आखिरकार मिल ही गई जेल मुख्यालय में स्टेनों को तैनाती

आईजी, डीआईजी, मेरठ रेंज कैंप कार्यालयों को मिले स्टेनो

आखिरकार मिल ही गई जेल मुख्यालय में स्टेनों को तैनाती
जेल मुख्यालय

लखनऊ। देर से ही सही आखिरकार कारागार मुख्यालय में खाली बैठे स्टेनो को तैनाती मिल ही गई। आईजी, डीआईजी मुख्यालय और मुख्यालय के साथ मेरठ रेंज कैंप कार्यालय में बाबुओं की जगह स्टेनो की तैनाती कर दी गई है। यह पटल परिवर्तन आईजी जेल के निर्देश पर किए गए हैं।

दो दिन पहले आईजी जेल पीवी रामा शास्त्री के निर्देश पर एआईजी प्रशासन धर्मेंद्र सिंह ने तीन स्टेनो की तैनाती का आदेश जारी किया है। इसमें डीआईजी मेरठ कैंप कार्यालय में तैनात हरि प्रकाश सिंह को महानिरीक्षक कारागार कैंप कार्यालय में, पूर्व में कानपुर परिक्षेत्र कार्यालय में तैनात विमल कुमार यादव को डीआईजी कारागार मुख्यालय और कानपुर परिक्षेत्र कार्यालय में और अधीक्षक कारागार मुख्यालय कैंप में तैनात विनोद कुमार यादव को प्रभारी डीआईजी मेरठ परिक्षेत्र के कैंप कार्यालय में बतौर स्टेनो तैनात किया गया। इससे पूर्व डीआईजी मुख्यालय कैंप कार्यालय में स्टेनो के स्थान पर प्रधान सहायक को तैनात कर रखा गया था। डीआईजी लखनऊ परिक्षेत्र कैंप कार्यालय में अभी भी स्टेनो की जगह कनिष्ठ सहायक को तैनात रखा गया है।

उल्लेखनीय है कि जुलाई माह के अंतिम दिन डीजी पुलिस/आईजी जेल के निर्देश पर एआईजी कारागार प्रशासन मुख्यालय के 15 बाबुओं के पटल परिवर्तन किया गया था। इसमें सामान्य अनुभाग एक में तैनात प्रधान सहायक को डीआईजी जेल मुख्यालय कैंप कार्यालय, एक साल पहले सामान्य अनुभाग एक से हटाकर नजारत भेजे गए वरिष्ठ सहायक को नजारत से हटाकर प्रोबेशन में भेज दिया गया।

लंबे समय से एक ही पटल पर जमे बाबू

कारागार मुख्यालय में कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी लंबे समय से कमाऊ पटल पर ही जमे हुए हैं। पिछले करीब 30 साल से अधिक समय से एक अधिकारी के पास विधि प्रकोष्ठ में तो एक अधिकारी लंबे समय से गोपनीय अनुभाग के साथ अधिष्ठान में ही डेरा जमाए हुए है। इसकी प्रकार एक अधिकारी जेलर, डिप्टी जेलर अधिष्ठान छोड़ने को तैयार ही नहीं है। बाबू संवर्ग के इन अधिकारियों के पटल परिवर्तन किए ही नहीं जाते है।

सूत्रों का कहना आईजी जेल ने लंबे समय से एक ही पटल पर जमे बाबुओं को हटाकर सराहनीय पहल की, वही विवादित बाबुओं को महत्वपूर्ण अनुभागों में तैनात कर तमाम सवाल खड़े कर दिए। एक एक प्रशासनिक अधिकारी को दो दो महत्वपूर्ण अनुभाग देकर अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को कोई भी प्रभार नहीं दिया गया है। मुख्यालय में करीब चार स्टेनो ऐसे हैं जिनके पास कोई काम नहीं था। वह खाली बैठे रहते है। करीब तीन माह बाद तीन स्टेनों को तैनाती दी गई है। इससे स्टेनो संवर्ग के बाबुओं ने राहत की सांस ली है।