फेल अभ्यर्थी भी बन गए थे अपर निजी सचिव: APS भर्ती में CBI ने पकड़ा फर्जीवाड़ा, FIR के बाद UPPSC के पूर्व परीक्षा नियंत्रक के घर छापा
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की तरफ से हुई अपर निजी सचिव (APS) की परीक्षा में हिंदी और शॉर्टहैंड में फेल होने वाले भी चयनित हो गए थे। करीब दो साल चली जांच के बाद शुक्रवार को CBI ने पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ व अन्य अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया
सपा सरकार में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की तरफ से हुई अपर निजी सचिव (APS) की परीक्षा में हिंदी और शॉर्टहैंड में फेल होने वाले भी चयनित हो गए थे। करीब दो साल चली जांच के बाद शुक्रवार को CBI ने पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ व अन्य अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
रिपोर्ट दर्ज करने के बाद CBI ने प्रभुनाथ के लखनऊ स्थित आवास पर छापा मारा और गिरफ्तार किया है। उनसे पूछताछ की गई। मामले से संबंधित कई जरूरी दस्तावेज भी जब्त किए हैं। वहीं, प्रयागराज स्थित मुख्यालय भी CBI ने छापेमारी की। कई कर्मियों और अभ्यर्थियों से पूछताछ की गई।
उधर, प्रभुनाथ को CBI की विशेष अदालत में पेश किया गया। अब आगे की पूछताछ के लिए पूर्व परीक्षा नियंत्रक को रिमांड पर लेने की तैयारी है। पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ वर्तमान में पीडीब्ल्यूडी विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनात हैं।
इस भर्ती का विज्ञापन साल 2010 में मायावती सरकार में निकाला गया था। लेकिन परीक्षा का आखिरी परिणाम साल 2017 में जारी किया गया। परीक्षार्थियों ने धांधली का मुद्दा उठाया तो भाजपा सरकार ने इसे CBI को हैंडओवर किया था।
जांच में प्रभुनाथ के खिलाफ मिले हैं पर्याप्त सबूत : पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ के खिलाफ प्रतियोगियों ने अनियमितता के कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद सीबीआई ने रिपोर्ट दर्ज करने से पूर्व सारे तथ्यों की जांच की। जांच में प्रभुनाथ के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले। अब इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है। जल्द ही प्रभुनाथ को पूछताछ के लिए सीबीबाई रिमांड पर ले सकती है।
इन धाराओं में दर्ज है FIR : सीबीआई ने लोक सेवा आयोग के पूर्व परीक्षा नियंत्रण प्रभुनाथ सहित अन्य आयोग के कर्मचारियों, निजी व्यक्तियों के खिलाफ यह रिपोर्ट दर्ज की है। यह मामला IPC Act 1988 की धारा 13 (2) 13 (1) (D) और IPC की धारा 120B, 420, 468, 471 IPC के तहत दर्ज किया गया है।
125 अंक था क्वालीफाइंग और शार्टहैंड टेस्ट में 5% गलती थी माफ : सीबीआई की ओर से दिल्ली स्थित एंटी करप्शन ब्रांच में एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसमें कहा गया है कि लोक सेवा आयोग ने निर्णय लिया था कि जो अभ्यर्थी एपीएस भर्ती-2010 के लिए आवेदन करेंगे, उन्हें सामान्य हिंदी, हिंदी शॉर्ट हैंड और हिंदी टाइप टेस्ट में शामिल होना पड़ेगा। शॉट हैंड टेस्ट कुल 135 अंकों का था। इसमें से न्यूनतम 125 अंक पाने वाले अभ्यर्थी क्वालीफाई थे। शॉर्ट हैंड टेस्ट में 5 फीसदी तक गलती भी माफ थी।
विशेषाधिकार की आड़ में हुई धांधली : लोक सेवा आयोग की 15 जून 2015 की परीक्षा समिति की बैठक में तय हुआ कि अगर अभ्यर्थी को 125 अंक मिल रहे हैं और शॉर्ट हैंड टेस्ट में आठ फीसदी तक गलती है तो अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की स्थिति में आयोग अपने विशेषाधिकारी का इस्तेमाल करते हुए अतिरिक्त तीन फीसदी गलती को माफ करेगा। ऐसे अभ्यर्थियों को भी मौका दिया जाएगा। साथ ही जो अभ्यर्थी न्यूनतम 119 अंक पाते हैं, उन्हें भी आठ फीसदी तक गलती होने पर तीसरे चरण की परीक्षा कंप्यूटर टेस्ट के लिए क्वालीफाई करा दिया जाएगा।
जांच में सामने आया है कि आयोग ने 1244 अभ्यर्थियों को तीसरे चरण के लिए क्वालीफाई कराया। इसमें से 913 अभ्यर्थियों को न्यूनतम 125 अंक मिले थे। शॉर्ट हैंड टेस्ट में पांच फीसदी या इससे कम गलतियां थीं। 331 अभ्यर्थियों को 119 से 125 अंक मिले थे और शॉर्ट हैंड टेस्ट में आठ फीसदी तक गलतियां थीं।
सीबीआई ने जांच में पाया कि जब पूर्व में लिए गए निर्णय के अनुसार न्यूनतम 125 अंक पाने वाले और अधिकतम 5 फीसदी गलती करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या पर्याप्त थी तो बाकी 331 अभ्यर्थियों को क्वालीफाई कराने का कोई औचित्य नहीं था। ऐसे में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ ने आयोग द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन किया। सीबीआई की जांच की दिशा इसी गलती ने तय की है।
फर्जी कंप्यूटर सर्टिफिकेट देने वालों का कर लिया चयन : सीबीआई को जांच में कुछ सर्टिफिकेट भी फर्जी मिले हैं। इन अभ्यर्थियों का फर्जी सर्टिफेकेट के आधार पर चयन कर लिया गया। इसके अलावा एपीएस भर्ती में तमाम अभ्यर्थी विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप कंप्यूटर सर्टिफिकेट प्रस्तुत नहीं सके थे।
लोक सेवा आयोग ने 29 जुलाई 2015 को प्रेस रिलीज जारी करते हुए अभ्यर्थियों को 17 अगस्त 2015 तक सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने का मौका दिया। आयोग के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ ने निर्धारित तिथि के बाद भी अभ्यर्थियों से सर्टिफिकेट स्वीकार किए और कुछ अभ्यर्थियों को अपने कंप्यूटर सर्टिफिकेट बदलने की अनुमति भी दी गई थी। जांच का ये भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है।
2010 में एपीएस के 250 पदों पर मांगे गए थे आवेदन : 2010 में उत्तर प्रदेश सचिवालय में 250 अपर निजी सचिवों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था। सामान्य अध्ययन और सामान्य हिंदी की परीक्षाएं 2013 में हुईं। हिंदी शार्टहैंड और हिंदी टाइपिंग का टेस्ट 2014 में हुआ। इसके बाद कम्प्यूटर ज्ञान की परीक्षा 2016 में ली गई। परीक्षा का अंतिम परिणाम 2017 में जारी हुआ था। अंतिम परिणाम के बाद से ही इस भर्ती परीक्षा की शुचिता पर सवाल उठने लगे थे। अभ्यर्थियों ने सरकार से भी शिकायत की थी पर कुछ नहीं हुआ। इसके बाद अभ्यर्थियों ने सीबीआई जांच की मांग की थी।