राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने 30 अक्टूबर को लखनऊ में कर्मचारियों की विशाल रैली करने का ऐलान किया
परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने बताया कि पुरानी पेंशन पर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र तिवारी ने सहमति नहीं दी है। शासन स्तर पर हुई वार्ता में शामिल अधिकारियों ने इस पर नकरात्मक रुख अपनाया है। इसके बाद कर्मचारी संगठन ने आंदोलन का ऐलान कर दिया है। उप्र में मौजूदा समय 20 लाख से ज्यादा कर्मचारी है।
लखनऊ : पुरानी पेंशन समेत कई मांगों को सकारात्मक जवाब न मिलने से नाराज कर्मचारी अब प्रदेश सरकार को अपनी ताकत दिखाने की तैयारी कर रहे हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने 30 अक्टूबर को लखनऊ में कर्मचारियों की विशाल रैली करने का ऐलान कर दिया है।
परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने बताया कि पुरानी पेंशन पर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र तिवारी ने सहमति नहीं दी है। शासन स्तर पर हुई वार्ता में शामिल अधिकारियों ने इस पर नकरात्मक रुख अपनाया है। इसके बाद कर्मचारी संगठन ने आंदोलन का ऐलान कर दिया है। उप्र में मौजूदा समय 20 लाख से ज्यादा कर्मचारी है।
हरि किशोर तिवारी ने बताया कि चतुर्थ और तृतीय श्रेणी के खाली पदों को भरने समेत कई मांगों को पर चर्चा की गई लेकिन उस पर भी सकारात्मक जवाब नहीं मिला। ऐसे में तय किया गया है कि कर्मचारी शिक्षक अधिकारी एवं पेंशन अधिकार मंच उत्तर प्रदेश के बैनर तले पांच अक्टूबर से आंदोलन शुरू किया जाएगा। इसमें पांच अक्टूबर को पूरे प्रदेश में जनपदीय मोटर साइकिल रैली।
28 अक्टूबर को जिले में एक दिवसीय धरना और 30 अक्टूबर को राजधानी में विशाल प्रान्तीय रैली की जााएगी। परिषद की तरफ से स्पष्ट किया गया कि विभागीय फोरम सक्रिय होने से सरकारी धन और श्रम का दुरूपयोग रूकेगा। चुनाव नजदीक आने के साथ कर्मचारी संगठनों का आंदोलन बढ़ता जाएगा। सूत्रों का कहना है कि सरकार उस दौरान दबाव में आकर कर्मचारियों की कुछ मांग पूरी कर सकती है।
अन्य प्रमुख मांग
- विभागों पर प्रमोशन की मुहिम चलाई जाए और तीन महीने में पद भरा जाए
- कैश लेस इलाज सुविधा जिसका नाम दीन दयाल उपाध्याय कैश लेस कर्मचारी योजना है, उसको अतिशीघ्र लागू किया जाए
- फील्ड कर्मचारियों को मोटर साईकिल भत्ता दिया जाए
- संविदा,आउट सोर्सिंग, मानदेय, दैनिक वेतन पर कार्य कर रहे कर्मियों को केन्द्र के समान नियमावली बनाकर काम लिया जाए
- विभागीय विवाद फोरम को सक्रिय कर अनावश्यक रूप से कर्मचारियों के न्यायालयिक विवादों को कम किया जाए