लखनऊ में GST काउंसिल की 45वीं बैठक : पेट्रोल-डीजल GST के दायरे में नहीं आएगा, 6 राज्यों ने किया था विरोध, बायोडीजल पर GST घटाकर 5% किया
GST काउंसिल की बैठक में 48 से ज्यादा वस्तुओं पर टैक्स दरों की समीक्षा की जा रही है। इसमें 11 कोविड दवाओं पर टैक्स छूट को 31 दिसंबर तक बढ़ाने का भी फैसला हो सकता है।
लखनऊ में GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) काउंसिल की 45वीं बैठक शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि बैठक में जैसे ही पेट्रोल-डीजल को GST में शामिल करने का प्रस्ताव रखा कई राज्य इसके विरोध में खड़े हो गए। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड, छत्तीसगढ़, केरल समेत ज्यादातर राज्यों ने पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे से बाहर ही रखने को कहा है। ऐसे में ये प्रस्ताव खारिज हो सकता है।
कोरोना की दवाओं पर टैक्स छूट 31 दिसंबर तक बढ़ाई जा सकती है : अगर पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में आता है तो पेट्रोल 28 रुपए और डीजल 25 रुपए तक सस्ता हो जाएगा। अभी देश में कई जगहों पर पेट्रोल 110 और डीजल 100 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच चुका है। लेकिन ऐसा होने पर राज्यों के राजस्व में घाटा होगा है। यही कारण है कि कई राज्य इसका विरोध कर रहे हैं। इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वित्त मंत्री से मिलने पहुंच गए हैं।
GST काउंसिल की बैठक में 48 से ज्यादा वस्तुओं पर टैक्स दरों की समीक्षा की जा रही है। इसमें 11 कोविड दवाओं पर टैक्स छूट को 31 दिसंबर तक बढ़ाने का भी फैसला हो सकता है।
दिल्ली, बिहार समेत 7 राज्यों के उप मुख्यमंत्री शामिल हुए बैठक में 7 राज्यों के उप मुख्यमंत्री शामिल हुए हैं। इनमें अरुणाचल प्रदेश के चौना मेन, बिहार के उप मुख्यमंत्री राज किशोर प्रसाद, दिल्ली के मनीष सिसोदिया, गुजरात के नितिन पटेल, हरियाणा के दुष्यंत चौटाला, मणिपुर के युमनाम जोए कुमार सिंह और त्रिपुरा के जिष्णु देव वर्मा शामिल हैं। इसके अलावा कई राज्यों के वित्त या भी मुख्यमंत्री की ओर से नामित मंत्री भी शामिल हुए हैं। |
एक देश-एक दाम पर चल रहा मंथन सरकार ने 'एक देश -एक दाम' के तहत पेट्रोल-डीजल, नेचुरल गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (विमान ईंधन) को GST के दायरे में लाने पर विचार किया था। इसी को लेकर GST काउंसिल की बैठक में चर्चा चल रही है। हालांकि अभी तक मिली जानकारी के अनुसार ज्यादातर राज्यों ने पेट्रोलियम पदार्थों को GST के दायरे में शामिल करने का विरोध किया है l |
फूड डिलीवरी ऐप्स पर 5% GST लगाने का प्रस्ताव GST काउंसिल की बैठक में जोमैटो और स्विगी जैसे फूड डिलीवरी ऐप्स को रेस्टोरेंट की तरह मानने और उनके द्वारा की गई डिलीवरी पर 5% GST लगाने का फैसला भी लिया जा सकता है। ऐसा हुआ तो रेस्टोरेंट की बजाय फूड डिलीवरी ऐप्स को GST सरकार के पास जमा करवाना होगा, इससे ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। |
इन मुद्दों पर भी चर्चा के आसार
- कोरोना के इलाज से जुड़े उपकरणों और दवाइयों पर टैक्स में रियायत दी जा सकती है।
- राज्यों के राजस्व नुकसान पर बात हो सकती है।
- सिक्किम में फार्मा और बिजली पर स्पेशल सेस की मंजूरी देने के लिए मंत्रियों के समूह (GoM) की रिपोर्ट पर विचार किया जा सकता है।
2017 में लागू हुई थी GST व्यवस्था : देश में GST एक जुलाई, 2017 को लागू हुआ था। इसके तहत केंद्र और राज्यों के अलग-अलग टैक्स को खत्म कर एक टैक्स GST लागू किया किया गया था। हालांकि, पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन, नेचुरल गैस और कच्चे तेल को GST के दायरे से बाहर रखा गया था।