारी के मुताबिक, दोनों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. राकेश राणा और पूर्ण चंद्र पांडा ने कई रक्षा कर्मियों से रियासत भूमि देने का वादा करके उनसे लगभग 29 करोड़ रुपये की राशि ठगी है. हालांकि, दोनों जमीन नहीं दे सके और बार-बार अपील के बावजूद रक्षा कर्मियों को पैसे वापस नहीं किए. ठगे गए रक्षा कर्मियों ने राणा और पांडा के खिलाफ ओडिशा पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में शिकायत दर्ज कराई थी.
एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश : पुलिस ने मामलों की जांच करते हुए राणा और पांडा के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और ओपीआईडी एक्ट की धारा 6 के तहत मामला दर्ज किया था. मामले में सुनवाई करते हुए ओपीआईडी कोर्ट ने दोनों को और कंपनी को उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों का दोषी पाते हुए सजा सुनाई है. ओपीआईडी (विशेष) अदालत के विशेष लोक अभियोजक बिस्वजीत महापात्रा ने कहा, ‘कारावास के अलावा राणा और पांडा को एक-एक लाख रुपये जुर्माना भरने का निर्देश दिया गया है. इसी तरह कंपनी पर भी दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.’
मालूम हो कि इससे पहले, सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (CBI) ने सर्विस सिलेक्शन बोर्ड (SSB) के जरिए सैन्य अधिकारियों के चयन में भ्रष्टाचार करने के आरोप में लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के 6 अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया था. लेफ्टिनेंट कर्नल भगवान और नायब सूबेदार कुलदीप सिंह SSB सेंटर्स में होने वाले फ्रॉड में संलिप्त पाए गए थे. आर्मी एयर डिफेंस कोर में लेफ्टिनेंट कर्नल भगवान, सेना भर्ती के इस पूरे धंधे के मुख्य आरोपी थे. इस पूरे मामले में CBI ने कई स्थानों पर छापेमारी की थी. इतना ही नहीं, 23 आर्मी स्टाफ सहित कई नागरिकों पर मुकदमा भी दर्ज किया गया था.