UP : जेल में गरीब परिजन के लिए मुसीबत बनी मुलाकात : बन्दियों की मुलाकात पर सरकार का तुगलकी फरमान
आरटीपीसीआर रिपोर्ट के बगैर नही हो सकती बन्दी से मुलाकात, समय के साथ प्रति सप्ताह खर्च करना पड़ रहा ढाई से तीन हज़ार,शासन ने व्यवहारिकता को दर किनार कर बगैर सोचे समझे ही तुगलकी फरमान जारी कर दिया। बन्दियों के परिजनों से मुलाकात के लिए आरटीपीसीआर रिपोर्ट मांगी जा रही है। आरटीपीसीआर रिपोर्ट के लिए परिजनों को आठ से नौ सौ रुपये प्रति व्यक्ति खर्च करना पड़ रहा है।
लखनऊ। प्रदेश की जेलो में बंद बन्दियों की परिजनों से मुलाकात के लिए सरकार ने तुगलकी फरमान जारी किया है। तुगलकी फरमान की वजह से गरीब बन्दियों के परिजन अपने बन्दियों से मुलाकात नही कर पा रहे है। मुलाकात के लिए उन्हें खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। कोरोना कॉल के लंबे अंतराल के बाद शासन ने परिजनों से बन्दियों की मुलाकात तो खोल दी लेकिन मुलाकात के लिए जो नियम व शर्ते रखी गयी है उससे बन्दी के परिजनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हकीकत यह है कि इस व्यवस्था की वजह से उन्हें दोहरी मार झेलने के लिए विवश होना पड़ रहा है। आलम यह है कि परिजनों को बन्दियों से मुलाकात करने के लिए प्रति सप्ताह ढाई से तीन हज़ार रुपये खर्च करने पड़ रहे है। यही नही मुलाकात के लिए लंबा इंतजार भी करना पड़ रहा है।
कैसे होगी महिलाओं की खुली मुलाकात लखनऊ। वर्ष-2020 को छोड़ दे तो इससे पहले रक्षाबंधन के मौके पर प्रदेश की प्रत्येक जेल पर महिलाओं की खुली मुलाकात कराई जाती रही है। इस बार शासन के नियम व शर्तों की वजह से महिलाओं की खुली मुलाकात होने की संभावना भी कम नज़र आ रही है। रक्षाबंधन के मौके पर जेलों भारी भीड़ उमड़ती थी। महिलाएं अपने बन्दी भाईयों को मिठाई खिलाकर राखी बांधती थी। त्योहार के दौरान नियमो में शिथिलता भी बरती जाती रही है। इस बार इसको लेकर पशोपेश की स्थिति बनी हुई है। |
मालूम हो कि कोरोना कॉल की वजह से बीते 23 मार्च 2020 से जेलों में बंद बन्दियों की परिजनों से मुलाकात पर प्रतिबंध लगा हुआ था। बीते सप्ताह शासन के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव गृह/डीजी जेल ने बन्दियों की परिजनों से मुलाकात के लिए एक शासनादेश जारी किया। इस शासनादेश में कहा गया कि परिजनो की बन्दियों से तभी मुलाकात कराई जाएगी जब वह जेल प्रशासन को अपनी कोविड जांच रिपोर्ट (आरटीपीसीआर) देंगे। इस रिपोर्ट के बगैर किसी भी परिजन की बन्दी से मुलाकात नहीं कराई जाएगी। शासन का यह फरमान खासतौर पर गरीब बन्दियों के परिजनों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है।
सूत्रों का कहना है कि शासन ने व्यवहारिकता को दर किनार कर बगैर सोचे समझे ही तुगलकी फरमान जारी कर दिया। बन्दियों के परिजनों से मुलाकात के लिए आरटीपीसीआर रिपोर्ट मांगी जा रही है। आरटीपीसीआर रिपोर्ट के लिए परिजनों को आठ से नौ सौ रुपये प्रति व्यक्ति खर्च करना पड़ रहा है। यही नही नियमानुसार आरटीपीसीआर रिपोर्ट को मिलने में कम से कम 72 घंटे का समय लगता है। इससे बन्दियों के परिजनों खासतौर पर गरीब मुलाकातियों को खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों की माने तो सरकार के तुगलकी फरमान से होने वाले अत्यधिक खर्च की वजह से गरीब बन्दियों के परिजन तो मुलाकात ही नही कर पा रहे है। उधर इस संबंध में जब जेल मुख्यालय के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने इसे शासन का मामला बताते हुए कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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